पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४२५

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१२४ ऋक्षगन्धा-केटकसम उन्होंने नर्मदाके कूलपर पहुंच मृत्तिकावती। करनेसे यह कठोर लगता है। पाकृति' ऋक्षको मगरीपर अधिकार किया और ऋक्षवान् पर्वतको जीत जिहा-जेसी होती है। शक्तिमतोमें डेरा डाल दिया। ऋक्षनाथ (सं. पु०) ऋक्षाणां नाथः, ६-तत्। १ नक्ष- मृत्तिकावती और प्रक्रिमती देखी। देखर चन्द्र, चांद। २ जाम्बवान्। यह कृष्णपली २ भन्नक, भाल, गैछ। ३ शोणक वृक्ष, एक पेड़। जाम्बवतीके पिता थे। ४ पुरुवंशीय अजमीढ़ गजाके पुत्र। ५ पौरव विदू- ऋक्षनमि (सं० पु०) विष्णु । रथके पुत्र। ६ पुरुवंशीय अरिह राजाके पुत्र। ७ ऋक्षपति, ऋचनाथ देखो। मेरुके निकटस्थ एक पर्वत। (वि.) ८ वतवेधन, ऋक्षर (सं० पु०) ऋष्-कसरन् । तन्वृषिमयां कमरन् । मारा हुआ। उप ३।७५ । ऋत्विक ब्राह्मण । ऋक्षगन्धा (स. स्त्री०) ऋक्षस्येव गन्धो यस्याः, ऋक्षराज (सं० पु०) ऋक्षाणां राजा, ऋक्ष-राजन्- बहुव्री। वृहदारक वृक्ष, एक पेड़। दूमरा नाम टच् ! राजाः सखिभ्यष्टच्। पा ५४॥१८॥ १ चन्द्र, चांद । छागलान्त्री, प्रविमी, वृद्धदारक, जुङ्ग, युगाक्षिगन्धा, | २ जाम्बवान् । (हरिवंश ३।४८) छगला, महाश्यामा, जालो, जीण वल्कन, कोटरपुष्यो, ऋक्षला (सं० स्त्री०) ऋच-सलच् गुणाभावः । गुल्फाध:- ऋक्षगन्धा, वागलानी, अन्त्री, जुङ्गा, छगलो, जुतक, स्थित नाड़ी। श्यामा, छागलान्त्रिका, दोघवाहुका, वृद्धा, और ऋक्षवन्त (सं० लो०) शम्बरासुरको राजधानी। अजान्बी (Argyreia speciosa, sweet) है। “समृचावन्त नगरे निहत्यासुरसत्तमम्।” (हरिवंश १६ अ० ) वैद्यक मनसे यह रसायन, वायुनाशक, बलकर ऋक्षवान (स पु०) ऋक्ष मतुप मस्य वः। ऋचगिरि देखो। तथा पिच्छिल रहता और शोथ, आमवात, कास, श्वास ऋक्षविभावन (म. ली.) नक्षत्रोंको गणना। एवं न्वररोगपर चलता है। वौजादि ग्रहण करना ऋविल. (स• पु०) दक्षिणी महेन्द्र पर्वतका एक चाहिये। मात्रा दो माषा है। यह वृक्ष भारतवर्ष के वृहत् गहर। हनूमानादि वानर सौताको ढढते पश्चिमाञ्चलमें बहुत होता है। २ ऋषिजाङ्गलवृक्ष । टूढ यहीं पाकर पथ भूले थे। (रामायण) आज कल ३ चौरविदारी वृक्ष। . सिंहलहोपमें पादमशृङ्ग पर्वतके निकट इसके रहनेका ऋक्षश्विका (सस्त्री.) ऋक्षगन्धा स्वार्थ कन्-टाए, | अनुमान लगाते हैं। अत इत्वच । कृष्णभूमिकुम ण्ड, काला बिलारी | ऋक्षहरोखर ( स० वि०) ऋक्षों और कपियोंके प्रभु। कन्द। संस्कृत पर्याय चौरविदारी, महाखेता और ऋक्षीक (स.वि.) ऋक्ष इव, ऋक्ष इवार्थं । भल्लू कके चौरिका है। समान हिंस्र जन्तु,जो जानवर रोछ-जैसा खखार हो। ऋक्षगिरि ( सं० पु.) ऋक्षचायं गिरिश्चेति, कर्मधाः । ऋक्षेश (स० पु०) ऋक्षाणां ईश:, ६-तत् । चन्द्र, चांद। सप्तकुलाचलके मध्यका एक पर्वत । | ऋक्षेष्टि (सस्त्री०) ऋक्षविशेषमाश्रित्य दृष्टिः, मध्य- गहोयाना देशमें पड़ता और रैवतक पर्वतसे निकलता पदलोपो। नक्षत्रावशेषके उद्देश्यसे किया जानेवाला है। अच देखो। एक यन्न। शक्षग्रोव (सं• पु० ) एक पिशाच । ऋक्षोद (स. पु.) पर्वत विशेष, एक पहाड़। ऋक्षचक्र (सं. को०) ऋचाणां चक्रम, ६-तत्। ऋक संशित ( वि.) ऋक् द्वारा उत्तेजित किया राशिचक्र। हुधा। क्षजित (स'• यु.) कुष्ठरोग विशेष, किसी किस्मका ऋक्संहिता (सं० स्त्री०) ऋचा संहिता, 4-तत्। कोट। इसमें वेदना बहुत बढ़ती है। इधर-उधर रक्त ऋग्वेद। पौर मधमें पौत मिश्चित वय वर्ष रहता है। स्पर्श । ऋक्सम (स• को०) ऋचा समम्, ३-तत् । सामविशेष यह पहाड़