पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५०

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इन्द्रजालविद्या-इन्द्रतूल ४६ गर्भ शुष्क चिकित्सा-गर्भ शुष्कता दोषको शान्ति- इन्द्रजित् सिंह-बुदेलखण्डके एक राजा । इनके पिता- के लिये सिता मिलाकर गोदुग्ध पिलाना चाहिये। का नाम मधुकर था। इन्द्रजिसिंह ओरछा नगर अथवा यष्टिमधु और गम्भारीफल समभाग बांटकर में निवास करते थे। ये एक अच्छे कवि थे। इनकी गोदुग्ध सहित खिलाना योग्य है। सभाकी शोभा केशवदास और प्रवीणराय नामक दो ___ सुखप्रसव-योग-श्वेत पुनर्णवाके मूलका चर्ण बना कवि बढ़ाते थे। प्रवीणराय एक रण्डीका नाम था। योनिमध्य डालनेसे तत्क्षणात् गर्भ प्रसव होता है। वह सुमधुर कविता बना सकती थी। एकबार दिल्ली के वासक वृक्षका उत्तरदिकस्थित मूल उखाड़ और सप्त सम्राट्ने गुणको प्रशंसा सुन उसे बुलाया, किन्तु राजा गुण सूत्र द्वारा लपेट कटिपर धारण करनेसे प्रसव में इन्द्रजितसिंहने न जाने दिया। उसे अकबर बादशाह कष्ट नहीं पड़ता। सहदेवीका मूल कक्षमें बांधनेसे बहु ऋद्ध हुये उन्होंने इससे विद्रोही समझकर इनपर भी सुखप्रसव होता है। दश लाख रुपयका जुर्माना बोला था। केशवदास चार अङ्गल अपामार्गका मूल योनिद्दारमें डालनेसे | इन्द्रजित् सिंहसे बहुत ही उपक्वत थे। इसलिये उनका . प्रसव में विलम्ब नहीं लगता। जुर्माना माफ करानको दिल्ली पहुंचे। उन्होंने अपने अश्वगन्धाका मूल 'ॐ फट् मन्त्रसे अभिमन्त्रित कवितागुणसे अकबरके मन्त्री वीरबलको मुग्ध बना कर एक तोला चूत मिला खिलाने और 'लौं' मन्त्र | दिया था। वीरबलके हारा ही इन्द्रजिसिंहने छुटकारा पढ़ ३२ तोले टुग्ध एवं २ तोले मरिच पका सहस्र | पाया। इन्होंने 'धीराज नरिन्द्र' नामक एक काव्य परिमित 'ऐं' मन्त्र जपकर पिलानेसे मूत्र स्तम्भित लिखा था। १५८० ई में इन्द्रजित् सिंह विद्यमान थे। होता है। इन्द्रजिविजयी (सं० पु०) इन्द्रजित: विजयी, ६-तत। इन्द्रजालविद्या (सं० स्त्री०) मायाकम समझनेका इन्द्रजित्को हरा देनेवाले लक्ष्मण। शास्त्र, जिस इल्ममें बाजीगरीकी बात देखें। इन्द्रजिदुहन्त (सं० पु.) इन्द्रजित्-हन-च्, ६-तत् । इन्द्रजालिक (सं० पु.) १ कुहककारी, बाजीगर।। गर। | इन्द्रजित्को मार डालनेवाले लक्ष्मण । (त्रि०) २ भ्रान्तिजनक, जाहिरी। इन्द्रजिह्वा (सं० स्त्री०) लाङ्गलोवृक्ष। इन्द्रजालिन् (सं० पु०) १ कुहककारी, जादूगर । इन्द्रजीत (हिं० ) इन्द्रजित् देखो। २ बोधिसत्व-विशेष । इन्द्रजत (वै० त्रि.) इन्द्र-जु इति सौत्रोधातुर्गत्यर्थः । इन्द्रजित् (सं० पु.) इन्द्रजितवान्, इन्द्र-जि-क्विप् । इन्द्रदत्त, इन्द्रका दिया हुवा । “युव श्वेत पेदव इन्द ज तमहि- .१ मेघनाद, रावणका बड़ा बेटा। एक समय मेघ | हनम्।” (ऋक् ॥११८५९) 'इन्द्रेण युवाभ्यां गमित दवमित्यर्थः।सायण) नादको साथ ले रावण स्वर्ग में इन्ट्रसे लड़ने पहुंचा इन्द्रज्येष्ठ (वैत्रि०) इन्द्रसुख्य 'इन्ट ज्येष्ठाः इन्दो जाठो मुख्यो था। इन्द्र रावणसे युद्ध करनेको आगे बढ़े। किन्तु येषु ते' (ऋक् १।२२८) मेघनाद बहुत पहिले इच्छानुसार अदृश्य होनेका वर| इन्द्रतम (वै०वि०) इन्द्रसदृश । शक्तिशाली, ताक़तवर। शिवसे प्राप्त कर चुका था। अदृश्य भावमें लड़ और इन्द्रतरु (सं० पु०) अर्जन वृक्ष। जोत यह इन्द्रको बन्दी बना लङ्गा पकड़ लाया। इन्द्रता (स० स्त्री०) इन्द्र का बल एवं पद, इन्द्रको ब्रह्माने जाकर इन्द्रको छुड़ाया था। इन्द्रको जीतने ताकत और हैसियत । से हो मेघनादका नाम इन्द्रजित् पड़ा। लक्ष्मणने इन्द्रतापन (सं० पु.) इन्द्र तापयति, इन्द्र-तप-णिच- निकुम्भिला यज्ञागारमें इन्द्रजित्को मारा था। ल्यु । १ वातापी असुर । २ इन्द्रजित् । . "चला इन्द्रनित अतुलित योधा।" ( तुलसी) इन्द्रतूल ( स० क्ली०) १ आकाशमैं उण्डीयमान सूत्र, २ दानवविशेष। ३ रावणके पिता और काश्मीरके प्रास्मान्में उड़नेवाला सूत। २ कार्पास, कपास । राजा। ४ खः सत्रहवें शताब्ट के एक ग्रन्थकार। । ३ अर्कवृक्षतूलक, मदारको रूई। ___Vol. III. 13