पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२६३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२६२ उड त्य-उद्भव पाये हुआ। २ निज भागदाता, किसीका हिस्सा दे उबुद्धसंस्कार (स• पु०) वासनासंसर्ग, इत्तिफाक- देनेवाला। मनसूबा, किसी बातको यादगारौ। उपत्य (स अव्य०) उत्तोलन वा पाकर्षण करके, उबुद्धा (स० स्त्री० ) परकीया नायिका भेद। उठा या खींच कर। | यह निज इच्छानुरूप परपुरुषसे नेह बढ़ाती है। म. मी. ) उत-धा-लाट। चल्ली. चल्हा उदबोध (सं० पु.) उत-बध-घज । १ किजित उद्ध्याय (सं० अव्य.) निवास या सांस छोड़कर। ज्ञान, हलकी समझ । २ न्यायादि मतसे-पूर्वज उद्ध्य (संपु०) उझत्य दमिति क्यप, निपातनात् संस्कारका उद्दीपन । ३ अणुस्मरण, यादगारी, साधुः। भिद्योध्योन। पा ३१११५ । १ नद, दरया। भूली हुई बातका कोई सबब पड़नेसे फिर याद आ (ल्लो०) २ जलोतक्षेपण, पानीका उछाल । जाना। उद्ध्वस (सं० पु.) भङ्ग, फटाव, खरखराहट। उद्बोधक ( स० वि० ) उत्-बुध-णिच्-ख ल । उद्बष्ट (संचि०) १ जयबद्ध, ऊपर बंधा हुआ, १ प्रकाशक, देखाने या बतानेवाला। २ उद्दीपक, जो टंगा हो। २ बन्धनम्वष्ट, जो खुल गया हो। रोशन करनेवाला। .३ उद्बोध उत्पन्न करनेवाला, उबन्ध (सं० पु०) उइग्धन देखो। जो याद दिला देता हो। जैसे-किसी व्यक्तिने उदबन्धक (स.पु०) वर्गसङ्घर जातिविशेष । काशीमें विखेश्वरके निकट एक श्मशुल पुरुषको देखा उबन्धन (स' को०) उत्-बन्ध भावे लुपट्। १ कण्ठ में था। फिर वह प्रदेशान्तरस्थित स्त्रीय ग्रामको पाया। रज्जु डाल अर्ध्व बन्धन, गलेमें फांसी लगाकर टंग वहां अन्य श्मश्रुल पुरुषको देख उसे काशी विश्वे. जानेका काम। २ मृत्य के अर्थ कण्ठमें रज्जुवेष्टन, श्वरका स्मरण हुआ। इसमें श्मश्रुल पुरुष उसके विश्व मरनेके लिये गलेमें रस्मोको लपेट। ३ बन्धनच्युति, | खर स्मरणका उब्दोधक बन गया। ४ जाग्रत करने बंधाईका खोलाव । ४ बन्धन, बंधाई, टंगाई। वाला, जो जगाता हो। (पु०) ५ सूर्य। उबन्धुक (वै० वि०) उद्बन्धन करनेवाला, जो उदबोधन (सं० लो० ) उत्-बुध णिच-ल्य ट । टांगता या लटकाता हो। १ ज्ञापन, जगाई। २ स्मरणोत्पादन, याद दिलानेका उबल (सं०वि०) शक्तिशाली, जोरदार। काम। (त्रि.) ३ ज्ञानोत्पादक, समझाने, देखाने उदबाड़-बम्बईके गुजरात प्रान्तका एक ग्राम। यह | या जगाने वाला। बलसारसे १५ मील दूर है। १७४२ ई० को २८ वी उदबोधिता (सं० स्त्री०) परकीया नायिकाका एक अनोबरको सजान पारसियों ने यहां प्रा अपना अग्नि | भेद। जब परपुरुष कौशलसे स्नेह देखाता, जब प्रतिष्ठित किया था। उस समयसे बराबर इस स्थान इसका हृदय उसपर मुग्ध हो जाता है। पर सञ्जान अग्नि जल रहा है। . उद्भट ( स० त्रि. ) उत्-भट-अप्। १ महाशय । उद्बाहु (स' त्रि०) १ अध्व बाहु, हाथ उठाये २ उदार, सखी। ३ श्रेष्ठ, बड़ा। (पु.) ४ ग्रन्थ हुआ। २ प्रसारित बाहु, हाथ फैलाये हुआ। ३ शुण्ड बहिभूत। ५ कच्छप, कछुवा। ६ पूर्व, मशरिक । उठाये हुआ, जो सूड खड़ी किये हो। ७ शूर्प, सूप। ८ सूर्य, आफताब । ८ जयापीड़के उद्दिल ( स० त्रि०) बिलसे बहिर्गत, मांदको | अधीनस्थ सभापति। इन्होंने एक अलङ्कारका ग्रन्थ छोड़े हुआ। बनाया था। इन्दुराजन उसको टोका को। ( राजतरङ्गियी उबुद्ध (स० वि०) उत् बुध-क्त। १ प्रस्फुटित, 818६४) आनन्दवर्धन और अभिनव गुप्तने इनका खिला हुआ। २ उद्दीपित, रौशन, किया हुआ। वचन उद्धृत किया है। ३ प्रबुद्ध, जगाया हुआ। ४ उदित, उठा हुआ। उद्भव (सं० पु०) उत्भू भावे अप। १ उत्पत्ति, ५ अणुस्मत, जो याद आ गया हो। | पैदायश।