पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५६०

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पौटुम्बर-औद्देशिक ५५८ '८ कोलिया, माड़वारी, १० कच्छी और ११ राग-। उदुम्बर-फक्। १ उदुम्बरवंशीय। २ किसी वैया. “दिया। इनमें अनेक पौरोहित्य करते हैं। जो औदीच्य करणका नाम। नीच जातिके पुरोहित होते, उनके हाथका जल पर्यन्त उदुम्बरि (सं० पु.) उदुम्बरस्यापत्वं पुमान्, उदुम्बर- सम्धान्त लोग नहीं पीते। यह कच्छ, गुजरात और इज् । १ उदुम्बरवंशीय। २ उदुम्बरोंके एक राजा। खम्बात उपसागरके उपकूल में रहते हैं। पौदीय औदुम्बरो (सं. स्त्रो०) उदुम्बर-अ-डीए। १उ अावश्यकता पड़नेपर सकल प्रकारका कार्य करने म्बर-शाखा, गूलरको डाल । २ जमिभेद, एक कोड़ा। लगते हैं। इनमें पहली तीन शाखा हो जातिके भौहान (सं० लो०) उदगातुर्धर्म्यम्, उदगाव-प्रव। अंशमें श्रेष्ठ हैं। क्योंकि वह नीच जातिका यजन १ उद्गाता नामक ऋत्विकका कर्म। (वि.)२ उद नहीं करतौं। औदीच्चों में शाखाके मैदसे परस्पर | गातासम्बन्धीय। विवाहादि अप्रचलित है। प्रौदगाहमानि (सं० पु.), उदगाहमामस्व पपवं प्रौटुम्बर (सं. वि. ) उदुम्बर-अत्र । प्राधिरजता- | पुमान्, उदगाहमान-इन् । उद्गाहमान-वंशीय । दियोऽ। पा ४।३।१५४। यजडुम्बर-सम्बन्धीय, गूलरका बौदाभण (सं• वि०) उग्रहणाय साधुः, उदग्रहक बना हुचा। २ ताससम्बन्धीय, जो तांबेका हो।। अण् छान्दसत्वात् हस्य भः। १ अर्वग्रहपके उपयुक्त (पु.) उदुम्बरस्य विकारः, उदुम्बर-पण । ३ उटु दीचामें जोरसे पढ़नेके योग्य। (को०) २दीचा म्बर-पाव, गूलरका बरतन। ४ उलखल, पोखलौ। उच्चैःस्वरसे पढ़ा जानेवाला मन्य वा वाक्य । उटुम्बराः सम्वस्मिन् देशे। तदस्मिन्नस्तौति देशे तन्नावि। पा| प्रौद्दण्डक (सं० त्रि.) उहड वुन् । उहणका । ४।२।। ५ उटुम्बरयुक्त देश, गूलरका मुल्क। (भारत, निकटवर्ती ( देशादि)। सभा १३१३) वराहमिहिरको वर्णनासे पनुमान होता, | ौहान, भौहालक देखी। कि मौदुम्बर देश पञ्जाबमें था। फिर किसौके मतमें | औहालक (सं० क्लो०) उहालेन सञ्चितम्, उहास पन्नाचके कांगड़ा जिलेको नरपुर तहसोलका प्राचीन | | अण् संन्नायां कन् । १ वयोककोटसश्चित मद्य, नाम दहम्बरी वा भौटुम्बर रहा। (Cunningham's| दीमकका इकट्ठा किया हुपा शहद । वल्मीकमध्यस Archaeological Survey of India, Vol. XIV. p. 116) | कपिलवर्ण कोट अल्प कपिलवणे जो मधु सञ्चय करते, पूर्वकालपर भारतवर्ष में औदुम्बर नामका दूसरा | उसे प्रौद्दालक मधु कहते हैं। यह कषाय, सण, "भी जनपद था। पाचात्य भौगोलिक परिणास इस कट और कुष्ठरोग-विनाशक होता है। (भावप्रथाब) स्वामका नाम मोम्बरस् ( Mombaros ) लिख गये २ तीर्थ विशेष। इस तीर्थ में नान करनेपर सर्वपापले हैं। इस जनपदका रहना वर्तमान कच्छ देशमें | मुलिलाभ होता है। अनुमान किया जाता है। ६ यमको एक मूत्ति। औद्दालकशकरा (सं० स्त्री.) प्रौद्दालक-मधुक्त शर्करा, ७ उदुम्बरवृक्षको शाखा। (को०) ८ यन्नडुम्बुरकाष्ठ, दोमकके शहदको चौनो। यह कुष्ठादि दोषोंवो गूलरको लकड़ी। ८ यचडुम्बुरफल, खानेका गूनर। दूर करती और सर्वसिद्धि देती है। (राजनिषद.) १. एक महाकुष्ठ। कुष्ठ देखो। ११ ताम, तांबा। श्रोहालकायन (सं• पु.) उद्दालकस्यापत्यं पुमान, प्रौदुम्बरक (सं• पु०) उदुम्बरस्य विषयो देशः, उटुः । उद्दालक-फक् । उहालक ऋषि-वंशीय। . वर-वुज । १ उदुम्बरविषय देश, उदुम्बरोंके रहनेका श्रीहालकि (सं० पु.) उद्दालकस्थापत्वं पुमान्, उहा- मुल्क। (को०) उदुम्बरानां समूहः। उदुम्बरसमूह। लक-फक । उद्दालकपुत्र, गौतम ऋषि । प्रौदुम्बरच्छद (स. पु.) दन्तोवृक्ष, दांतोका पेड़। प्रौद्देशिक (स• वि०) उद्देशस्य इदम्, उद्देश-उछ। -ौदुम्बरर्षि-व्रतनिर्णय नामक संस्कृत ग्रन्धके रचयिता।। १ उद्देश-सम्बन्धोय, जाहिर करनेवाला। २ निर्देश भोदुम्बरायच (सं• पु.) उदुम्बरस्य अपत्यं पुमान्, | करनेवाला, जो हिसाब बताता हो।