पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६७२

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कखजभन-कतक ६०१ 'कखः सुखमयः वत्त्वविद्याप्रभावात् मत्वर्थ म'सारबन्ध सुखमयः नहि कखहोता (स.पु.) कखको होताके स्थानमें तत्त्वज्ञानिनां क्वचित् संसारासक्ति: अविद्याधर्माभावात् ।' रखनेवाला यजमान, जिसके कख होता रहे। कखका अर्थ तत्त्वविद्याके प्रभावसे मुखमय रहने- कण्वाश्रम (स.पु.) कखस्य पाश्रमः, ६-तत् । वाला है। तत्त्वज्ञानियोंको अविद्याके प्रभावसे संसारमें कण्व मुनिका पाश्रम, कख के रहने को जगह। यह किसी प्रकारको आसक्ति नहीं रहती। सुतरां वह पाश्रम मालिनी नदी किनारे पवस्थित है। कखाधम संसारके सुखसे भी अलग रहते हैं। आदि धर्मारख के नामसे विख्यात है। इस स्थानके ___४ पुरुवंशीय एक राजा। तपस्थाके बलसे यह भी प्रवेशमावसे समस्त पाप विदुरित होता है। (भारत) मुनि हो गये थे। ५ एक राजा। यह प्रतिरके कोटा राज्यसे दक्षिण चम्बल नदीके निकट भी एक 'पुत्र और मेधातिथिके पिता रहे। कोई कोई इन्हें कखाश्रम विद्यमान है। इसी स्थानके समीप मौर्य- अजमीढ़का पुत्र कहता है। ६ धर्मशास्त्रकार मुनि- वंशीय शिवराजोंको शिलालिपि मिलो है। विशेष। ७ तीर्थविशेष। (त्रि०) ८ वधिर, बहरा, कखस्मृति (सं० स्त्रो०) कखन प्रयोता मतिः, जिसे सुन न पड़े। विद्याक्रियाकुशल, पालिम । कर्मधा। शुक्लयजुर्वेदसे कखमुनि द्वारा संग्रहीत एक १० मेधावी, भलमन्द। ११ स्तुतिकारक, तारीफ, धर्मशास्त्र । करनेवाला। १२ स्तवनोय, तारीफ़के काबिल। कत् (स० अव्य०) १ ईषत्, अल्प, थोड़ा। २ कुत्सिता। कखजम्भन (सं.वि.) कख नामक पिशाचोंको ३ क्वाथ । नाश करनेवाला। | कत (सं० पु.) कं जलं शुद्ध तनोति, कतन-ड। १ निर्मलोवृक्ष, निर्मलीका पेड़। कतक देखो। २ मुनि- कखतम (सं० त्रि०) अत्यन्त बुद्धिमान्, निहायत | विशेष। यह विश्वामित्रके एकतम पुत्र थे। मलमन्द। (हिं. अव्य.) किस कारण, क्यों, किस लिये। कखमान् (स० वि०) १ कखोंके विधिसे तैयार | "किया हुआ। २ स्तुतिकारकों द्वारा सङ्गठित। कत (प० पु०) लेखनीके अग्रभागका तिर्यक् छेदन, कलमको नोकको तिरको तराश । कण्खरथन्तर (सं.क्लो०) कखन गीतं रथन्तरम, कतक (स० पु०) तक हासे बाहुलकात् घ, कस्ख मध्यपदलो। सामगानविशेष, सामवेदका एक गाना। जलस्य तकः हास: प्रकाशोऽस्मात्। १ वृक्षविशेष, एक कखवत् (सं० पव्य) कख की भांति । पेड़। इसका संस्कृत पर्याय-अम्बप्रसाद, कत, तिला- कखसखा (स.पु०) कांका मित्र, जो कखोसे फल, रुच्य, छेदनीय, गुच्छफल, कतफन और तिस- दोस्ताना बर्ताव रखता हो। मरिच है। कतकको बंगला और हिन्दोमें निर्मलो, कखसुता (सं० स्त्री०) कखस्य प्रतिपालिता मुता। उड़ियामें कतोक, तेलङ्गमें कतकमु, इन्दुपुचेगु अथवा शकुन्तला। एकदा विश्वामित्रको उग्र तपस्यासे डर चिल्ल, तामिलमें तेतमरम् वा तेत्रकोत्ते, दक्षिणोमें देवराज इन्द्रने तपोविघ्नके लिये मेनका नाघी चिखविन, सिंहलोमें इङ्गिवि और वैज्ञानिक अंगरेजोमें अप्सराको भेजा था। विश्वामित्र उसका रूपलावण्वादि ष्ट्रिकनोस पोटेटोरम् (Strychnos potatorum ) देख विमोहित हुये। फिर उन्होंने उसके गर्भसे एक कन्या उत्पादन को थी। मेनका उस सद्यप्रसूत | ___अति पूर्वकालसे यह वृक्ष भारतवर्षमें प्रसिद्ध है। कन्धाको वनमें फेंक यथारखानको चली गयी। दैववश हमारे पूर्वतन ऋषि इसके फलसे जलस शोधन करते कख मुनिने उस कन्याको देख लिया था। वह थे। (सुश्रुत) भगवान् मनुने कहा है- दयाचितसे उसे अपने आश्रममें ला तनयाकी तरह "पलं कवकाचस्व यद्यप्यम्बु प्रसादवम् । लालन-पालन करने लगे। शकुन्तला देखो। न नामयहादेव वस्य वारि प्रसौदवि। (६६)