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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६९७

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कदली बोड़ा पड़ जानेको सम्भावना है। कीड़ा लगनेसे | (१) कदलीको लगा कर पत्ते काटना न चाहिये। कदली सूख जायेगी। चतुथै नियममें चैत्र एवं क्योंकि उसीसे कृषकोंको दाल-रोटो और कपड़े- भाखिन मास छोड़ कदली लगानका विधि रखा लत्तेका सुभीता पड़ता है। (२) तीन सौ साठ केलेके गया है। फिर पञ्चम नियममें भाद् मासको भी झाड़ लगानेसे एहस्थ घरमें पड़े सोता और कोई छोड़ दिया है। किन्तु खनाने ही अपने दूसरे दुःख नहीं होता। वचनमें आषाढ एवं श्रावण मास कदली लगानेको । पत्र कटते ही कदलीवृक्ष निबल पड़ जाता है। उपदेश दिया है। सुतरां मोचा निकलने में विलम्ब लगता है। नतुवा . रोपयका नियम-कैलेका बाग लगानेको प्रथम क्षेत्रमें | यथा समय फल पानेसे लाभ होना सम्भव है। ३४. हाथके अन्तर एक-एक श्रेणी बनानेके लिये कमसे केलेके झाड़ लगानेसे पाठ मास बाद सकल फल कम हाथ मट्ठी उठाना चाहिये। फिर कुदालसे दिया करते हैं। सुतरा एक ही समय ३६. गहर डोले तोड़ और घेरा जोड़ क्षेत्रको समतल करते हैं। उतरनेपर प्रति अल्प पड़ते भी १५०० रु० नकद पाय कलम लगाने को हरेक कलमके साथ एक-एक प्राचीन होगा। पल्लोग्राममें यदि प्रति मास १२) रु० नकद बष वा स्थल मूलका कियदंश रखना आवश्यक | कोई खर्च करे,तो उक्त आयमें अति सुख पौर स्वच्छन्द है। फिर स्थल मूल जमानेको उसे अर्ध्वाधोभावसे से एक वर्ष उसका काम चले। फिर दो बौधे जमौन- चार या आठ खण्ड कर क्षेत्रमें गाड़ देते हैं। हरेक में ३६० केलेके झाड़ अच्छी तरह हो सकते हैं। कलम या मोटौ जड़का टकड़ा ८ हाथके अन्तर एकबार लगा देनेसे उसी भूमिमें प्रायः ५ वत्सर सगाया जाता है। कलमका पेड़ बड़ा होता है। पर्यन्त कदली फला करती है। किन्तु उसके बाद फिर स्थल मूलका वृक्ष क्षुद्र रहते भी फल अधिक अन्य भूमिमें इसे लगाना पड़ता है। दीर्घ और सुस्वादु निकलता है। बाग लगानेको | बम्बई प्रदेश के लोग रसौली मट्टीमें कदली लगाते सुविधा न होने से किसी स्थानमें श्रेणी बना कदलीको है। झाड़में कभी एक और कभी दो किल्ले छोड़ रोपण कर सकते हैं। श्रेणी बनाने में अडचन बाकी काट डाले जाते हैं। फिर फलका वीज डाल पड़ने पर किसी भावसे लगाते भी कदली हुपा करती किल्लोंपर छाया रखनेको प्रत्येक वीजके पाचपर एक हैं। किन्तु खाद देना प्रावश्यक है। रोपणके समय एक कदली वृक्ष लगा देते हैं। पीछे पौदा बढ़नेपर खोदी हुई मट्टीमें थोड़ी कचिला मट्टी मिला सकनेसे | कुछ वत्सर बाद जब उक्त कदलीवृक्ष उसके र पच्छा रहता है। उसके बाद बीच बीच पौदेकी जड़में | सञ्चारमें वाधा पहुंचाता, तब वह काट डाला जाता है। सुपारीके क्षेत्रमें भी इसी प्रकार वृक्षके मूलपर सम्बन्धमें खनाके वचन हैं- छाया पहुंचानको कदलो रोपण करते हैं। वहां . (१) सात हायके भन्तर पर डेढ़ हाथके गड्डे में | इसकी कृषिमें लोग बड़ा यन लगाते हैं। ऊख और कलमके साथ पुराना पौदा लगाना चाहिये। पानको खेतोके पीछे उसी भूमिमें इसे रोपण करते (२) आठ हाथके अन्तर पर दो हाथ गहरे गड़े में | हैं। प्रथमतः पान काटकर जख बोई जाती है। बदली रोपण करनेसे फल खानेको मिलता है। ऊख कटने पोछे जमीन् थोड़े दिन खाली पड़ी रहती (३) सात हायके अन्तर पर पौने दो हाथ गहरे है। फिर दृष्टिके बाद वैशाख-ज्येष्ठ मास दाधि- मड़े में केला लगानेसे. कषक अपने परिवमका फल | णात्यमें इसी समय पानी बरसता है। हल और मई पाते हैं। चला इञ्च गहरे कलम लगाया जाता है। कुलम

फिर कदली बचके सम्बन्धमें उक्त खनाने दो | लगाते समय फलोंके छिलके, सड़ी मछली और गोबरः . .

पति सुन्दर और यथार्थ उपदेश दिये है,- ' को खाद डाल देते हैं। भिन्न भिन्न जातीय कदलोको ..