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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२८

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द्वातहास २७ अपने-अपने राजवंशके चरिताख्यायक वा सूतमाग- पर निर्भर कर प्राचीन पुराविद् आरियानने लिखा धादि द्वारा लिपिबद्ध होता था। किन्तु राष्ट्रविप्लवसे है, "डाइअोनिसससे चन्द्रगुप्त पर्यन्त भारतीय वह समुदाय विगड़ गया। हमारे पुराणों में राजवंशके राजन्यवगने ६०४२ वर्ष राजत्व रखा था। राजाओंको प्रसङ्गपर राजगणका नाम और राज्यशासनकाल मात्र संख्या एक सौ तिरपन रही। फिर भी उक्त समयके मिलता है। विस्तृत इतिहास विलुप्त होते भी हमारे मध्य तीन बार साधारणतन्त्र चला।" इस विवरणोसे श्राद्धादि कार्यमें इतिहासपुराण अवश्यपाठ करनेसे अच्छोतरह समझते-जिस समय विज्ञानसम्मत अवधारित रहनेपर एककाल वह मिट नहीं सका। ऐतिहासिक युगका सूत्रपात मानते, उससे छः हजार इसी कारण पुराणसे प्रकत ऐतिहासिक युगके क्षीण वर्ष पूर्वकाल होते भी धारावाहिक रूपमें भारतका कङ्कालका सन्धान लगता है। इतिहास लिखा देखते हैं। आजकल उसका अधि- ___ पाश्चात्य पुराविद् बताते, कि मकदुनिया वीर कांश विलुप्त है। महाभारत और पुराणमें क्षीण अलेक्सन्दरके समयसे हो प्रकृत प्रस्तावपर वैज्ञानिक स्मतिमात्र मिलता है। इसी कारण, महाभारत और प्रणाली में भारतीय इतिहास-रचनाको सूचना पाते हैं। पुराण हमारे भारतके प्राचीन इतिहासका अङ्ग समझा तदनुसार अनेक ही मौर्याधिपत्यकालसे हमारे भारतके जाता है। परदों काल नाना स्थानसे विभिन्न सम्प- प्रकृत ऐतिहासिक युगका आरम्भ समझते हैं। सम दायके जो शत-शत शिलालेख, ताम्रपत्र वा सामयिक सामयिक लिपिसे इसका प्रमाण यथेष्ट मिला, कि इतिवृत्त निकला, उससे भारत-पुराणका प्रभाव सुस्पष्ट उस समय वास्तविक पाश्चात्य और प्राच्य जगत्में धारा झलका है। वाहिक इतिहास रचनाका समादर बढ़ा था। प्रारम्भमें ही कहा इतिहासको व्यापकता अति बहुतसे लोग सोचते, कि भारतमें यवन वा ग्रोक- विशाल और विस्तृत है। स्थावर-जङ्गम, जीव-अजीव प्रभावके फल और आदर्शसे ही नाना शिलालेखका और मूत-प्रमूर्त क्या-ऐसा कौन पदार्थ होता,जिसका उतकोण होना देखते हैं। प्रवादानुसार उपाख्यान इतिहास नहीं रहता। साहित्य, विज्ञान, दर्शन, वा कल्पनाके हाथ से निष्कति ले उसी समय प्रकृत तथा शिल्पकलादि सभीका इतिहास विद्यमान है। घटना खोदी जाने लगी और साथ ही साथ भारतमें इसीसे आधुनिक पाश्चात्य ऐतिहासिक डाकर जे, टि, .विज्ञान-सम्मत इतिहासको भित्ति पड़ी। किन्तु सोटोयेलने कहा है,- पिपरावेमें एक खोदित शिलालेख निकला है। उसमें ____"History in the wider sense is all that has hap- शाक्यबुद्धके भस्माधारपर निर्वाणके बाद जो लिखा गया, pened, not merely all the phenomena of human life, but those of the natural world as well. It includes उससे भारतमें पारसिक वा यवन-प्रभाव-विस्तारके everything that undergoes change; and as modern बहुत पहले समसामयिक घटना पत्यरपर खुदनेको science has shown that there is nothing absolutely static, therefore the whole universe and every part पद्धतिक प्रचारका निदर्शन स्पष्ट हाथ लगा है। of it, has its history. * * * Solids are solids no lon- अलेक्सन्दरसे बहुत पहले नाना भावमें विभिन्न gger. The nniverse is in motion in every particle of every part, rock and metal merely a transition stage देशका इतिहास लिखा जाता था। उक्त विषय सहा. between crystallization and dissolution. This idea पराण-वर्णित राजवंशके विवरणसे ही प्रमाणित of universal activity has in a sense_made physics itself a branch of history. It is the same with the होता। अलेक्सन्दरके समय जिन सकल महात्मा- other sciences-especially the biological division," ओंने भारत आकर यहांको कथा लिखो उनकी where the doctrine of evolution has induced an विवरणौसे भी कितनी ही बात चली है। अलेक्सन्दरके attitude of mind which is distinctly historical."t तिरोधान बाद ही मैगस्थेनिस दौत्यकार्यपर पाटलि-

  • Arrian's Indica.

पुत्रको राजसभामें उपस्थित रहे। उन्हीं मेगस्थ निस t Encyclopaedia Britannica, 11th ed Vol. XIII, p. 527.