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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५३

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इन्द्रपर्वत–इन्द्रब्रह्मवटौ बहुव्री। १ इन्द्रवारुणी, कुदरू। २ लाङ्गलिका,। कलिन्द्या दक्षिणे यावद्योजनानां चतुष्टयम् । इन्द प्रस्थस्य मर्यादा कथितैषा महर्षिभिः ॥ ७॥" कलिहारी। (सौभरिस'हिता श्य प०) इन्द्रपर्वत (सं० पु०) इन्द्रनामकः वा इन्द्रवर्णः पर्वतः, अर्थात् पूर्वकालमें देवगणने इस इन्द्रप्रस्थको स्थापन शाक-तत्। १ महेन्द्रपर्वत। २ नौलपर्वत । किया था। यह पूर्व-पश्चिम एक और यमुनाके दक्षिण इन्ट्रपातम (वै०वि०) दसरेकी अपेक्षा अधिक | प्रीतिसे इन्द्र द्वारा पान किया हुआ। तक चार योजन विस्तत था। महर्षियोंने इन्द्रप्रस्थको मर्यादा इसीप्रकार बतायी है। इन्द्रपान (वै० त्रि.) इन्द्र द्वारा पान किया हुवा । हमारी समझमें पूर्वसमयमें इन्द्रने विष्णुको पूजाको इन्द्रपौत, इन्द पान देखो। इससे इस स्थानका नाम इन्द्रप्रस्थ पड़ा है। इन्द्रप्रस्थमें इन्द्रपुत्रा (सं० पु०) इन्द्रः पुत्रो यस्याः, बहुव्री०। अदिति । देहत्याग करनेसे मनुष्य विष्णुतुल्य हो जाता है,- इन्द्रपुरी (सं० स्त्री०) अमरावती। इन्द्रपुरोगम (सं० त्रि.) इन्द्रको आगे रखनेवाला, “इन्ट प्रस्थाख्यमेतदै क्षेवमिन्द स्व पावनम् । जिसके इन्द्र रहनुमा रहे। तेनाव पूजितो विष्णुः क्रतुभिर्य हुदक्षिणः ॥ २४ ॥ तुष्टे न विष्णुना तस्मै वरो दत्तो निशम्यताम् । इन्द्रपुरोहित (सं० पु.) बृहस्पति। भो शक्र तावते वे सर्वतीर्थमया जना: ॥ २५ ॥ इन्द्रपुरोहिता (सं० स्त्री०) पुथा नक्षत्र । तनू' त्यक्षन्ति ये ते वै मत्तुलया हिंसका अपि ॥” (२०) इन्द्रपुथ्य (सं० लो०) लवङ्ग, लौंग। “इन्द स्व खाण्डवारण्ये इन्द प्रस्थाभिध शुभम् ।” इन्द्रपुष्पा (सं० स्त्री०) १ लाडलीवृक्ष, कलिहारी। (सौभरिसहिता ८०) २ पूतीकरञ्ज, वनकरेला। वर्तमान दिलामें ही यह प्राचीन नगर था। इन्द्रपुष्पिका, इन्द,पुष्पा देखो। अब इसका सामान्य ध्वंसावशेष मात्र बचा है। 'इन्दर- इन्द्रपुष्यो, इन्द्रपुष्पा देखो। पत' नाम चला जाता है। सुना जाता है, कि दिल्लीपति इन्द्रप्रमति (सं० यु०) इन्द्रः प्रमतिः प्रकृष्टा मतिः यस्याः, पृथ्वीराजके समय यहां एक गढ़ बना हुआ था। चन्द बहुव्री०। १ ऋमन्वद्रष्टा एक पृथक् वसिष्ठ ऋषि । कविने कहा है, (ऋक् ६४-६)। २ व्यासशिष्य पैल ऋषिके शिष्य । "गढ इन्दपत्थं सहाय सुकज्ज । (अग्निपुराण तथा भागवत) उभे दौन जुट करै यग्ग धज्जै॥" (पृथ्वीराजरायसा २००५ ) इन्द्रप्रसूत (वै० वि०) इन्द्र द्वारा उत्पादित वा प्रोत् ___ आज भी दिल्ली में 'पुराना किला' नामक प्राचीन साहित, जिसे इन्द्र निकाले या बढ़ाये।। टुर्ग देख पड़ता है। उसे कोई कोई ‘इन्दरपत' कहते इन्द्रप्रस्थ-एक प्राचीन नगर। इन्द्रप्रस्थ खाण्डवा-हैं। यद्यपि यह मुसलमानोंका बनाया है तो भी रण्यके मध्य था। महाराज युधिष्ठिरने इस नगरमें वह किसी हिन्दू हारा निर्मित दुर्गपर रक्षित है। राजधानी स्थापित की थी। उस समय इन्द्रप्रस्थ समुद्र- | (Archaeological Survey Reports of India, Vol. IV.P.2.) सदृश परिखा द्वारा अलङ्कृत और गरुड़की तरह हिपक्ष इन्द्र प्रहरण (सं० क्लो०) वज । यह दधीचि मुनिकी हार तथा परम रमणीय सौधसमूहसे समाकीर्ण था। हडडोसे बना था। इसके परम रमणीय प्रदेशमें कुवेरागार-सदृश कौरव- | इन्द्रफल, इन्द,यव देखो। गृह बना था। चारो ओर उद्यानमें नानाजातीय इन्द्रभाष (हिं. स्त्री०) तालविशेष । इसमें बादलके फलशाली वृक्ष थे। (महाभारत आदि) .. गर्जन-जैसा शब्द निकलता है। इन्द्रप्रस्थ एक पवित्र तीर्थ माना गया है, इन्द्र ब्रह्मवटी (सं० स्त्री०) अपस्मारनाशक वटी विशेष, “इन्द्र प्रस्थमिद चेव स्थापित' दैवतैः पुरा। , मृगी रोगको गोली। रससिन्दूर, अच, लौह, रौप्य, पूर्वपश्चिमयोस्तात एकयोजनविस्वतम् ॥ ७५ ॥ .. .... स्वर्णमाक्षिक, विष एवं पद्मकेशर समभाग ले सहि,