पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३६

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इन्दुजनक-इन्दु वटो इन्दुजनक (सं० पु०) इन्दोश्चन्द्रस्य जनकः । १ अत्रि-! इन्दुमौलि (सं० पु०) इन्दुः प्रीतिजनकतया मौलौ मुनि । पविजात शब्द देखो। २ समुद्र। समुद्रमन्थनसे चन्द्र शिरसि यस्य, बहुवो। महादेव। तपस्यासे तुष्ट हो निकला है। (भारत श्रादि १८५०) शङ्कर सर्वदा हो इन्दुकलाको अपने मस्तकपर धारण इन्दुजा (सं० स्त्री०) इन्दोर्जाता, इन्दु-जन-ड-टाप् । किये रहते हैं। (काशीखण्ड) नर्मदा नदी। इन्दुर (सं० पु०) मूषिक, चूहा। इन्दुर बिलेशय इन्दुदल (सं० पु०) चन्द्रकला, चांदका सोलहवां अर्थात् बिलका रहनेवाला है। बिल में रहनेसे इसका हिस्सा। मांस बातघ्न, मधुर, तहण, बदविणमूत्र और वीर्योष्ण इन्दुपत्र (सं० पु०) भूर्जवक्ष, भोजपत्रका पेड़ । होता है। (भावप्रकाश) इन्दूर देखो। इन्दुपुत्र, इन्दुज देखो। इन्दुरत्न (सं० लो०) ६-तत् वा इन्दुरिव शुभं रत्नम्, इन्टुपुष्पिका (सं० स्त्री० ) इन्दोरिव शुक्ल पुष्य यस्याः, कर्मधा० । मुक्ता, मोती। देवता चन्द्र होने और चन्द्र- बहुव्री० । लाङ्गलोवृक्ष, नारियल का पेड़ । जैसा शुभ्र रहनेसे मुक्ताका नाम इन्टुरत्न पड़ा है। इन्दुपोदको (सं० स्त्री०) वेल्लिका, किसी किस्मको इन्टुरसा (सं० स्त्री०) पिष्टकभेद, अंदरसा । चावल- बेल। को पीस दो हिस्से चीनी मिलाते और दहीका मोवन इन्दुफल (स' पु०-लौ०) पानातक, प्रामड़ा। डाल दूसरे दिन घीमें उसके छोटे छोटे पूर्व सावधानसे इन्दुभ (स० क्लो०) ६-तत्। १ मृगशिरा नक्षत्र । पकाते हैं। यह अति शीत, हृद्य और बलपुष्टिकर २ मृगशिरा नक्षत्रका स्वामी चन्द्र। ३ कर्कटराशि। | होती है। (वैद्यकनिघण्ट) इन्दुभा (स' स्त्री० ) इन्दुना भाति, इन्दु-भा-ड-आप् । इन्दुरा (सं० स्त्री०) सोमराजी, बाकची। १ कुमुदिनी, कोकाबेली। २ चन्द्रकिरण, चांदनी। इन्दुराज (सं० पु.) इन्दुना राजते, ३-तत्। १ चन्द्र- इन्दुभूषण (सं० पु०) इन्दुना भूषति, ३-तत् । नौल- कान्तमणि, चन्दरगांठ। २ कुमुद, कोकाबेली। पद्म, आसमानी कमल । इन्दुराजि, इन्दुरा देखो। इन्दुभृत् (सं० पु.) इन्टुं विभति, इन्दु-भ-क्किए । | इन्दुराजी, इन्दुरा देखो। महादेव, चन्द्रको सर्वदा कपालपर धारण करनेवाले इन्दुरेखा (स० स्त्री०) इन्दोलँखेव लेखा, रश्च लच शङ्कर। ६.तत्। चन्द्रकला, चांदका सोलहवां हिस्सा। इन्दुमणि (सं० पु०) इन्दुप्रियो मणिः, शाक-तत् । २ सोमलता। ३ सोमराजो, बाकची। ४ गुड़ची, १ इन्द्रकान्त, हजर-उल्-कमर, चन्दरगांठ । इन्दुरिव | गुर्च। ५ यमानी, अजवायन । शुभ्रा मणिर्वा । २ मुक्ता, मोती। इन्टुलेखा, इन्दुरेखा देखो। इल (सलो०) इन्दोमण्डलम्, ६-तत्। इन्टुलोक (सं० पु.) इन्दोर्लोकः, ६-तत्। चन्द्रलोक । चन्द्रविम्ब, चांदका घेरा। चन्द्रमण्डलका परिमाण | इन्दुलोह, इन्दुलीहक देखो। 8८० योजन है। (सिद्धान्त शिरोमणि) इन्टु लोहक (सं० लो०) इन्दोर्लाहम, स्वाथ कन । इन्दमत (सं० पु.) इन्दुविद्यतेऽत्र, इन्दु-मतुप। रौप्य, चांदी। चन्द्रदोषको शान्तिके लिये इन्दुलोहक १ रात्रि, रात। २ शिव। ३ मयर। ४ पूर्णिमा। दान करना पड़ता है। (वै०) ५ अग्नि । इन्दुलौह (सं० लो०) ६-तत् । लोह-धातु, आहन, इन्दुमती (सं० स्त्री०) प्रशस्तः इन्दु विद्यतेऽस्याः ।। लोहा। १ पूर्णिमा। २ अजराजको पत्नी और विदर्भराजको इन्दुवटी (सं० स्त्री०) औषधविशेष, एक दवा। भगिनी। | शिलाजतु, अन एवं लौह एक-एक और स्वर्ण इन्दुमुखी (सं० स्त्री०). पद्मिनी, कमलको बेत। ' चौथायी भाग कूट-पीस बढन्ते, शतमूली, आमलकी