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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३७४

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उमौचन्द ३७३ दौहित्र शिराजुद्दौला बङ्गालको गहीपर बैठेंगे। किन्तु विषयका तत्त्वावधान रखते थे। वह भयसे अन्तःपुरमें ढाकेके नवाब नवागिस मुहम्मदने शिराजके कनिष्ठ माता छिप बैठे। दूसरे दिन उन्हें निकालनेके लिये जब मुगदुद्दौलाके पुत्र को गोद ले लिया था। इसलिये अंगरेजी फौज मकान में घसी. तब अमीरचन्दके उनकी विधवापनीने अपने पोष्यपुत्रको बङ्गालके ३०० शस्त्रधारी सिपाहियोंने तलवार उठायो। युद्धमें सिंहासन पर बिठानके लिये प्रधान मन्त्री राजा दोनो ओरके आदमी हताहत इये। जमोदारोंके राजवल्लभके साथ मुर्शिदाबादके निकट शिविर लगाया। सरदारने सोचा-अंगरेज मेरे प्रभुके परिवारका अप- उस समय अमीरचन्द भी मुरशिदाबादमें हो रहे। राजा | मान करेंगे। इसोसे उसने अन्त:पुरमें भाग लगादी, राजबल्लभने इनसे और कासिमबाजारके प्रधान वाटस.. १३ स्त्रियों की गर्दन उड़ादी और अपनी छातीमें भी साहबसे बन्धुना बढायो। पोछे स्थिर हुआ तलवार भोंक ली। इसी बीच में अंगरेजोंके कुछ कुमारवष्णदास सपरिवार धनरब लेकर कन्न। सिपाही कृष्णदासको किलेसे पकड़ ले गये। चार कत्ते जायेंगे और अंगरेज तथा अमौरचन्द दानो लाखको लूट हुई थी। वहां उन्हें टिकायेंगे। कलकत्ते पहुंचते ही उनको नवाबको फोज कलकत्त के उत्तर भा पहुंची अमीरचन्दन उपयुक्त वासस्थान दिया था। थी। अमौरचन्दके जमादारने सेनापतिसे जाकर १७५६ ई० को वौं अपरेलको अलोवर्दीके मरते कहा-'उत्तरांशको अपेक्षा पूर्वदिक से आक्रमण ही शिवाजुद्दौला सिंहासनपर बैठे। दो-चार दिन | करने में सुविधा है। क्योंकि उधर कोई रक्षक नहीं है।' बाद ही उन्होंने कलकत्तेके अंगरेज अध्यक्षको लिखा जमादारके कहने पर पूर्वदिकसे नगर आक्रान्त कि-आप शीघ्र कृष्णदासको समस्त धनरत्नके साथ हुआ। फोर्टविलियमसे पाव कोस उत्तर-पूर्व बड़े- मुपिंदाबाद भेज दीजिये। चर-विभागाध्यक्ष राम बाजारमें नवाबको फौजने आग लगा दी। दुर्गसे रामसि हकै नाता स्वयं आदेशका पत्र ले कलकत्ते बाहर जो अंगरेजी सिपाही रहे, वह चार दिनतक आये। प्रमोरचन्द उन्हें जानते थे। कोन्सिल में बात किसी प्रकार लड़े-भिड़े; शेषको सब भाग खड़े हुये। जानपर स्थिर हुआ–'कासिमबाज़ारसे जो पत्र मिला २० वौं जनको सबेरे नवाबको फोजने दूने उत्- है, उसके अनुसार नवाजिश मुहम्मदके पोष्यपुत्र और साहसे दुर्ग पर आक्रमण किया था। जो अंगरेज शिराजुद्दौलाके सिहासन पानका झगड़ा अभी नहीं ट्गके मध्य रहे, वह हालवेलोको सेनापति बना और मिटपाया है। इसलिये आजकल ऐसा आदेश कैसे बाहर आ दृढ़तर बाधा डालने लगे। फिर उन्होंने चन सकता है। यह समस्त अमौरचन्दकी कल्पना हालवेल साहबसे अमीरचन्दको अनुरोध करा राजा है। उन्होंने हमें डराने और अपना प्रभाव जमानके मानिकचन्दके नाम एक पत्र लिखवाया और सूर्योदय लिये मिथ्या आदेशपत्र तथा दूत भिजवाया है। होत ही दुर्गके प्राकारसे शत्रु के मध्य फेंकाया। राजा दृतसे खाली हाथ जानकेलिये कहा गया। मानिकचन्द हुगलीके शासनकर्ता और नवाबको एक नवाबने जब इस व्यवहारसे अप्रसन्न हो कलकत्ते । बडी फौजके अधिनायक रहे। प्रमोरचन्दने अंगरेजोंके पर आक्रमण मारनका उद्योग किया, तब रामराम प्राण और टुगको रक्षाकेलिये उनसे अनुरोध किया सिंहने अपनी सम्पत्तिको रक्षा रखने के लिये असौर था। पत्र उठा तो लिया गया, किन्तु युद्ध न रुक चन्दको पत्र लिख दिया था। ये उक्त पत्र १३ वौं सका। दो बजेके समय फिर नवाबको फौज आगे जूनको पाते हो उस काममें लग गये। अंगरेजोंको | बढ़ी। हालवेल साहबने अमीरचन्दसे दूसरा पत्र सन्देह हुआ। उन्होंने अमीरचन्दको अपना शत्र समझ लिखाकर फेका। इसमें भी वही अनुरोध था। किले में कैद कर लिया था। मकान् पर फौजका अपराहके समय नवाबने दुर्ग में प्रवेश कर अमोर- डेरा पड़ा। अमीरचन्दके साले हजरीमल समस्त चन्द और कृष्णदासको बुलाया। यथा समय आन- Vol III. 94 .