४६१ एसिया खुष्टीय धर्मावलम्बी हैं। साइबेरियावाले ग्रीक मतको । वहां चौन-सभ्यता और बौद्ध धर्मका प्रभाव पड़ा। मानते हैं। एसियाके उत्तरप्रान्तवासी जडोपासक हैं। ई०के ७म शताब्द जापानियोंका वैभव बढ़ा था। . हिन्दू, बौद्ध, लामा, मुहम्मद प्रभृति शब्द देखो। प्रथमतः फुजीवारा वंश उन्नत हुआ, फिर तैरा और पृथिवीके मध्य एसियाके लोग प्रथम सुसभ्य हुये मिनामोतो लोगोंमें विवाद होते रहा। ११८२ ई०को थे। उनमें प्रार्यों ने ही गणनातीत कालसे समधिक मिकादो नाममात्रको राजा बने, किन्तु मुख्य अधिकारी उन्नति और समृद्धि लाभ की है। आर्य देखो। वीरबर शोगुन थे। जापानपर कभी किसी विदेशीयने इतिहास-चीनने एसियाके पूर्वांश और जापानको पाक्रमण नहीं किया। कुबलाई खानका प्राक्रमण सभ्यता बनाई है। किन्तु मङ्गोलिया, तिब्बत, श्याम, व्यर्थं गया था। २०० वर्ष तक शोगुनके वंशजोंने कम्बोडिया और ब्रह्मदेशयर भारतीय सभ्यताका राज्य किया। उन्होंने कलाकौशलको बड़ी उत्तेजना प्रभाव अधिक पड़ा है। फिर भारतके बौद्ध धमने दी थी। ई०के १६ वें शताब्द पचास वर्ष तक चीनको भी अपने हस्तगत कर लिया है। इस अराजकता की धूम रही। पोतु गोज जापानमें जा लामका प्रभाव चौनपर अधिक नहीं पड़ा। पहले पहुंचे थे। फिर हिदेयोगी नामक एक जापानी बाबिलोनिया पौर सिरीयामें अधिक उन्नति हुई थी। साहसिकने कोरिया विजय किया और चीनके आक्र- किन्तु ई०से ७०० वर्ष पहले उसका ह्रास हुवा और मण पर भी ध्यान दिया। १६०३से १८६८ ई०तक पारस्य साम्राज्य बन चला। ई० ७म शताब्द तक ईपशूने जापान को धार्मिक और सामाजिक स्थिति उता साम्राज्य समृद्ध रहा, पोछे मुसलमानोंने अपना सुधारी थी। डचोंके अतिरिक्त सकल विदेशियोंको सडव किया । एसियामाइनरके हिताइत और जापान जानेका निषेध रहा। १८५४ से १८५८ ई०. अलोरोदियोंका हाल मालम नहीं। तक यूनाइटेड स्टेटस और युरोपीय शक्तियोंने जापानमें ई०से ४००० वर्ष पहले सेमाइट बाबिलोनियाको व्यवसाय करनेको अपना खत्व देखाया था। गृह- अाक्रमणकर राजा बने थे। प्रायः ई०से २२८५ वर्ष विवाद बढ़ने पर मेकाडोको पुनरधिकार मिला। पहले बाबिलन नगर खम्मरबीको राजधानी रहा। १८८५ ई०को जापानने चीनको परास्त किया और ई०से ८०० या २०० बर्ष पहले असूरीयोंने वाबिलनके दश वर्ष पोछे रूसको भी हरा दिया। जापानमें अधीन अपनी बड़ी उबति को। किन्तु ई०से ६.६ रहनेवाले विदेशियोंको जापानी काननके अनुसार ही वर्ष पहले ईरानियोंके सम्मुख उन्हें नोचा देखना चलना पड़ता है। जापान मुसलमानोंके आक्रमणसे पड़ा था। अलग रहा है। सम्भवतः ई०से ३००० वर्ष पहले चीना पश्चिमसे कोरियामें भारतीय और चौना दोनों वर्णमालायें भा होभान हो नदी किनारे चीनमें पहुंचे थे। ई०से चलती हैं। चौन और कोरियाको भाषा तथा रीति- २२० वर्ष पहले वर्तमान चौन-साम्राज्य सङ्गठित नौतिमें प्रभेद है। ई० के १६वें शताब्द जापानियोंने हुआ। फिर तातारोंसे विवाद चलते रहा। बीच कोरिया को अधिकार किया था, किन्तु १८८५ ई०को बीच यह साम्राज्य टूट-फट जाता था। किन्तु हान कोरिया स्वतन्त्र हुआ। और मुजवंशने इसे दी बार जोड़-जाड़ ठीक किया। भारतमें असभ्य आदिम अधिवासी कोल एवं । ई०के १३वें शताब्द मुगल कुबलाई खानने चीनको सन्थाल, द्राविड़ तमील-कनाड़ी और आर्य तीन प्रकारके जीता था। १०० वर्षसे कम राज्यकर मुगल वंश | लोग रहते हैं। गौतम बुद्धके अभ्युदयसे ब्राह्मणोंका मिङ्गोंके अधीन हुआ। फिर १६४४ ई०को मञ्चुवोंने प्रभाव घट गया था, किन्तु शङ्कराचार्य ने बौद्ध धर्मको मिङ्गोंको दबा अपना अधिकार जमाया था। बाहर निकाल उसे फिर अक्षुण किया। ई०से ३२६ वर्ष जाणनमें पहले ऐन्दू रहते थे। ई०के ६ष्ठ शताब्द पहले. सिकन्दरने पञ्चाबपर पाक्रमण मारा, किन्तु.
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५०५
दिखावट