पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३४४

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उपव्याख्यान-उपशोभ ३४३ उपव्याख्यान (सं० क्लो.) उप-वि-प्रा-ख्या-ल्य ट् । उपशान्तात्मन् (सं० वि०) शान्त हृदय, ठण्डे दिलवाला। माहात्म्य और उपासनादि कथन, तारीफको वात। । उपशान्ति (सं० स्त्रो. ) उप-शम-तिन् । १ निवृत्ति, "ओमित्ये तदक्षरं सर्व तत्रोपव्याख्यानम् ।" ( माण्डुक्य उप०१) कुटकारा। “वलमातभयोपशान्तये ।" (रघु ८३१) २ आरोग्य, उपव्याघ्र (सं० पु०) उपमितो व्यालेन। १चित्रक, सेहत। ३ निवारण, हटाव । ४ हास, कमी। चौता। (अव्य०) २ व्याघ्रके समीप, शेरके पास। उपशान्तिन् (स.नि.) १ शान्ति रखनेवाला, जो "उपव्य षस् (सं० अव्य.) उषःकाल बीतनेपर, तड़के के | भड़क न उठता हो। (पु.)२ शिक्षित हस्तो, पाल बाद। उपसि विगच्छन्त्याम् ।' (कर्काचार्य) हाथी। उपशम (सं० पु०) उप-शम-अच् । १ इन्द्रियनिग्रह, उपशान्त्वन (सं. क्लो०) शान्त करने का भाव, जिस इन्द्रियों को रोक। २ तृष्णानाश, लालच न रहनको । हालतमें ठण्डा रखें। बात।३ रोगोपद्रवशान्ति, बीमारीके बखेड़ेका दवाव। उपशाय (सं० पु०) उप-शो-वञ्। व्यपयोः शेते पर्याये । ४ निवृत्ति, छटकारा। पा ३३६। विशाय, सो रहने की बारी। "जगत्य पशमं जाते नष्ट यज्ञोत्सवाकुले ।" (भारत, वन २०५०) उपशायिता (सं० स्त्रो०) १ रोगको मुक्तिके साधनका उपशमक (संत्रि.) शान्ति देनेवाला, जो ठण्डा पथ्थ, जो चीज़ खानेसे बीमारो छट जातो हो। कर देता हो। २ शान्त करनेका भाव, ठण्ठे पड़नेको हालत । उपशमक्रम ( स०. पु०) साधारणौषध, मामूली दवा । उपशायिन् (स' त्रि०) समीप शयन करनेवाला, उपशमन (सं० लो०) उप-शम भाव ल्यट । १ उपशम, जो पास हो लेटता हो। २ शयनशील, सोनेवाला। दबाव। णिच-ल्य ट न वृद्धिः। २ निवारण, हटाव। ३ शयनके लिये प्रस्थान करनेवाला, जो सोने जा रहा उपशमनीय (सं० त्रि.) शान्त किया जानेवाला, जो हो। ४ शान्त कर देनेवाला, जो दबाता हो। निद्रा- दबने के काबिल हो। जनन, नौंद लानेवाला। उपशमशील (सं०वि०) शान्त, ठण्डा, जो भड़कता| उपशाल (स. ली.) १ ग्रहके समोपको भूमि, न हो। मकान्का अहाता। (अव्य०) २ ग्रहके समीप, घरके उपशय (सं० पु०) उप शोङ अपर्याये अच् । १ समीप- पास । शयन, पासका सोना। 'उपशयः सनोपश्यनम् ।' (सिद्धान्तकौ०) उपशास्त्र (स क्लो०) गौणशास्त्र, मामूली इल्म । २ व्याधि-ज्ञान-हेतु, बीमारीको पहंचानका सबब । उपशिक्षमाण (स.नि.) शिक्षा पानेवाला. जो यह खाद्य वा औषध विशेषके उपयोगसे देखा जाता है। सिखाया जाता हो। "हेतुव्याधिविपर्यासविपर्यस्तार्थ कारिणाम् । उपशिक्षा (स. स्त्री०) शिक्षाभिलाष, सोखने की . औषधानविहाराणामुपयोग मुखावहम् ॥ ख़ाहिश। विद्यादुपशय व्याधः स हि सामामिति र तिः।” (माधवनिदान) | उपशिक्षित (सं० वि०) शिक्षाप्राप्त, सोखा हुआ। ३ खाद्यादिके द्वारा व्याधिका दूरीकरण, खाना | उपशिङ्खन (सं० क्लो०) उप-शिधि-आघ्राणे ल्य ट। वग रहके जरिये बीमारीका छोडाव। १ आघ्राण, सुधाई। २ आघ्राणौषध, सूंघने को दवा । उपशरद (सं० अव्य.) शरद ऋतुके समय।। उपशिष्य (सं० पु०) शिष्यका शिष्य, जो चेलेका उपशल्य (सं० क्लो०) उपगतं शल्यम् । ग्रामके प्रान्तका | चेला हो। भाग, गांवके किनारको जमीन। (रघु १५६०) उपशीर्षक (सं० पु.) १ बालरोग, बच्चों को बीमारी। उपशाखा (सं० स्त्री) गौणशाखा, छोटी डाल। २ कपालरोग, मत्थे को बीमारी, चाई चुई। उपशान्त (सं० वि०) १ शान्त किया हुआ, जो दब | उपशुन (सं० अव्य०) कुक्क रके समीप, कुत्ते के पास। गया हो। २ थान्त, ठण्डा। ३ हासप्राप्त, घटा हुआ। ' उपशोभ (सं० लो०) उपगता शोभां सादृश्यन,