उपमाता-उपयन्ता लक्षासे महोत्सव होता है। किसने ही लोग : उपमारूपक (सं० लो०) उपमा अलङ्कारका उपचार, यहां विवाह करने आते हैं। प्रवाद है-उपमाकमें मुशाबहतको सूरत। विवाह करनेसे स्त्री पतिव्रता और सौभाग्यशालिनी उपमालिनी (स. स्त्री०) पति-शक्करी छन्दका एक भेद। होती है। उपमास्य (वै० लो०) उपमासं प्रतिमासभव यत्। उपमाता, उपमाट देखो। पिवर्गको ढप्तिके लिये प्रतिमास करणीय श्राद्ध । उपमाति (सं० स्त्री० ) १ आमन्त्रण, पुकार। (अथर्ववेद ८१०१८) २ उपमा, मुशाबहत। (सायण) (पु०) ३ मित्रवत् उपमित् (६० त्रि.) उप समीपं मीयते क्षिप्यते, उप- आगमन, दोस्तकी तरह आनेकी बात। ४ अनु- मि-क्विय । १ उपनिखात। २उपस्थापयिता । ३ उपमा- गृहीतावस्था, एहसानमन्दी। ५ अग्नि। ६ धन कारो। (स्त्री०) ४ स्थूणा। प्रदान, दौलत देनेका काम। (सायण ) 'उपमित् स्थगा।' (क्टग्भाष्ये सायण ४।५।१ ) उपमातिवनि (स० त्रि.) १ मित्रवत् प्रार्थना सुनने- उपमित (सं० त्रि.) उप-मा-त। सदृश, बराबर, वाला, जो दोस्तकी तरह पुकार पर कान लगाता हो। जो मिलाया गया हो। २ शत्र नाशक, दुश्मन्को बरबाद करनेवाला । (सायण) उपमिति (सं. स्त्री०) उप-मा-तिन्। १ उपमा- उपमा (सं० स्त्रो०) उपमिता माता। १ धात्री, लङ्कार, मुशावहत। २ नैयायिकके मतसे-अनुभव- दाई । २ मातुल्या स्त्री, माको बराबर दूसरी औरत, सिद्ध जातिविशेष। (नीलकण्ठी) संज्ञा एवं संजीके जैसे-मौसी, चाची इत्यादि। (पु.)३ चित्रकार, सम्बन्धका ज्ञान। (तर्कसंग्रह) सादृश्यके ज्ञानकरणका मुसब्बर; तस्वीर बनानेवाला शख्स। (त्रि.) उप ज्ञान। ( न्वायनञ्जरी) मातृच । उपमा देनेवाला, जो मुशाबहत लगाता हो। उपमीमांसा (सं० स्त्री०) अन्वेषण, खोज। उपमाद (वै० त्रि.) उपमादयति, उप-मा भावे उपमूल (सं० अध्य) मूलपर, जड़में । ल्युट । उपमादक, हर्षजनक। उपमेत (सं० पु०) उपमां इतः। शासवृक्ष, साख का ___ "उपमादमुपमादकं यज्ञम् । (ऋग्भाष्ये सायच ३।५।५) पेड़। उपमाद्रव्य (सं० क्लो०) उपमा व्यवहृत होनेवाला उपमेय (सं० त्रि.) १ रुपमीयतेऽसौ, उप-मा-यत्। वस्तु, जो चीज़ मुशाबहतमें काम आती हो। सादृश्य-योगा, मुशाबहतके काबिल, . जो किसोसे उपमान (स क्लगे) उप-मीयतेऽनेन, उप-मा भावे मिलाया जा सकता हो। “नवेन्दुना तन्नभसोपमेयम् ।" (रघु०) ल्य ट। १ प्रमाणविशेष, एक सुबूत। २ सादृश्य, (क्लो०) २ उपमाका विषय, मुथाबहतको चीज़। बराबरी। उप-मा करणे लुट। यह तीन प्रकारका जब दो वस्तु में उपमा लगाते है, तब बड़ेको उपमान होता है-सादृश्यविशिष्ट, असाधारण धर्मविशिष्ट और और छोटेको उपमेय कहते हैं। जैसे-'भूपतिको वैधर्मविशिष्ट पिण्डज्ञान। (सिद्धान्तचन्द्रोदय) ३ सादृश्यके कीर्ति हंसीकी तरह स्वर्गनदीका अवगाहन करतो हैं' ज्ञानका साधन, बराबरीको समझका सामान्। जिसके । इस वाक्य में हंसी उपमान और कीर्ति उपमेय है। . साथ उपमा देते हैं, उसे उपमान करते है। उपमेयोपमा (सं० स्त्री०) अर्थालङ्कार विशेष। इसमें उपमानोपमेयभाव (स पु०) उपमान और उप- उपमानकी उपमेय और उपमेयको उपमानसे उपमा मेयका सम्बन्ध, जो ताल्लुक मुशावहतको छोटी और दी जाती है। बड़ी चीजमें हो। . उपयज् (वै० स्त्री०) उप-यज उपपदे छन्दसि विच । उपमारण (वै० ली.) उप-मृ-णिच्-लुपट्। यज्ञमें विजुपे छन्दसि । पा २।७३ । पशयागाङ्ग यज्ञविशेष। अवभृथोदक, निकटसे वृतमें जलका निक्षेप। (शतपथब्रा० शा४) (शतपथबा० २।५।२।४६) | उपयन्ता, पयन्तु देखो। Vol III. 84
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३३४
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