पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५७३

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औरङ्गजेब राजाको दुर्दशाका समाचार पा औरङ्गज,ब पुल- | थे। इसीसे दाराने सोचा-ऐसी विपदके समयमें कित हो गये। परन्तु इनके मनमें एक दिनके लिये भी मेरे उपक्त सुहृद अवश्य ही दोचार दिनके लिये सुख उत्पन्न न हुआ। शाहजहां वृहावस्था में पाठ मुझे आश्रय देंगे। जहानने आश्रय दिया। यहीं वर्ष कैद रहे। इस शङ्कासे यह सर्वदा उद्विग्न रहते। सुलताना नादिरा बानोका मृत्य हुआ। थे-पीछे कहीं उनके अनुगत सिपाही उपद्रव न दारा स्त्रीवियोगसे कातर हो रहे थे। उसी समय मचायें। फिर दारा भी जीते थे। उनके पुत्र सुलेमानने | उन्होंने सुना, कि औरङ्गजेबके सेनानायक खांजहां श्रीनगर में जाकर आश्रय लिया। अवसर पानेपर | मुलतानसे उन्हें पकड़ने आ रहे थे। घबराकर दारा वे लोग भी उपद्रव मचा सकते थे। सिवा इसके जहानसे विदा हुए। वे तातार नगरसे आध हो पिताको कागकच कर राज्यलाभका जो सहज कोस दूर गये थे, कि देखा-पोछेसे जहान प्रायः एक कौशन इन्होंने दिखाया, इनके पुत्रोंके भी वही हजार घुड़सवार सेना लिये चले आते हैं। दाराने कौशल मोख में विचित्र ही क्या था। राजा स्थिर किया-मेरे साथ अधिक आदमी नहीं: जो हैं भोंका मन सर्वदा सन्दिग्ध रहता है। शक्तिमान वे भी रोग और पथ श्रमसे कातर हो रहे हैं, इसलिये मनुष्य उनके चक्षुशूल होते हैं। अपनी ही छाया मुझे ईरानतक पहुंचा देनेके लिये जहान साथ देखकर राजाओंका मन ईर्थासे जल उठता है। पाते हैं। पसमिये सब प्राशाओंसे निरहेग होने के लिये किन्तु जहानको वैसा अभ्यास न था। गुरुसे यह व्होंने अपने बड़े लड़के मुहम्मदको म्वालियरके पाठ लेना जहान भूल गये-उपकार करनेसे कतन्न किले में यावज्जीवन पावद्द कर दिया। मुहम्मदसे होना चाहिये। वे अर्थका ही माहात्म्य अधिक एक अपराध भी हो गया था। बङ्ग-युद्धके समय समझते थे। लोभमें पड़कर उनोंने दारा और माहाजाकी कन्या के रूपलावस्यप मुग्ध हो उनके मंझले लड़के को पकड़कर खांजहांके हवाले उन्होंने उसके साथ विवाह कर लिया। इसलिये। किया-इनको गिरफ्तार कर लेनेपर औरङ्गजे.बसे विताका पक्ष छोड़ उन्होंने कुछ खशरका पक्ष पुरस्कार मिलेगा। पकड़ा था। औरङ्गजेबने विशेष कौशल कर उन __दाराको उस समय बड़ी दुर्दशा थी। शरीर पर लोगोम विच्छेद डाल दिया। फटे हुए कपड़े और शिरपर मैनी पगड़ी! उनके . दाराने साहोर और अजमेर में कई वार युद्धका पुत्र को भी अवस्था वैसी ही रही। वांजहां उन लोगोंको चायोजन किया था, परन्तु औरङ्गजेबसे परास्त हो हाथीपर चढ़ाकर दिल्ली ले गये। दाराकी दुरवस्था बये। अन्त में और कोई उपाय न देख उन्होंने सोचा, देखकर नगर के पशु पक्षी भी रोने लगे। परन्त और.. कि वसे दुःसमयमें ईरान जाकर प्राश्रय लेना ही जे.बका मन न पसीजा। बड़े भाई और भतीजेको पच्छा था। इससे अमुचरों को साथ ले उन्होंने टुर्दशा प्रजावर्गको दिखलानेके लिये इन्होंने एकबार ईरानकी राह पकड़ी। सिन्धुपार ताताराके निकट | उन लोगों को नगरका प्रदक्षिण करा एक निर्जन पहुंचने पर उनकी स्त्री नादिरा बानो बहुत बीमार | स्थानमें कद कर दिया। दारा जानते थे-मृत्य हो गई। सातारके सरदारका नाम जहान-खां था। निश्चित है। उन्होंने पहले ही से एक कुरी, एक पहले दो बार वे खूनी मुकद्दमे में फंसे थे। प्रधान कलम, एक दावात और कुछ काग्रज अपने कपड़े में विचारपतिक यहां उनका अपराध प्रमाणित हुआ। छिपा रखा । कारागारमें बैठकर कलम बनाते सम्राट शाहजहांने उनकी सारी सम्पत्ति कुर्क करके और दुःखको कविता लिखते थे। जब शोकका वेग प्रापदण्डकी आज्ञा दी। किन्तु केवल दाराके उमड़ उठता, तो लड़केका गला पकड़ कर रोने अनुरोधसे नहाम खां दोनों वार छुटकारा पा गये | खगते।