पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४४३

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ऋवेयु-ऋधत् ऋतेयु (सं० पु०) १ ऋषिविशेष । यह वरुणके ३ दूरपाती। ४ ममैवेधी, जोड़ फोड़नेवाला । ५ गमन- पुरोहित थे। २ एक राजा। ( महाभारत) । ! वेधो। ६ दूरभेदो। (निरुक्त दा३३) ऋतोक्ति ( स० वि०) सत्यभाषण, रास्तगोई। ऋदूध, ऋद्या देखो। ऋतोद्य (वै० लो०) ऋत-वद-क्यप् । सत्यवाक्य, सच ऋद्ध (सं० लो०) ऋध-त ।१ मंडा धान्य, जो अनाज- बात। । भूसीसे अलग कर दिया गया हो। २ सिद्धान्त, ऋत्वन्त (स'• पु०) ऋतुकालको समाप्ति, महीनेका कौल। ३ वृद्द, दुजुर्ग। ४ समृद्ध, दौलतमन्द । अखीर। ५ सम्पन्न, खुश ऋत्विक् (सं० पु. ) ऋतो यजते, ऋतु-यज-क्तिन, ऋद्धि (सं० स्त्री.) ऋध-क्तिन् । १ वृद्धि, बढ़ती। निपातनात् साधुः। १ पुरोहित, वैदके मन्त्रोंसे यज्ञ में २ सम्पत्ति, दौलत। ३ सिद्धि, करामात। ४ पावती। कर्मकाण्ड करानेवाला। संस्कृत पर्याय याजक, भरत, ५ लक्ष्मी। ६ देवताविशेष। ७ वैद्य कोक्त अष्टवर्गके कुरु, वागयत, वृत्तवहीं, बतश्रुक, मरुत, सबाध और अन्तर्गत ओषधि विशेष। इसे लोग प्रायः ऋद्धि-वृद्धि देवयव है। चार ऋत्विक् प्रधान होते हैं, होता, कहते हैं। यह लताजात, सरन्धक और खेत उद्गाता, अध्वयु र ब्रह्मा। फिर बड़े यज्ञों में लोमान्वित होती है। ऋद्धि देखने में तूलग्रन्थि के समान कहीं पाठ और कहों सोलहतक ऋत्विक् रहते हैं। लगती और वामावर्त से फलती है। (राजनिघण्ट ) यथा-ब्राह्मणाच्छ'सी, प्रस्तोता, मैत्रावरुण, प्रति गुणमें यह वृद्धिके तुल्य है। ऋछि बल्य, त्रिदोषन्न, प्रस्थाता, पोता, प्रतिहर्ता, अच्छावाक, नेष्टा, अग्नीध, शुक्रल, मधुर, गुरु एवं ऐश्वर्य कर रहती और मूर्छा सुब्रह्मण्य, ग्रावस्तुत् और उन्नता । २ काव्योक्त नायकका तथा रक्तपित्तको दूर करती है। (भावप्रकाश ) ८ महा- धर्मसहायविशेष । “ऋत्विक् पुरोधसः स्वत्र अविदस्तापसास्तथा धर्म" श्रावणी, गोरखमुण्डी। ८ कुवेरपत्नी। (साहित्यद० २।३१) ऋद्धिकाम (सं० त्रि०) सम्पत्ति वा अभ्युदयका अभि- ऋत्विय (वै त्रि०) ऋतु-घस् । छन्दसि घस । पा ५॥१॥१०॥ लाषी, जो अपनी बढ़ती चाहता हो। १ ऋतुकालोपस्थित, मौसमपर पहुंचा हुआ । २ ऋतुः ऋद्धिजा ( स० स्त्री०), १ सर्पगन्धा, नागदेवना । कालोत्पन्न, मौसममें पैदा हुआ। ३ ऋतुकालका २ गन्धरास्ना, खुशबूदार गिलोय । कर्तव्य, जो मौसममें किये जानेके काबिल हो। ऋद्धिमत् ( स० वि० ) ऋतिरस्यास्तोति, ऋद्धि-मतुप् । ४ नियमित, पाबन्द । (लो०) ५ ऋतुकाल, औरतके १ वृद्दियुक्त, बढ़ा हुआ। २ सम्पत्तिशाली, दौलतमन्द । महीनेका वक्त। ३ सिद्दियुक्त, करामाती। ऋत्वियावत् (वै० वि०) ऋत्वियमस्यास्तीति, ऋत्विय- ऋचिसाक्षाक्रिया (सं० स्त्री०) अलौकिक शक्तिका मतुप, मस्य वः दीर्घश्च। १ पुत्रोत्पादनकर्मयुक्त, जो प्रदर्शन, अनोखी ताकतका काम । लड़का पैदा करने में लगा हो। २ व्यवस्थानुरूप, ऋद्धिसिद्धि (स० स्त्री०) सुखसम्पत्ति, ठाटबाट, धम. कानूनी। धाम, अमन-चैन। ऋत्वा (वै• वि.) ऋतुरस्य प्राप्तः तत्र भवः वा, ऋत-! ऋध् (धातु) दिवा• स्वादि पर० प्रक० सेट् उदित् यत्, संज्ञापूर्वक-विधेरनित्यत्वात् गुणाभावः अजवच्च । इरिच्च । “ऋध्युनिर् वृद्धौ ।” (कविकल्पद्रुम) वृद्धि पाना, बदना। ऋत्विय देखी। ऋधक् (सं० अव्य.) १ सत्य, सच, बेशक । २ वियोगसे, ऋदूदर (वै• पु०) मृटु उदर यस्य, पृषोदरादित्वात् अलग-अलग। ३ शोघ्र, जल्द, फौरन्। ४ निकट, मस्य लोपः। १ सोम। (त्रि.) २ मृदु-उदरविशिष्ट, पास, करीब। ५ लाघवपर, घटकर। मुलायम पेटवाला, भला। ऋधत् (स.वि.) ऋध-पढ़। वधित होनेवाला. ऋदपा (वै. पु.) १ अर्दनपाती। २ गमनपाती।। जो बद रहा हो।