890 ऐबी-ऐरनो ऐबी (अ० वि० ) १ दूषणविशिष्ट, जिसके नुकस ७७° ४४ ४." से ७७° ४४ १५” पू०तक अव- रहे। २ दुष्ट, खराब। ३ अङ्गहीन, जिसके कोई स्थित है। अजो न रहे। | ऐयारी (अ० स्त्री०) धूर्तता, छल, उस्तादी, ऐभावत (सं• पु०) इभावतोऽपत्यं पुमान्, अण् । धोकेवाजी। इभावत नामक ऋषिके पुत्र । ऐयावेज-काठियावाड़के उन्द-सरवियाका एक छोटा ऐभी (सं० स्त्री०) इभ इत्याख्या यस्याः, इभ-अण राज्य और नगर। यह नगर अक्षा० २१.२४ उ. डोष । प्रज्ञादिभ्यश्च । पा ३८। इस्तिघोषालता, तथा देशान्तर ७१.४७ पू. पर अवस्थित है। राजा हाथोचिंधार। बड़ोदेके गायकबाड़ और जनागढ़के नवाब दोनोंके ऐमक-अफगानस्थानके सुन्नी मुसलमानोंको एक जाति। कर देते हैं। हेरातसे उत्तर यह रहते हैं। इनकी संख्या प्रायः ऐयाश (प० वि०) १ मुखी, ख ब मौज उड़ाने- पांच लाख है। भाषा कालमुकसे मिलती है। ऐमक वाला। २ विषयासक्त, रण्डीबाज़। वोर एवं वन्य तथा युद्धके लिये प्रसिद्ध हैं। ऐयाशी (अ. स्त्री०) विषयासक्ति, रण्डीबाजी। ऐबकुल-दाक्षिणात्यको एक, नौच जाति । इस ऐर (सं.वि.) इरायां भवः, अण् । १ अबसे उत्- जातिके लोग कृषिकार्य द्वारा जीविका चलाते हैं। पत्र, अनाजसे पैदा। २ भूमिजात, जमीन्से निकला पोशाक कोड़गों-जैसी रहती है। किन्तु यह लोग हा। ३ जलजात, पानौसे पैदा। (लो.) ४ ब्रह्म कोड़गोंके साथ विवाह वा आहारादिका व्यवहार | लोकस्थ सरोवरविशेष। (पु०) ५ एक अति प्राचीन नहीं रखते। कुर्ग प्रदेशमें छ: प्रकारके ऐबकुल या हिन्दू राजा। गोले देख पड़ते हैं। | ऐरनी-१ बम्बई प्रान्तके धारवाड़ जिलेको एक पहाड़ी। ऐयत्य (सं० लो०) परिमाण, संख्या, मूल्य, मिक यह उक्त जिलेके दक्षिण-पूर्व कोणमें अवस्थित है। दार, अदद, कीमत । उंचाई २००से ७०० फोटतक है। उत्तरांश वृक्षशून्य ऐयपदेव-बम्बई प्रान्तस्थ थाना जिलेके एक शिलाहार है। किन्तु मध्यभाग और दक्षिण में झाड़ी लगी है। राजा। १०८४ ई के ताम्रफलकमें लिखा-अपरा- | तुङ्गभद्राके समीप यह डेढ मील लम्बी, प्राध मौल ऐयपदेवको डगमगाये साम्राज्यपर जमा चौड़ी और ५०० से ७०० फौट तक ऊंची है। चोटी दिया था। नोकदार है। पाखे ढाल हैं। नोचेका मैदान अंजन ऐयपराज-बम्बई प्रान्तस्व कोकणके एक शिलाहार- वृक्षोंसे ढंका है। उत्तरांश हरिण एवं वन्य शूकर राजा। रत्नगिरि जिलेके खारपाटन नगरमें जो| और दक्षिणांशमें भेडिये रहते हैं। तामपन मिला, उसमें इनका नाम लिखा है। इनमें २ बम्बई प्रान्तके धारवाड़ जिलेका एक बड़ा ग्राम। विजेताका गुण भरा रहा। चन्द्रपुर नगरके समीप यह तुङ्गभद्रा नदी किनारे अवस्थित है। रेतमें खर ऐयपराजका राज्याभिषेक हुआ था। बूजे बोये जाते हैं। पहले यहां कंबल बुने जाते थे । ऐया-१ नौचजातिविशेष। इस जातिके लोग दाक्षि किन्तु १८७६-७७ ई.को दुर्भिक्ष पड़नेसे जुलाहोंके हात्ववाले मदुरा प्रदेश में रहते हैं। (हिं० स्त्री०)२ प्रधान भाम जानेपर यह व्यवसाय बन्द हो गया। ऐरानीमें वृह स्त्री, इज्जतदार बुड्डी औरत । ३ खसा, सास। एक किला भी था। १८८० ई.को १२वौं जनको ऐयाम (प्र. पु०) समय, दिन, वक्त, मौका। सवेरे करनल वेलेसलिने उक्त किलेको पधिकार किया। ऐयार (प. पु.) १ धूर्त, छली, उस्ताद, धोकेबाज़। १८८२ ई.को कपतान बरगोनीने देखभाल इस २ मन्द्राजप्रान्तके सलेम जिलेको एक नदी। यह किलेको खूब मजबूत वताया था। पश्चिम और अक्षा० १२° ७ से १२.३८ ४५” उ• तथा द्राधि० | दक्षिण-पश्चिम खाई रही।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५१९
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