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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६३२

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कटकई-कटखदिर ६३१ "समय यहां एक फौजदार रहे। कुजङ्गके राजा तत्- बहुत ज्यादा। २ सर्वोत्कृष्ट, सबसे अच्छा। (पु.) काल नाना स्थानों में लटमार मचाते थे। उक्त राजाको। महादेव। ४ अध्यक्त शब्दविशेष, एक प्रावाज। शासन देनेके लिये ही यहां फौजदारने अव- दांत बजनेका शब्द कटकट कहाता है। स्वान किया। कटकटना, कटकटाना देखो। कटक जिले में धान्य अधिक उत्पन्न हाता है। कटकटा (सं० अध्य.) कटकट-डाच । बव्यक्तानुकरचाह वियालो, दोफसलो और साखिया धान्य हो प्रधान है। घनवराधांदनिती डाच । पा ५॥३७॥ अनुकरण शब्द विशेष, वङ्गदेशक प्रामनको भांति यहां 'शारद' धान्य लगता एक अवाज। है। फिर भामनको तरह शारद भी नाना प्रकार "मुष्टिमिय महाघोर रन्धोऽन्धमभिजन्नतुः । रहता है। चने, मूग, उड़द, अहहर वगैरह तत: कटकटाशब्दो बभूव सुमहात्मनोः" । (भारत, वन १५००) दालको उपज अच्छो है। सरसा, तम्बाकू, हलदो, कटकटाना (हिं. क्रि.) दस्त पेषण करना, दांत मेथी, सौंफ, प्याज, लहसुन, अलसी, पान प्रति ट्रय पोसना। भी उत्पन्न होते हैं। कटकटिका (हिं. स्त्रो०) पक्षिविशेष, एक बुनवुन । ____औषधके वृक्षोंमें भामलको, आक्रान्ता, अर्जुन, शीतकालको यह पर्वतसे नाचे समतन भूमिपर अर्क, अश्वगन्धा, आम्र, वित्व, भृङ्गराज, ब्राह्मण- उतर पाती और वृक्ष वा भित्तिके खोखलेमें घोंसला यष्टिका, वकुल, वच्चमूला, बहेड़ा, वेणा, वासक, लगाती है। भूतारि, भूमिवारुणी, अनन्तमूल, बाकचा, चिरायता, कट-कबाला (हिं. पु.) मियादो बै, जिस बैमें चित्रकमूल, रक्तचित्रकमूल, दाडिम, धतूरा, दार । मुद्दत रहे। हरिद्रा, दन्तो, दूधो, गजपिप्पली, घृतकुमारी, गुच, कटकाई, कटकई देखो। गोक्षुर, हस्ताकणं, इरौतकी, इन्द्रयव, इन्द्रवारुणी, कटकार (सं.वि.) कटं करोति, कट-व-प्रद । इसबगोल, जाम, जयित्रो, जायफल, क्वष्णापों, १ चटाई बनानेवाला। (पु.) २ शिल्पकार जाति- कण्ट ककुसुम, कुचिला, कमरख, मोथा, घुइया, महा- विशेष, एक कौम। शूद्राके गर्भसे गापन में वैश्य ने निम्ब, निम्ब, नागेश्वर, श्रोल, फूट, परवल, पलाश, इस जातिको उत्पन किया है। कटकारका व्यवसाय रक्तचन्दन, इमली, तान्तमूली, सोमराज, शालपों, चटाई वगैरह बनाना है। सोनामुखी प्रभृति देख पड़ते हैं। कटको (सं. पु.) कटकोऽस्वास्ति, कटक-इनि । ___ इस जिले में हिन्दू, मुसलमान वगैरह नाना थेणि १ पर्वत, पहाड़। २ गज, हाथी। (वि० ) ३ कटक- योंके लोग रहते हैं। अंगरेजी राज्यसे पूर्व पुन: पुनः युक्त, फौजदार। ४ कटकका रहनवाला । (स्त्री) विदेशीय पाक्रमण पड़नसे कटक जिला अत्यन्त दरिद्र ५ लाल मिर्च। पौर होन अवस्थाको पहुंचा था। आजकल फिर कटकीय (सं०वि०) कटकाय हितः, कटक-छ। क्रमशः अवस्था सुधर रही है। किन्तु पहले लाग वलयादि प्रस्तुत करने में लगनेवाला, जो कड़े बनानेके जैसे परिश्रमी थे, आजकल वैसे नहीं। वषक भी काम आता हो। यह शब्द स्वर्णादिका विशेषण है। विलासौ इये जाते हैं। यहां क्रमशः विचायतो ट्रव्यों- कटकुटी (हिं. स्त्रो०) पर्णशाला, घास-फूसको झापड़ी। का आदर बढ़ रहा है। देशी द्रव्यादिसे लोगों को कटकोल (स'. पु०) कटति स्रवति, कट-पच्, बहा घटते जाती है। वालेश्वर, पुरो प्रकृति शब्द देखो। कटस्व कोलो धनोभावो यत्र, बहुव्रीनिष्ठोवनपान, कटकई (हिं. स्त्री० ) १ सेना, फोज। २ सैन्ध- पीकदान, थूकने का बरतन। ' समावेश, फौजका जमाव । कटखदिर (सं• पु.) १ काक, कौवा । २ मास, कटकट (स.वि.) कटप्रकारः हित्वम् । १ अत्यन्त, । गोदड़।