पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४९५

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४५४ एलौका-एलेनबरा गुहा पश्चिम पर्व तमें समुद्रतलसे २५. फोटे ऊंचे | वर्षके एक गवरनर-जनरल। यह प्रथम लार्ड एलेन- अवस्थित है। जहाजसे उतरने पर पौन मौल टेढ़ा- | | बराके ज्येष्ठ पुत्र रहे। १७८० ईको इन्होंने जम्म- मेढ़ा चलना पड़ता है। गुहाका हार उत्तरको है। ग्रहण किया था। १८१८ ई०को इन्हें लार्ड उपाधि उत्तरसे दक्षिण और पूर्वसे पश्चिम दोनों ओरको लम्बाई मिला। फिर छक अव वेलिङ्गटनके शासनकाल १३० फीट है। पहले २६ स्तम्भ और ६ उपस्तम्भ एलेनबरा बोर्ड-अव-कन्ट्रोलरके सभापति हो गये। लगे थे, जिनमें पाठ टूट गये। त्रिमूर्तिका कारकार्य १८४२ ई०को शासनका भार उठा यह भारत आये प्रशंसनीय है। शङ्करको ब्रह्मा, विष्णु और शिवके। थे। जो सुख्याति लार्ड प्राकलेण्डके भाग्य में न रही, रूपमें देखाया है। उच्चता १७ फोट १० इञ्च है। इन्होंने वही मुख्याति पाने के लिये चेष्टा को । एलेनबरा १८६५ ई को किसी दुष्टने त्रिमूर्ति के दो मुखको नाके | चाहते थे-निर्विवाद एवं सुखस्वच्छन्दसे कार्य चन तोड़ डाली थीं। पीछे भी दूसरी मूर्तियोंपर अत्या जाये, किन्तु इनके भाग्यसे वैसा न हुआ। १५वौं चार होनसे 'सरकारने कड़ा पहारा बैठा दिया है। मार्च के दिन एलेनबराने प्रधान सेनापतिको लिखा त्रिमूर्तिक रक्षक दो हारपाल हैं। एक १२ फोट था-"अंगरेजोंके गौरवको रक्षा करना होगा। अपनी इंच और दूसरा १३ फोट ६ इंच ऊंचा है। किन्तु | सामरिक मर्यादा फिर जमाना पड़ेगी। जिनके लिये दोनों प्रतिमाके मुख बिगड़ गये हैं। कितने ही अंगरेजी सैन्य अकाल कालके कवल में चला और जिनके कमरे बहुत उम्दा बने हैं। अनेक प्रतिमा अनोखो हाथों अंगरेजी नरनारियोंको बन्दी बन अपमान तथा । देख पड़ती हैं। दूसरी गुहाका द्वार उत्तर-पूर्व है। दुःख उठाना पड़ा, उन दुईत्त अफगानोंको शासन लम्बाई कोई ११० फोट पड़ती है। उत्तर किनारे करना है। जलालाबाद, गजनी, खिलतखिलजी और मन्दिर बना है। किन्तु यह गुहा बिलकुल टूट फूट 'कन्दाहारसे अंगरेजी सैन्य अपना अपना कार्य कर गयी है। 'सौता बाईको दीवाल' दूसरी पहाडीपर वापस आये। फिर अफगानस्थानमें उसके रहनेका कोई है। पहले फाटकपर मरमरको बहुत उग्दा मेह-. प्रयोजन नहीं। जिन राजा (शाहशुजा) को हमने राब बनी थी। गुहाके निर्माणका समय ठहराना अफगानस्थानके सिंहासनपर बेठाया था, वही अब कठिन है। कोई पाण्डवों, कोई वाणासुर और अपने स्वजातियोंके निकट उपयुक्त देख नहीं पड़ते।" कोई सिकन्दरका नाम लेता है। शिलालेख कहौं उस समय अफगानप्रान्तमें रणका वाद्य बजता नहीं। शिवरात्रिको यहां बड़ा मेला लगता है। था। उत्तरभागमें अंगरेजोंके जयनादसे भूमि थरथर देशी नाम गाढ़ापुरी है। गाढापुरी देखो। कांप उठी। फिर दक्षिणभागमें अंगरेजोंको हाहाकार एलोका (सं० स्त्री०) श्रा-ईल-ईकन्-टाए। सूक्ष्म ला, ध्वनिसे समस्त राज्य प्रमाद समझता था। एलेन- छोटी इलायची। बराने प्रधान सेनापतिको लिखने पोछे हो सुना, कि एलीय (सं० पु०) एल-बालुक, एक चीज़।। सेल और पोलकके . समरकौशलसे जलालाबादमें एलु (सं० लो०) संख्याविशेष, एक अदद। अंगरेजी सैन्य ने जय पा लिया। किन्तु दक्षिणमें बड़ो एलुक (सं० लो०) इल-उक। एलवालुक, एक विपद रही। सेनापति इङ्गलेण्ड पिसोन उपत्यकासे खुशबूदार चीज़। हिलकजई प्रदेशको राह जाते थे। उसी अज्ञातपूर्व एलुकाख्या (सत्रि०) एलुक देखो। स्थानमें वह विपक्षके हाथ हार गये। युद्ध में उनके एलुवा (अं० पु० = Aloes.) कुमारीरसोद्भव बोल, ५०० सिपाही मरे। वह कुएटामें वापस पा पौर सहा, सिख, मुसब्बर। खाईबना अपने दलसे आत्मरचा करते थे। एलक, एक देखो। ___एलेनबराका मत बदला। इन्होंने कहसा भेजा एलेनवरा (Edward Law Ellanborough)-भारत-। था-२५वों मार्चको इचण्डका सेनादल पभावनौय