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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४९३

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४५२ एलापत्र -एलिचपुर भोटदेशीय बौह अन्य लिखते-बुद्धदेव जब तुषित। बौद्योत प्राचीन एलापत्र नागका इद स्थिर किया है। नामक लोकमें रहे, तब उन्होंने दो श्लोक कहे ( Archeological Survey of India, Vol. II. p. 135.) थे। बुद्ध जन्मसे पहले कोई वह श्लोक पढ़ न एलापर्णी (सं० स्त्री.) १ वृक्षविशेष, एक पेड़। सकता था। सुवर्ण प्रभास नामक एक नागराज वही २ राना। शोक तक्षशिलावासी एलापत्रको दिखाकर बोले-तुम एलापुर-एक प्राचीन गिरि वा गिरिदुर्ग। प्राचीन सर्वत्र गमन करो; जो इसका अर्थ लगा सकेगा, शिलालिपिके अनुसार इस दुर्ग वा गिरिमें पह्नवराज उसको एक लाख रुपया मिलेगा। एलापत्र उनको कृष्ण रहते थे। इसोके निकट स्वयम्भूमन्दिर भी बासपर नाना स्थान घूम वाराणसीके ऋषिपत्तन नामक रहा। कनिहम साहबके मतसे वर्तमान सोमनाथ एक मनोरम स्थान में उपस्थित हुये। वहां नलद | पत्तनका अपर नाम एलापुर है। ( Ancient Geogra- नामक किसी व्यक्तिने बुद्ध के उक्त श्लोकका उन्हीं के मुखसे phy of India, p. 319) किन्तु पुरातत्त्व वित् फिटके अर्थ श्रवण किया था। पौछे एलापत्रने उनका अथे मतसे यह स्थान उत्तर कनाडे के अन्तर्गत है। भाज- नलदके मुख्से सुना। अर्थ सुनते ही इनके ज्ञानचक्षु कल इसे एल्लापुर कहते हैं। यह अक्षा. १४.५८' अमोलित थे। बहके निर्वाण पीछे बौद्धोंके कई दल उ. और दावि. ७. १७५० पर अवस्थित है। अत्याचारसे पीड़ित हो गान्धार राज्यको जाते थे। ( Indian Antiquary, Vol. XI. p. 824 ) उसी समय भोट-सैन्यका एक दल भिक्षुकीके पीछे लग एलाफल (स'• क्लो०) १ एलवालुक, एक खु.शबूदार' । गया। बौद्ध भिक्षुक कि सौ इदके किनारे पहुंचे थे। चौज। २ सध कवृक्ष, मौलसरोका पेड़ । उसी जगह नागराज एलापत्र वृद्ध मनुष्यका वेश बना एलाबालुक, एलवालुक देखो। उनके सम्मुख देख पड़े। वह अपना अपना दुःख बता एलाबू (स० स्त्री०) अलाबू, लौकी। बोले-हम अपनी जीवन रक्षा और जीवन निर्वाहके एलायुग्म (स• लो०) सूक्ष्म तथा स्थूल एला, लिये गान्धार राज्यको जाते हैं। एलापत्रने कहा- छोटी और बड़ी दोनों इलायची। इस स्थानसे गान्धार ४५ दिनका पथ है ; तुम्हारे पास एलालु (स क्लो०) एलबालक, एक खु.शबूदार चीज़। १५ दिनका पथ्य देख पड़ता, अवशिष्ट दिन कैसे अति- एलावती (सं. स्त्री०) एला प्रसवत्वेन अस्तास्याः वाहित करोगे। भिक्षुकोंने समझा समूह विपद् है। एला-मतुप मस्य वः। एलालता, एलायचौकी बेल। फिर सब ही आर्तनाद करने लगे। एलापत्र सबको एलाव (सं० क्लो०) एलबालुक, एक खु.शबूदार चीज़ । ढाढ़स देकर बोले-तुम मत रोवो, धर्मके लिये हम एलिचपुर-१ बरार प्रान्तका एक जिला। यह अक्षा. जीवन दे सकते हैं ; इस हृदपर हम सेतु बन कर २०.५०३.” तथा २१.४६३०” उ० और द्राधि० रईगे, तुम अनायास अल्प दिन में ही गान्धार पहुंच ७६ ४० एवं ७७°५४॰पू॰के मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल २१२३ वर्गमौल है। उत्तराधः पहाडियों उसी हुदपर सो गये। भिक्षुक अनायास उनको और घाटियोंसे भरा है। वैराटका पर्वतशृङ्ग समुद्र- पीठके सहारे उत्तीण हुये। उसी अवस्था में एलापत्रने तलसे ३८८७ फीट ऊंचा है। दक्षिणांश समतल है।। प्राण छोड़ा था। इदके सूख जाने पर उनका देह अनेक क्षुद्र नदी वारधा और पूर्णामें जाकर गिरी हैं। पर्वतप्रमास बन गया। एचिलपुर नगरसे अमरावतीको पक्की सड़क गयो है। चीन-परिव्राजक फा-हियान और युन-चुयङ्गने देशी राई और पगडंडियां बरसातमें बन्द रहती हैं। तक्षशिलामें एलापनद देखा था। ( Fo Kwo Ki, पहाड़ोंपर कोमी, मल्हार और दूलघाटको राह गाड़ी'. Ch, XXXV; Si-YA-Ki, Bk. III.) कनिङ्काम साहबने चलती है। इस जिलमें प्रामके बाग बहुत हैं। लोक- वर्तमान इसन-प्रबदलके 'बाबावली' नामक प्रसवणको संख्या प्रायः सवा तीन लाख है। हिन्दुवाम शैवोंका