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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३७५

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३७४ उमौचन्द पर नवाबने दोनोसे भद्र व्यवहार किया था। फौज : भेजवाये थे। उन्होंने फिर वाटसन साहबसे मिल अमौर- नगर लटने लगी। अमीरचन्दके मकान्से ४ लाख चन्दको एक स्वतन्त्र पत्र भी लिखा। लाइबके ऊपर रुपया, कितना ही होरा-मोती और सौदागरीका आदेश था-यदि नवाब इन सकल विषयों का कोई सामान निकल गया था। प्रतीकार न करे, तो आप मुरशिदाबाद और चन्दन- री जुलाईको नवाबने अमीरचन्दके साथ मुर्शिदा.. नगरपर आक्रमण करनेको चढें। अमीरचन्द यह बादको प्रत्यागमन किया। एक दिन पहले उन्होंने , सकल पत्र नवाबके पास भेजने में डरे। अवशेष पर ३री बन्दी अंगरेजोको कैदसे छोड़ अपने-अपने आवास जनवरीको कप्तान कूटने मानिकचन्द की फौज भगा जाने कड़ा था। अमौरचन्द होने मध्यस्थ बन और कालकत्ते का दुर्गं अपने अधिकारमें कर लिया था। नवाबसे कह सुन यह काम कराया था। उधर अंग दसरे दिन वाटसन साहब भी कलकत्ते पाये और रेजोंका भी सर्वस्व लटा और खानको कच्चा पैसा मिष्टर ड्रक गवरनर बनाये गये। तक न बचा था। अमीरचन्दने दयाके परवश हो १०वी जनवरीको (१८५७ ई. ) अमौरचन्द अपनी क्षति पर दृक्पात न किया और अंगरेजोंको मुरशिदाबादसे कलकत्ते लौट मिष्टर ईकसे मिले। अल्प-विस्तर. साहाय्य दिया। यह साथमें अपने दत्तक पुत्र दयालचन्दको भी ले इस घटनाके बाद अंगरेज सेनापतिने शराबके नशेमें गये थे । मिष्टर डेक, करनल लाइव, आड मिरल वाट- किसी मुसलमानको मार डाला था। नवाबने संवाद सन प्रभृति सकल ही कौन्सिलके एहमें बैठे। पाते ही धादेश निकाला-जिस अंगरेजको देखो, अमीरचन्द सबसे मिल भेट बात चीत करने लगे।. उसोको पकड़ कर, कैद करो। अंगरेज फ्रान्स और उस समय युरोपमें फान्सोसियों और अंगरेजोंसे डेनमार्कको कोठियोंको भागे और वहां भी सुभीता न युद्ध हो जाने की सम्भावना बो। लाइबने सोचा- देख फलतेको चलते बने। किसौके पास कौड़ी न इस समय नवाबसे लड़ना अच्छा नहीं किन्तु नवाब थी, सुतरां महा विपद् पड़ी। पन्तको जब नवाबको कलकत्तेके जयका संवाद सुन बहुत बिगडे थे। फौज अंगरेजोंका माल असबाब लट और नवाब सुतरां अंगरेजोने सेठोको मध्यस्थ बनाया। उन्होंने अलोवर्दी खांको स्त्रीके अनुरोधसे कासिमबाजारको अपने विश्वस्त. कर्मचारी रणजित रायको नवाब और कोठीक वाटस साहबको छोड़ लौट आयो, तब इस लाइबके बीच बात चीत चलाने के लिये नियुक्त देशक लोगोंने साहस पा सकल पलातक अंगरेजोको कर दिया। आहारादि देनेको ठहरायो थी। मवाब जब कलकत्ता जीत सुरशिदाबाद वापस इस समस्त विपद्का मूलकारण अमीरचन्द मान गये, तब साथमें अमीरचन्द भी रहे। वहां इन्होंने प्रेसिडेन्सीके अंगरेजोंने उनकी ही शास्तिका विधान नवाबके निकट प्रियपात्र मन्न लालसे मिल अपना किया। विशेष विश्वास जमा लिया था। इधर कलकत्ते में इधर जिन्होंने फलतेमें जाकर आश्रय लिया था, भी अमौरचन्दको बहुत कोठियो रहीं। इसलिये यह उन्होंने महा विपदमें पड़ मिष्टर मानिकरामको अंगरेजांके साथ नवाबका सद्भाव बढ़ाने के लिये मुर- • सैन्याध्यक्षके समभिव्याहारसे मन्द्राज भेज दिया। शिदाबादको गये थे। इन्होंने मन्ट्राजको कौन्सिलमें, पहुंच अंगरेजोंकी उधर ३. वौं जनवरोको नवाबको फौज गङ्गापार दुरवस्था बतलायो। वहांसे आडमिरल गोफक, वाटसन हो हुगलोकी ओर बढ़ी और ग्रामोसे अंगरेजोंकी और करनल लाइब बङ्गालको तरफ चले। १५ वौं रसद रोकनेका प्रबन्ध करने लगी। लोगों को आदेश प्रतोबरको लाइबका जहाज फलते पहुंच गया। हुआ-कोई ग्रामवासी किसी प्रकारका खाद्यादि शह- रमें बेच न सकेगा, अंगरेजी फौजका काम कोई कर