पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२६२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उदारना-उद्धृतोद्धार २६१ उद्धारना (हिं. क्रि०) उद्दार करना, छोड़ाना। . । डुला, जो छूट पड़ा हो। २ उत्पाटित, नोचा हुआ। उद्धारपल्य-जैन-शास्त्रानुसार एक योजन लंबे एक ३ निरस्त, निकाला हुआ। ४ उत्क्षिप्त, उछाला योजन चौड़े और एक योजन गहरे खुदे हुये गड्ढे में हुआ। ५ क्वतीच्च, बढ़ाया हुआ। ६ उच्च, ऊंचा। एक दिनसे लेकर सात दिनके भीतर २ पैदा हुये उद्धृतपाप (स.वि.) पापको छोड़ाये हुआ, जो मेषों के बच्चोंके बाल मुंह तक ऐसे काट २ कर भरे गुनाहको अलग कर चुका हो। जिनके फिर टुकड़े न हो सके तो ऐसे गड्डे का नाम | उडूनन (सं• लो०) उत्-ध-णिच्-णुक भावे लुपट् । व्यवहारपल्य है। और उन अविभागो बालोंके टुक- १ कम्यन, कंपकंपी। २ उत्क्षेपण, उछाल । डोंमेंसे हर एक टुकड़े के-जितने असंख्यात करोड़ वर्षों के उड्पन (स' लो०) उत्-धूप-भावे लुपट्। १ जज़ समय होते हैं उतने ही कल्पनासे टुकड़े किये जाय सञ्चालन, जपरको उठाव। २ वासनकार्य, सोंधाव । और उनसे पूर्वोक्त परिमाणवाला गढा भरा जाय तो करण लुपट्। ३ धूप। ४ धूना। उस भरे हुये गढे का नाम उद्दारपल्य है। उङ्कलन (स• क्लो०) १ चर्ण करण, पिसाई । २ सतैल- उवारपल्योपमकाल-जैनशास्त्रानुसार उद्धारपल्यमें भरे लवङ्ग कपूर-कस्तूरी-मरिच-त्वक्चर्ण, मसालेको बुकनी। हुये कल्पित बालोंके टुकड़ों में से एक एक टुकड़ा (पाकशास्त्र) यदि एक एक समयमें निकाला जाय तो जितने उद्देषण (सं० लो०) उत्-धष्-लुपट् । १ रोमाञ्च, कालमें वह गढा खाली हो जायगा उतने ही कालका रोंगटोका खड़ा होना। (त्रि.) २ रोमाञ्चित, खड़े नाम उद्दारपल्योपमकाल है। रोंगटे रखनेवाला। उद्दारविभाग (सं० पु० ) अंशका विभाग, तक.सोम- उद्धृत (स'• त्रि०) रोमाञ्चित, जो खड़े रोंगटे हिस्सा। रखता हो। उद्दारसागर-जैनशास्त्रानुसार दश कोड़ाकोडी उद्दार- उषित (सं० त्रि०) उत्-हुक्त। १ पृथक्कृत, पल्योंका यह होता है। अलग किया हुआ। २ मोचित, छोड़ाया हुआ। उद्धारसागरोपमकाल-जैनशास्त्रानुसार देश कोडाकोडी ३ उच्छेदित, तोड़ा हुआ। ४ समाज में ग्टहीत, मह- उद्धारपल्योपमकालोंका यह होता है। फिलमें शामिल किया हुआ। ५ उहत्त, बचाया उद्दारा (सं० स्त्री०) गुड़ची, गुर्च । हुआ। ६ उत्क्षिप्त, उठाया, चढ़ाया या बढ़ाया हुआ। उद्घारित (सं० त्रि.) कृतोहार, छोडाया हुआ, जो ७ विमला, बांटा हुचा। ८ उद्घाटित, खाला हुआ। बचा लिया गया हो। ८ वमित, उगला हुआ। १० अविकल टहीत, नकल उद्धि (सं० पु.) अवको धारण, ऊपरको उठाव। किया हुआ। २ अक्षाग्रस्थित शकटभाग, धुरोपर टिकनेवाला गाडीका उडतपाणि (सं• त्रि.) उन्मत इस्त, हाथ समेटे हिस्सा। ३ उखास्थापनका मृण्मय उपष्टम्भ । हुआ। उद्धित (सं० त्रि०) स्थापित, दण्डायमान, रखा या उद्धृतस्नेह (सं० त्रि०) हृतफेन, झाग, फेन या मलाई खड़ा हुआ। .. उतारा हुआ। उखुर ( स० त्रि०) उत्-धुर्-क, प्रादि बहुव्री० । उद्धृतारि (स. त्रि०) रिपुसूदन, दुश्मन को हटा १ भारशून्य, बेबार, जिसपे बोझ या जुवा न रहे। देनेवाला। २ दृढ़, मजबूत। ३ उच्च, ऊंचा। ४ बन्द हो जाने- उद्दति (सं० स्त्री०) उत्ह लिन्। १ उत्क्षेपण, वाला, जो निकल पड़ता हो। ५ प्रसन्न, खुश, जो उछाल। २उत्तोलन, उठाव । ३ आकर्षण, खिंचाव। रोकमें न हो। ४ रक्षा, बचाव। उत (स' त्रि०) उत्-ध क्त। उत्कम्मित, हिला- | उद्धृतोद्दार (सं० त्रि.) १ निज अंगप्राप्त, अपना हिस्सा '- Vol III. पाला। 66