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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५१७

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४७६ ऐनस-ऐन्द्रवारुणी ऐनस (सं० ली.) एन एव स्वाथै अण। पाप, गुनाह ।। करते न थे। मारना-पीटना ही बड़ी सजा रही। ऐना (हिं.) आईना देखी। कोई किसीका वध करनेसे नाक कान काटे जानेका ऐनापुर-बम्बई प्रान्तके बेलगांव ज़िलेका एक विशाल दण्ड पाता था। यह अपरिचित व्यक्तिका बड़ा आदर- ग्राम। यह अथनी-कागवाड सड़कपर अथनीसे कोई सत्कार करते हैं। १३ मील दक्षिण-पश्चिम अवस्थित है। ग्रामसे बाहर ऐनर मारिगूदी-महिमर राज्यका सरकारी जंगल। दक्षिण और एक तालाबके पास मुसलमान-साधु पोर क्षेत्रफल ३० वर्ग मील है। काजीकी कब्र है। १६३८ ईको फ्रान्सीसी पर्याटक ऐन्दव (सं० लो०) इन्दु-देवता अस्य, इन्दु-अण। मनडेलसलो ( Mandelslo ) यहां आये थे। उन्होंने १ मृगशिरा नक्षत्र। २ चान्द्रायण नामक व्रतविशेष । एयनाटौर ( Eypatour) नाम लिखा है। १७८१ ३ चान्द्रमास। (त्रि.) ४ चन्द्र-सम्बन्धीय । ई०को कपतान मूर (Captain Moor ) महाराष्ट्रोंके ऐन्दवी (सं० स्त्री०) ऐन्दव-डीप । सोमराजी, बाकची, सहायक बन टोपूसे लड़ने पहुंचे। उनकी वणनाक कालोजीरी। अनुसार ऐनापुर में मुसलमान अधिक रहते और अच्छे. ऐन्द्र (सं० ली.) इन्द्रो देवता अस्य, इन्द्र-अण्। . अच्छे मकान बने थे। १८४२ ई०को यह ग्राम दूसरे १ ज्येष्ठा नक्षत्र । २ मूलविशेष, एक जड़ी। इसे ८ ग्रामोंके साथ अंगरेजोंके हाथ लगा। कारण साधारणतः जङ्गली अदरक कहते हैं। संस्कृत पर्याय मीराज प्वधन शाखाके प्रतिनिधि गोपालरावने वनाट्का, वनजा और भरण्यजा का है। यह कट, किसी उत्तराधिकारीके व्यतीत स्वर्गगमन किया था। | अम्ल और रुचि, बल एवं अग्निकारक है। (राजनिघण्ट) ऐनि-मर्य के प्रत्र । सूर्यवंशकी ऐनिवेश भी कहते हैं। (त्रि.) ३ इन्द्र-सम्बन्धीय। ४ इन्द्र के उद्देश्यसे ऐनीता (हि.पु.) मटको दर्पण देखानेका काम।। आहत। (पु.) ५ इन्द्र के पुत्र जयन्त, अर्जुन एवं यह कलन्दरोंकी भाषा है। वालि वानर प्रभृति। ६ इन्द्रवत व्याकरण । ७ वृष्टिका ऐन-जापानको उत्तर होपवासी एक जाति । पहले यह जल। ८ देवसषप वृक्ष । लोग कूराइलसे येन पाये थे। फिर जापानके प्रधान ऐन्द्रजालिक (सं• पु०) इन्द्रजालेन क्रोड़तीति, इन्द्र- होप पर बस गट्टोंमें रहनेवाले कोरोपोक गुरुवोंको जाल-ठक । १ इन्द्रजालकारक, बाजीगर। इसका इन्होंने मार भगाया। किन्तु जापानियोंके दक्षिण तथा संस्क त पर्याय-प्रतीहारक, मायाकारक, कौसुतिक, पश्चिमसे पा पहुंचने पर इन्हें येज में जाकर रहना मायावी, व्यसक, मायी और मायिक है। (त्रि) पड़ा था। यह शराब बहुत पीते और मैले कुचैले । २इन्द्रजाल-सम्बन्धीय,बाजीगरोसे सरोकार रखनेवाला। रहते हैं। जापानियोंसे ऐन लंबे होते हैं। बाल न ऐन्द्रतुरीय (सं० लो०) उदकदानविशेष। इसका बनवाने से इनकी दाढ़ी-मूछ खूब भरी रहती है। चतुर्थाश इन्द्रको दिया जाता है। स्त्रियां मुह, हाथ और मत्थे पर गोदना गोदाती हैं। ऐन्द्रद्युम्न (सं० क्ली०) इन्द्रद्युम्नमधिक्वत्य कृतमाख्या- वल्कलका वस्त्र पहना जाता है। जाड़े में मृगचर्म नम्, इन्द्रद्युम्न-अण् । इन्द्रद्युम्न राजाके वृत्तान्तसे धारवकर शरीररक्षा करते हैं। स्त्री और पुरुष दोनों घटित महाभारतका एक पाख्यान । बाली पहनते हैं। लिखना-पढ़ना कोई नहीं जानता। ऐन्द्रयव (सं० पु.) इन्द्रयव, इंदरायन । इनके विश्वासानुसार पृथिवी एक मत्स्यके पृष्ठपर स्थित ऐन्द्रलुप्तिक (सं० त्रि.) इन्द्रलुप्त-ठक्। इन्द्रलुप्त है। उसौके हिलनेसे भूकम्प प्राता है। यह भालूको रोगविशिष्ट, गंजा। पूजते हैं। ऐन भोजन करनेसे पहले देवतावोंको ऐन्द्रवायव (सं० त्रि०) इन्द्रदायु देवते पस्य, इन्द्र- धन्यवाद देते और रोगमें पड़नेसे अग्निका नाम लेते वायु-पण । इन्द्र-वायुसम्बन्धीय। .. हैं। पहले यह लोग किसी अपराधीको प्राणदण्ड ऐन्द्रवारुणी (सं० स्त्री०) इन्द्रवारुणी लता,ककड़ीको बेला