पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५०३

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एसिया सकल पर्वतोसे उच्च है। यथा-धवलगिरि २०६००, स्थली एवं वङ्गदेशका विस्तृत उर्वर क्षेत्र है। ५म काञ्चनशृङ्ग २८१७८, गोसाई स्थान २८७००, यमु काम्बोज, श्याम और ब्रह्मराज्य का इरावती-प्रवाहित नोत्तरो २५६६८, नन्दादेवी २५६८३. चमलारि भभाग है। ६ष्ठ चीनको निम्नभूमि प्रायः २१.००० २३८२८,जैमिनि २१६०. और पृथिवीके मध्य उच्चतम | वर्गमौल है। यह पेकिन नगरके पूर्वसे प्रारम्भ हो शृङ्ग देवडङ्ग २८००२ फीट ऊंचा है। दक्षिणको कर्कटक्रान्ति पर्यन्त विस्तृत और अतिशय ___ एसियाके उत्तरांशमें साइबेरिया नामक विस्तीर्ण उर्वरा है। चीना इस स्थानको जगत्का उद्यान कहा समतल भूमि है। यह स्थान समस्त युरोपखण्डकी करते हैं। अपेक्षा बड़ा है। एसियाखण्डमें निम्नलिखित देश और तदन्तर्गत ईरानको उर्वरा भूमि तीन भागोंमें विभक्त है प्रधान नगरादि विद्यमान हैं। ईरान, अरमेनियाका पार्वत्यप्रदेश और एनाटोलियाको तुरुष्क या तुर्की-स्मिरना, भालेपो, दामास्कस, समभूमि। प्रथम भाग अर्थात् ईरान ३०० फीट उच्च | जेरूसलम, बगदाद, मोसल, बसरा, ट्रेविजण्ड। है। अधिकांश भूमि कंकड़ और बालसे भरा लवण अरब-(तुरुष्क अधिकृत ) मक्का, मदीना, जहा । क्षेत्र है। चारो ओर गिरिमाला प्राचौर रूपसे वेष्टित -, (वाधीन) मस्कट, अदन, मोचा, है। द्वितीय भागमें परमेनियाका गिरिराज्य, कुदि रियाध, दराया। स्थान और अजरबिजान है। इसो भूभागमें प्रसिद्ध अफगानिस्थान-काबुल, कन्दहार, हिरात, बदखशान् । आराराट पर्वत पड़ा है। टतीय भागमें एनाटोलिया | बलचस्थान-खिलात । है। यह भभाग कृष्णसागरको तटस्थ पर्वतमालासे भारतवर्ष-कलकत्ता, बम्बई, मन्द्राज, मुरशिदा- दक्षिण-पश्चिम टरस पर्वततक गिरिशृङ्ग द्वारा सीमा बाद, ढाका, पटना, कायौ, अलाहाबाद, कानपुर, बद्ध है। कृष्णसागरके निकटस्थ कोई कोई स्थान | लाहोर, सूरत। वनादिसे परिवृत देख पड़ता है। ब्रह्म-मन्दालय, श्रावा, अमरपुर, रङ्गन, मतैबान, भारतवर्ष के दक्षिणापथकी उर्वराभूमि १५००से | मोलमोन, मारगूई, मलय, सिङ्गापुर । २००० फीट तक उच्च है। यह पश्चिम मलयवर श्याम-बङ्काक। उपकूलसे पश्चिमघाट पर्वत द्वारा विभक्त है। इसके कम्बोज-सैगान। अतिरिक्त भारतमहासागरीय दीपपुञ्ज में भी उर्वरा पानाम-हिउ, केयो। भूमि मिलती है। बेयस-लञ्चन। एसियामें छह निम्नभूमि प्रधान हैं। १म उत्तरको चौन-पेकिन,नानकिन,सङ्गाई,निङ्गपो,आमंय,काण्टन। साइबेरियाको निम्नभूमि है। यह अलटाई और तिब्बत-लासा। यराल पर्वतके उत्तराशसे प्रारम्भ हो उत्तर-महासागर . स्वाधीन तातार-बोखारा, खोवा, खशधर, इर- के उपकूल पर्यन्त विस्तृत है। अनेक स्थान शीत कन्द, खुतन । प्रधान, अन्धकारमय और ऊपर हैं। २य बुखारको रूस ( साइबेरिया )-तोबलस्क, इकटस्क, समर- निम्नभूमि कास्पीय सागर और पाराल इदके मध्य कन्द, खू कन्द, बटम, कारस, आर्दाहान । है। इस भभागमें केवल कंकड़ भरा है। ३य सिरीय जापान-जेडो, योकोहामा, टोकियो। और अरबी निम्मभूमि है। दक्षिण अंश शुष्क मरु फिलिपाइन दीपपुल-मानिल्ल । भूमि देख पड़ता, किन्तु उत्तरांशमें यूफोतिस और यवद्दोप-बटविया। ताइग्रीस नदीका जल मिलता है। ये भारतवर्षको मुमात्रा-प्राचीन। निवमि है। इसके मध्य ४०० मौल विस्त त मरु प्रत्येक देशका विस्तारित विवरण अपने अपने शब्दमें देखो। ..