५३८ कक्ष्य-काय कच्च (सं• ली.) कचार्य साम्याय भवम्, कक्षा- | कगार (हिं. पु.) १ उच्चतट, जंचा किनारा। यत्। १ पात्र, प्याला। २ रथाङ्गविशेष, गाड़ीका २ नदीका करारा। ३ भूमिका उबत भाग, टोला। एक हिस्सा। (पु.) ३ रुद्र। ४ उत्तरीय वस्त्र, कगिस्थ (सं• पु.) कपित्थक, कैथा। चहर। ५ प्रकोष्ठ, कोठा। ६ सादृश्य, बराबरी। करोड़ो (हिं. स्त्री०) वृक्षविशेष, एक पेड़। यह ७ राजान्तःपुर, शाही जनानखाना। ८ पाख भाम, | भारतवर्ष में प्रायः सर्वत्र उत्पन्न होती है। इसका बगस्ती हिस्सा। (त्रि.) ८ कक्षपूर्ण कारक, बगल | काष्ठ गृहनिर्माण कार्यमें नहीं लगता। भर देनेवाला। १० कक्षोत्पन, बगलसे निकला | कश् (सं० पु.) कहते उद्गच्छति, कक्-पच्- दुमा। ११ शुष्क हणादियुक्त, झाड़ी या सूखी घाससे नुमच्। १ कोचपक्षी, बगला, बूटोमार। इसका भरा हुपा। १२ गुप्त, पोशीदा। १३ वधोपूर्णकारक, संस्कृतपर्याय लौहपुच्छ, सदंशवदम, खर, रणालङ्करण, हलके को पूरा करनेवाला। कर, आमिषप्रिय, अरिष्ट, कालपुर, किंशाक, लौह- कच्यप्र (सं० वि०) वधोपूर्णकारक, संयको पूरा पृष्ठक, दीर्घपाद और दीर्घपात् है। कहाका मांस करनेवाला। यह शब्द अखादिका विशेष है। । वृष्य, वौर्यविवर्धन और कफ हर है। (अविसंहित) कच्या (सं० स्त्रो.) कक्षे भवा, कक्ष यत्-टाप । २ यमराज। ३ छद्मवेशी ब्राह्मण, बना हुआ ब्राहाण। १ चमरज्नु, चमड़ेको रस्मो, नाड़ी। २ हस्तीबन्धनको ४ युधिष्ठिर। अन्नातवासके समय युधिष्ठिर 'कर' चर्मरन्न, हाथी बांधनेको चमड़ेको बहो। इसका मामसे विराटराजके सदस्य बने थे। ५ कंसासुरके संस्कृत पर्याय चुषा, वरना, बुषा, दृष्या और कक्षा है। भ्राता। ६ क्षत्रिय। ७ शालमलोहोपके अन्तर्मत ३ प्रकोष्ठ, आंगन । ४ महल, इमारत । ५ चन्द्रहार । पञ्चम वर्ष पर्वत। ८चत नामक राजा। - सुदेवके । सादृश्य, बराबरी। ७ उद्योग, कोशिश । ८ बहती। कनिष्ठ। १० जनपदविशेष, एक बस तो। ( मार्कण्यम 2 उत्तरोय वस्त्र, पोढ़नी, झूल। १. चन्द्रहार ५८) महाभारतमें लिखा, कि राजसूययन के समय बांधनेका धागा। ११ गुच्चा, रत्तो। १२ अङ्गुलि, कहके लोगोंने राजा युधिष्ठिरको उपहार ले जा कर उंगली। १३ कमरबन्द। १४ हौदा, अमारौ। दिया था। अनुमान होता, कि यह जनपद नैपास १५ घोढ़ी। १६ तंग, घोड़ा कसनेको चमड़ेको बची। पथवा तिब्बतके पूर्वाशमें अवस्थित है। ११ उड़ोसेको कच्यावान् (सं० पु०) कच्या अस्तास्य, कल्या मतुए | एक छोटी जमीन्दारी। १२ महाराजचत, किसी मस्य वः। १ हस्ती, हाथो। (वि.) २ वधीयुक्ता, किस्मका प्राम। १३ चन्दन । संग रखनेवाला। कहाचित् (सं० त्रि.) समूहमें एकत्र किया हुआ, कशावेचक, कचावेचक देखो। जो ढेरमें समेटकर लगा दिया गया हो। कखवाली (हिं. स्त्री०) कक्षारोग, ककराली, कष्ट (सं० पु. ) कं देहं कटति पावणोति, क-कर- बगसमें निकलनेवाला कड़ा फोड़ा। बचा देखो। भाच, कक्-अटन् वा। शकादिभ्योऽरन् । 'उ १ कखौरी (हिं॰ स्त्री.) १ कक्षा, कांख । २ कखवालो। १ कवच, बख्तर। २ अनुश, भांकुस । ३ खदिर, कख्या (सं० स्त्रो०) कख-यत्-टाप । कच्चा देखो। | रका पेड़। कगदही (हिं. स्त्री०) कागज़ वगैरह बांधनेका कङ्कटक (स• पु०) कङ्कट स्वार्थे कन्। कइटन देखें। बस्ता । काटेरो (स. स्त्री०) हरिद्रा, इल दो। बगर (हिं० पु.) १ उच्च तट, ऊंचा किनारा। कवण (सं० ली.) के इति कषति, कम् अण्-अच् । १ौंठ, बाट। ३ सीमा, डांड़। । कारनिस, इतके हस्ताभरणविशेष, हाथमें पहनने की एक चूड़ी। मीचे दीवार को उभरी हुई मेंड़। (वि. वि०) ५ बट- संस्थत पर्याय करभूषण और कौसुक है। २ हस्तसूत्र, पर, किनारपथक, पखग। हाथमें बांधा जानेवाला धामा। यह प्रायःहरिद्राये
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९९
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