पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२७५

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२७४ उद्मन्-उद्योत उद्मन् (सं० ली.) महोर्मि, बहाव । । उद्यमिन् (सं०नि०) तत्पर, मुस्तैद, जो कोशिश उद्य (सं० त्रि०) वद-क्यप् । १ कथनीय, कहे | कर रहा हो। जाने काबिल । (पु०) २ नद, दरया। उद्यान (स० पु. लो०) उत्-या आधार ल्य ट। उद्यत् (सं०.त्रि०) उत्-इन्-शट। १ गमनशील, अर्चा: पुसि च। पा ४४१ । १ आक्रोड़, बाग । २ नि:- चलनेवाला। २ उदयशील, निकलने या उठनेवाला। सरण, निकास। ३ प्रयोजन, मतलब । ४ उद्यम, (पु.) ३ नक्षत्र। ४ किसी पर्वतका नाम। रोजगार, कामकाज। उद्यत (संत्रि .) उत्-यम-ता। उद्यानक (सं० लो०) आराम, बाग । हुआ। २ उत्तोलित, उछाला हुआ। ३ उद्यमित, उद्यानपाल (स० पु०) १ उद्यानरक्षक, माली, काम करनेवाला। ४ तत्पर, मुस्तैद। ५ प्रवृत्त, बागका मुहाफिज़ । २ उद्यानख मो, बागका मालिका लगा हुआ। (लो.) भावे त। ६ उद्यम, काम । उद्यानपालक, उद्यानपाल देखो। ७ अध्याय, बाब। ८ तालभेद। उद्यानरक्षक, उद्यानपाल देखो। उद्यतकामुक (म त्रि.) उत्तोलित धनःयक्त, | उद्यापन (स० पु. लो०) उत्-या-णिच्-त्य ट।१पारम्भ, कमान् खोंचे हुआ। शुरू। २ व्रतसमापन, व्रत पूरा करने का काम । उद्यतगद (स० त्रि०) उग ण मदयुक्त, गुज तान हुआ। उद्यापित (सं० त्रि.) पूर्णोक्त, पूरा किया हुआ। उद्यतशूल ( स० वि०) उत्थापित शूलयुक्त, भाला| उद्याम (सं० पु०) उद्यम्यतेऽनेन, उत्-यम करणे उठाये हुआ। घा वा वृद्धिः। १ उत्तोलन, सौधा खड़ा करनेका उद्यतयुक् (सं० त्रि०) उदकदान करनेको दर्वी | काम। २ रज्जु, रस्सी। उठानेवाला। उद्यांव (स० पु०) उत्-य उपपदे घञ् । उदिश्श्यति- उद्यतायुध (सं. त्रि०) अस्त्र उठाये हुआ, जो यौतिद्भुवः । पा ३।३।४६ । ऊध्व मिश्रण, मिलावट, जोड़जाड़। हथियार ताने हो। उद्यास (वै० 'पु०) उत्-यस-धज । १ उद्यमकर्ता, उद्यति (सं० स्त्री०) उत्-यम भावे तिन् । १ उद्यम, कोशिश करनेवाला । संज्ञायां घज । २ देवता- कोशिश। २ उत्थापन, उठाव । भेद। (वाजसनेयसहिता ३९०११) उद्यन्त (सं०वि०) उन्नायक, उठाने या तरको उद्यक्त (सं० त्रि०) तत्पर, मुस्तैद, ज़ोरसे काम पहुंचानेवाला। करनेवाला। उद्यम (सं० पु०) उत्-यम-घज, न वृद्धिः । १ प्रयास, उद्योग (सं० पु०-लो०) उत्-युज-धज । १ चेष्टा, कोशिश। २ उद्योग, काम। ३ उत्तोलन, उठाव । कोशिश। “जातिरूपवयोवृत्तिविद्यादिभिरहका तः । ४ उत्साह, हौसला। ' शब्दादि विषयोद्योग' कर्मणा मनसा गिरा।" (याज्ञवल्का ॥१५१.) उद्यमन (सं० लो०) उत्-यम-णिच-त्यु ट । १ उत्क्षे- २ प्रायोजन, तैयारो। ३ महाभारतका एक पर्व । पण, उछाल । २ उत्तोलन, चढ़ाव । | उद्योगसमर्थ (सं० त्रि.) चेष्टा करने योग्य, जो उद्यमभङ्ग (स. पु.) १ प्रयासका नाश, कोशि कोशिश लगा सकता हो। शका बिगाड़। २ विराम, ठहराव । उद्योगिन् (सं० त्रि०) उत्-युज्-घिणु न्। १ उद्योग- उद्यमभृत् (सं• त्रि. ) उद्यम करनेवाला, जो | युक्त, कोशिश करनेवाला। २ उत्साही, हौसले- कोशिश लगा रहा हो। मन्द। . उद्यमित (सं० वि०) उत्-यम-णिच-त । १ उत्तो- उद्योजक (सं० वि०) उत्-युज्-खु ल । प्रवर्तक, लित, उठाया हुआ। २ यत्नसे प्रेरित, तदबीरसे काममें लगा देनेवाला। समाया हुमा। | उद्योत, उद्द्योत देखो।