पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४०७

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छहीवधारी-उसमा ज्योकधारी (स० पु. ) उपोषं धरति, उष्णोष्ट. ! उमता (सं. स्त्री. ) उमस्य भावः, उप-तस् । उच्चता, बिनि। उच्चीव धारण करनेवाला,जो पगड़ी या साफा गरमी। बांधता हो। उमणा (स.पु.) उमाणं पिबति, उम-पा-क्तिप । सणीवो (सं.वि.) उष्णोषं प्रस्त्वस्य, उपोष-इनि। १ पिढलोक विशेष। २ उमपानकारी तपखिविशेष । १ उष्णोषधारी, पगड़ी या साफा बांधनेवाला। (पु०) "सुकालिनो वहिषद उमपा भाज्यपास्तथा ।” (युति ) २ महादेव। उमभास् (सं० पु०) सूर्य, प्राफताब । __ "उनीषीव सुवक्वत्र उदयो विनतस्तथा।" (भारत, अनु १७०) समवत् (सं०वि०) उष्म-मतुप, मस्य वः । उपविशिष्ट, उष्णोदक (सं० क्लो०) उष्णश्च तत् उदकञ्चेति,कर्मधा। गर्म। "वरदाहोष्भवती इद्धिम् ।" (सुश्नुत ) उमजल, गर्मपानी। यह अर्धावशेष, विपादावशेष, उखद (स.पु.) उपचासौ खेदश्चेति, कर्मधा। चतुर्था शावशेष भेदसे अनेक प्रकारका होता है। उपखेद, गर्म पसीना। खेद देखो। साधारणत: कुछ काल तपा कर भी उदक व्यवहार किया जाता है। वैद्यकोक्त साधारण उष्णोदक श्रोत्र- उमा (स.पु.) उष-मनिन् । १ ग्रोमकाल, गरमौका हितकर, कास, ज्वर, विरुद्ध कफ, वात एवं प्रामका मौसम। २ उत्ताप, गरमी। उम देखो। प्रशमक, मेदविनायौ, पन्ध होपक और वस्तिपरिशोधक उमागम (म० पु०) उमा पागम्यते यत्र, पा-गम- है। ग्रोममें पर्धावशेष, शरतकालमें एकांशावशेष, अप्। पौषकाल, गरमौका मौसम। हेमन्त, गीत एवं वसन्सकालमें अर्धावशेष और वर्षा- उमान्वित (स.वि.) उत्तेजित, भड़का हुआ। कालमें अष्टमांशावशेष उष्णोदक पीना चाहिये। उभाय । नामधातु) उमाणमुहमति, उमन्-क्वड । पादावशेष पित्तविनाशक, अर्धावशेष वातप्रशमक और इसका अर्थ उमा उद्दमन करना या पाग उगलना है। विपादावशेष उष्णोदक कफनाशक है। (भावप्रकाश) उमायण (स.पु.) ग्रोमकाल, गरमौका मौसम। दिनको जो तपाया जाता, वह जल रातको गुरु उमोपगम, उपायष देखो। हो जाता है। इसलिये दिनका उष्ण जल रातको उष्यल (सं. लो०) चारपाईका ढांचा। व्यवहार नहीं करते। रातको नया जल उष्ण कर उस (हिं. सर्व०) तत्, वह। यह शब्द 'व' का काममें लाना चाहिये। उष्ण जलका मान भी विशेष रूपान्तर है। विभक्ति लगनेसे 'वह' के स्थानमें 'उस' उपकार साधक है। किन्तु मस्तकपर उष्णोदक प्रादेश होता है। जैसे-उसने, उसको, उससे, उसका, छोड़ना न चाहिये। उससे केश और चक्षुकी अपकार उसमें, उसपर। 'उस' अन्य पुरुष एकवचनका रूप पहुंचता है। है। बहुवचन 'उन' है। उष्णोपमम (सं० पु.) उष्ण उपगम्यते प्रत्र, उण्य-उप- उसकन (हिं. पु.) १ बसन, जना, बरतन मांजनेका गम-अप। ग्रीषकाल, गरमीका मौसम। बान या पयाल वगैरहका मुढा । २ उभार, उठाव । उस (स.पु.) उष-मक् । १ग्रीमकास, गरमौका | उसकना, उकसना देखो। मौसम। २ उत्ताप, धूप। ३ तीव्रता, वेज़ो। ४ क्रोध, | उसकामा, उसकारना, उकसाना देखो। मुस्मा। ५श, ष, सौर ह चार वर्ण। उसगन (हिं.) अपशकुन देखो। उमक (सं• पु० ) उप-कन्। ग्रीमकाल, गरमौका उसनना (हिं. नि.) १ उबालमा। २ मांडमा, पानो मौसम। मौसम। डालकर गूंधना। उमज (स.वि.) उष्णज, मरमोसे पैदा होनेवाला। उसना (हिं. वि.) घाला हुआ, गर्म किया हुआ। (पु.) २ खुदकोटादि, गरमोसे पैदा होनेवासा जिस चावलको पानी में डाल उबालते और भस्रो कौड़ा। जैसे-मच्छर, खटमल बगैरह।, निकासवे, उसे उसना नामसे पुकारते है।