पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९४

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ककना-ककारपूर्वद्रव्य ५८३ ककना (हिं० पु.) १ काण, किसी किस्मको सोने- | ककरोमुख (सं० पु.) केश, बाल। चांदी वगैरहको चड़ी। २ इमलीका फल। ३ इमा- ककर्दु (सं• पु.) हिंसा, दुश्मनों का मटियामेट । रतका एक हिस्सा। "बकर्दये उषभोवुक पासोता" (ऋक् १०१६) 'कवर्दये शबुवां ककनी (हिं. स्त्री.) १क्षुद्रकलय, छोटा कंगन। हिंसनाय ।' ( भाष्य ) २ इमारतका एक हिस्सा। ३ दानेदार दोवार। ककमिह (करना)-एक क्षुद्र पख्त। यह दचिव- ४ एक अनाज । ५ कपड़े का छहा। एक मिठाई।। पथिम भारतके मरवास-सिंहपुर-पधमे प्रायः १२. ७ इमलौका छोटा फल। कोस दूर बरदिये नालेके पवम अवस्थित है। इस ककन्द (स. पु.) कको गादिक भवत्वस्मात, क्षुद्र पर्वत पर अनेक शिवमन्दिर भग्न वशेष देख कक-अन्दच् । १ खण, सोना। पड़ते हैं। आज भी १२ मन्दिर बड़ है। प्रत्येक ककर (सं. पु.) कका-अरच। पक्षिविशेष एक मन्दिरमें ५ फोट चा शिवलिङ्ग विराज रहा है। चिड़िया। मन्दिर देखनेसे ८० सौ वषके पुरातन मालूम ककरघाट (सं० पु.) के विषं करहाटे पस्य, होते हैं। पृषोदगदित्वात् हस्थ घः। मूल विषवृक्षविशेष, ककवा (हिं. पु.) १ कहत, कंधा। २ यन्च- जहरीली जड़ का एक पेड़ । विशेष, एक औज़ार। इससे जुलाहे करघे भरमौके ककराउल-विहार प्रान्तके दरभंगा जिलेका एक ग्राम। तागे कसते हैं। कचौ देखो। यह दरभंगा नगरसे प्रायः छह कोस उत्तर अवस्थित ककसा (हिं. स्त्री.) मत्स्थविशेष, किसो किसाको है। · कपड़ा बहुत अच्छा बुना जाता है। नेपाली मछली। यह गङ्गा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सिन्धुपादि इम कपड़े को बहुत पसन्द करते हैं। कहते, ककरा- नदीमें उत्पन्न होती है। मांस रच रहता है। उलमें कपिल मुनि रहते थे। प्रति वर्ष माघ मासमें ककहरा (हिं. पु.) वर्णसमूह, हरूफ-सहनी, मेला लगता है। 'कसे 'ह' तक अक्षर। ककराल-बदाऊ जिलेको दातागंज तहसीलका एक ककही (हिं. स्त्री०) १ कार्यासविशेष. एक कपास । नगर। यहां हिन्दू और मुसलमान दोनों रहते हैं। इसको रुई लाल निकलती है। २ चोबगला। ३ कधी। सिपाही विद्रोहके समय मुसलमान उत्तेजित हुये थे। ककाहर (केकाहर) मध्यप्रदेशकै नागपुर विलेका १८५८ ई के अपरेल मास जनरल पेनौ विद्राहियोंगे एक नगर। यह अक्षा. २०. १५.७० और देशा. शासन करने के लिये यहां पाये। किन्तु विद्राहियाने | १८३३° पू० में महानदौके दक्षिणतटपर स्थित है। उन्हें मार डाला। उनके सैन्यसामन्तोंने विद्रोहियोंको। दुर्ग-परिवेष्टित अत्युच्च शैलमानाका व्यवधान पड़ गया परास्त किया था। इस नगरमें हिन्दुवोंके मन्दिर और है। पहले यह नगर महाराष्ट्रोंके अधीन रहा। किन्तु मुसलमानोंको मसजिदें दोनों हैं। सिपाही विद्राहस तत्कालीन राजाको युद्ध उठ खड़ा हानसे ५.. पहले यहां अच्छे-अच्छे मकान् बने थे। किन्तु सिपाही देना पड़ते थे। १८०० ई०का राजाका अधि- विद्रोहियों ने उन्हें फक-फांक भस्म कर डाला। कार छटा । किन्तु अप्पा साहबके पलायनकाल राजाने आजकल मट्टीके हो घर अधिक हैं। सराय, डाक कुछ विद्रोहियोंसे मिल इस स्थानको फिर दबा लिया। खाना और थाना विद्यमान है। पाजकल राजाको प्रति वर्ष ५०१ रुकर देना ककरालो (हिं० स्त्री०) कखवाली, हाथको बगुली | पड़ता है। गिलटौ, कांखका कड़ा फोड़ा। ककाटिका (सं० स्त्री.) खलाटका परिख, मथे की ककरामोंगो (हिं.) कर्कटपङ्गो देखो। इण्डौ। ककरी ककड़ो देखो। क कारपूर्वव्य (सं• को०) ककारपूर्वक द्रव्य, जिस _valI 149