पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५१८

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ऐन्द्रशर्मि-ऐबारा ४७७ ऐन्द्रशर्मि (सं० पु०) इन्द्रशमणो ऽपत्व पुमान्, वुज । १ प्रत्यक्ष, समझ पड़नेवाला। २ इन्द्रिय- इञ । इन्द्रशर्मा राजाके पुत्र। ग्राह्य। (पु.)३ इन्द्रियाश्रित व्याधिविशेष । शब्दादि ऐन्द्रशिर (सं० पु०) हस्तिविशेष, एक हाथी। । विषयके मिथ्यायोग, अभियोग वा अयोगसे जो रोग (रामायण २।७०२२) हो जाता, वह ऐन्द्रियक कहलाता है। (चरक) ऐन्द्रसेनि (सं० पु०) इन्द्रसेनस्य अपत्य पुमान, ऐन्द्रियेधी (स.वि.) केवल इन्द्रियसुखको चिन्ता इज । इन्द्रसेन नामक नरपतिके पुत्र। रखनेवाला। ऐन्द्राग्न ( स० वि०) इन्द्राग्नी देवते अस्य, अण। ऐन्द्री ( स० स्त्रो०) इन्द्रस्य इयम्, इन्द्र-अण -डोप । १ इन्द्राग्नि-सम्बन्धीय। २ इन्द्र एवं अग्निके उद्देश्यसे १ शची, इन्द्रको पत्नी। २ दुर्गा। ३ इन्ट्रवारुणी, आहुत। ककड़ी। ४ पूर्वदिक। ५ एला, इलायची। ६ गोरक्ष- ऐन्द्रानैऋत (सं० वि०) इन्द्र एवं नि तसे सम्बन्ध कर्कटो। रखनेवाला। ऐन्द्रीफल (स• लो०) इन्द्रवारुणोफल, ककड़ी। ऐन्द्रापोष्ण (सं० वि०) इन्द्रापूषाणो देवते अस्थ, ऐन्ट्रोरसायन (सं० लो० ) रसायनविशेष । यह ऐन्द्री, . अण् उपधा अतो लोपश्च । १ इन्द्र एवं सूर्य-सम्ब- मत्स्याक्षी, ब्रह्मसुवर्चला तथा शक्युष्यो तीन-तीन यव, धोय। २ इन्द्र और सूर्य के उद्देश्यसे पाहुत हविः प्रभृति। स्वर्ण दो यव और विष एक तिल एवं घृत एक पल ऐन्द्राबाहस्पत्य (सं० वि०) इन्द्र और वृहस्पतिसे डालनेसे बनता है। (चरक) सम्बन्ध रखनेवाला। ऐन्धन (स. वि.) इन्धनस्य इदम्, इन्धन-अप । ऐन्द्रामारुत (सं० वि०) इन्द्र और मरुतसे सम्बन्ध इन्धन-सम्बन्धीय, जलानको लकडीसे सरोकार रखनेवाला। रखनेवाला। ऐन्द्रायुध (सं० वि०) इन्द्रप्रदत्तं आयुधं यस्य, ऐन्धायन (स० पु०) इन्धस्य ऋषेरपत्य पुमान्, बहुव्री। १ इन्द्रप्रदत्त अस्त्रविशिष्ट। २ इन्द्र के धनु- फक् । इन्ध नामक ऋषिके सन्तान । णसे सम्बन्ध रखनेवाला। ऐन्य (सं.नि.) इन सूर्ये स्वामिनि वा भवः, इन-रख । ऐन्द्रावरुण (सं० वि०) इन्द्र एवं वरुणके निमित्त १ सूर्यभव । २ स्वामिभव । पवित्र। ३ निम्नश्रेणीको एक जाति। यह लोग दाक्षिणात्यके ऐन्द्रावैष्णव (सं० वि०) इन्द्रविष्णु देवते अस्य, अण। कुर्गप्रदेश में रहते हैं। बढ़ई और लोहारका काम इन्द्र एवं विष्णु सम्बखोय। इनके जीविका-निर्वाहका द्वार है। आचार-व्यवहार ऐन्द्रासौम्य (सं० वि०) इन्द्रसोमौ देवते कोड़गों-जैसा रहता है। यज । इन्द्र एवं सोम-सम्बन्धीय। ऐपन (हिं. पु०) चावल और हलदीको एकसाथ . ऐन्द्रि (सं० पु.) इन्द्रस्यापत्वं पुमान, इन्द्र-दून। पीसकर बनाया हुआ लेपन। यह माङ्गलिक द्रव्य १ इन्द्रपुत्र जयन्त । २ अर्जुन। ३ वालि वानर । समझा और देवार्चनमें खरचा जाता है। इससे ४ काक, कौवा। कलस आदिपर था लगाते हैं। ऐन्द्रिय (सं० वि०) इन्द्रियेण प्रकाश्यते, इन्द्रिय- ऐब (अ० पु०) १ दोष, बुराई, खराबी। २ भव- प्रय । १ इन्द्रिय-सम्बन्धीय । २ इन्द्रिय द्दारा ज्ञातव्य, गुण, बुरी आदत । छिद्रान्वेषण करनेवार मालूम पड़नेवाला। ( क्लो० ) ३ इन्द्रियग्राम। और छिद्रान्वेषणको ‘ऐबजोई' कहते हैं। ४ आयुर्वेदका अंशविशेष। इसमें इन्द्रियोंका हो ऐबारा (हिं० पु०) १ मेषादि रखनेका स्थान, जिस विषय वर्णित है। बाड़े में भेड़ वगैरह रहें। २ गोवाड़, जङ्गलमें जान- ऐन्द्रियक (सं० वि.) इन्द्रियेण अनुभूयते, इन्द्रिय- ! वरोंके रखनेको जगह। . Vol. III 130