एदिधिःषुपति-एमन् हाथ लगा। किन्तु उन्होंने एककाल अधिकार न : एध (स० पु०) इन्धते अनेनाग्निः, इध्य-घन निपा- जमा शिवसिंहके साथ करका प्रबन्ध डाला था। प्रति तनात् साधुः। हलय। पा श६१३१। इन्धन, जलानेको वर्ष ईडरके निमित्त २४०००) और अहमदनगरके | लकड़ी। निमित्त ८९५०) रु. धार्य हुआ। १७८१ ई. को एधतु (सं० पु०) एध-चतुः । एधिवहोचतुः । उण १७६ ! शिवसिंह मरे थे। उनके पांच पुत्र रहे। ज्येष्ठ १ पुरुष, मद। २ अग्नि, आग। (त्रि.)३ वृद्धि- भवनसिंह राजा बने थे। किन्तु अल्पदिनके मध्य ही युक्त, बढ़ा हुआ। परलोक जानेपर उनके दशवर्षवाले बालक पुत्र गम्भीर एधनीय (सं. त्रि.) वृद्धियोग्य, बढ़ाया जानेके राय सिंहासन पर बैठे। उस समय राज्य विशृङ्खल | काबिल। हो गया था। शिवसि हके दूसरे पुत्रों में कोई अहमद- | एधमान ( सं० त्रि. ) एध-शानच । वध मान, नगर ले स्वाधीन बना और कोई मोरसासुर प्रभृति बढ़नेवाला। अधिकार कर कुछ काल तक भोगविलासमें पड़ा। एधमानबिष (वै० त्रि०) वर्धमान अयोग्य व्यक्ति- शिवसिंहके द्वितीय पुत्र संग्रामसिंहके मरने पर उनके । योसे हेष रखनेवाला, जो बढ़नेवाले बुरे लोगोंसे नफ- पुत्र करणसिंहको उत्तराधिकारसूत्रसे अहमदनगर | रत रखता हो। ( साथण) । मिला था। १८३५ ई०को इहलोक छोड़नेपर एधा (सं० स्त्रो०) एध-अ-टाप । समृद्धि, बढ़ती। करणसिंहके पुत्र भक्तसिंह उत्तराधिकारी हुये। एधाहार (सं० पु.) इन्धन एकत्र करनेवाला. जो १८४३ ई०को उन्हें फिर योधपुरका राज्य मिल गया। जलाने की लकड़ी एकत्र करता हो। उस समयसे भक्तसिंह योधपुरमें रहने लगे। किन्तु एधित (स० त्रि०) एध-क्ल । वृद्धिप्राप्त, बढ़ा हुआ। उन्होंने अहमदनगरका स्वत्व छोड़ा न था। १८४६ एधितव्य, एधनीय देखो। ई०को ब्रटिश गवरनमेण्टके प्रबन्धसे अहमदनगर, एधिता (स० त्रि०) वर्धमान, बढ़नेवाला। मोरासा और बायाड़ फिर ईडर राज्यमें सम्मिलित एन: ( स० क्लो. ) एति गच्छति प्रायश्चित्तादिना, इण- हुआ। उस समय अंगरेज-भक्त महाराज युवानसिंह | असुन् नुड़ागमश्च । १ पाप, गुनाह । २ अपराध, जुम। (K. c. s. I.) ईडरके राजा रहे। १८६८ ई०को वह | ३ निन्दा, बदनामी, बुराई। ४ शाप, बद-बखू तो। मर गये। १८८२ ई०को उनके पुत्र केशरीसिंह ईडरके एनस, एनस देखो। महाराज हुये। यही दण्डमुण्डके कर्ता थे। इनके एनी (सं० स्त्री० ) १ नदो, दरया। (हि. स्त्रो०) वृक्ष- सम्मानार्थ १५ तोपको सलामो बंधी। आज भी | विशेष, एक पेड़ । यह दाक्षिणात्य के पश्चिमघाटमें उप- ईडरके महाराज गायकवाड़को ३०६४१) रु० कर जती है। काष्ठ दृढ़ तथा पोत मिश्रित ध सर वर्णका देते हैं। रहता और यह एवं वस्तु के निर्माण में लगता है। ___.२ ईडर राज्यका प्रधान नगर। यह अक्षा. एबा, अबा देखो । २३°५० उ० और द्राधि०७२°४ पू०के मध्य अवस्थित एम (सं. त्रि०) दूण कर्मणि म। १ प्राप्य विषय, है। लोकसंख्या छह हजारसे अधिक निकलेगो। मिलने लायक चीज़। (पु.)२ माग, राह ।। ईडरमें डाकघर और औषधालय विद्यमान है। एमन् (स० लो०) इण-मनिन्। १ पथ, राह । एदिधिषुःपति (सं० पु०) अविवाहित ज्येष्ठ भगि- २ अवस्थितिस्थान, मुकाम। ३गमन, रवानगी। नौको कनिष्ठ भगिनीका खामो, बेव्याही बड़ी बहनको एमन (हिं. पु०) रामविशेष। यह श्रीरामका पुत्र छोटी बहनका खाविन्द। . समझा और रात्रिके प्रथम प्रहर गाया जाता है। स्वर एध ( स० धा० ) भा० आत्म० अक० सेट । तीव्र मध्यम रहता है। एमन कल्याण और केदारेके "एधक उदौ ।” ( कविकल्पद्रुम) वृद्धि पाना, बढ़ना। योगसे बना है।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४८७
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