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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७०४

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...कनकटा-कनकमग कनकटा (हिं. वि.) १ कर्णरहित, बूचा, जो कान | कनकपराग (सं० पु०) सुवर्णरेखा, सोने का बुगदा । कटा चुका हो। २ का काटनेवाला, जो कान काट कनकपल (सं. पु.) कनकस्य पलं मानविशेषः । .लेता हो। १ स्वर्णादि परिमापक षोडशमाषक, सोलह मासे कनकतालाभ (सं० त्रि.) स्वर्णके तालवृक्षको भांति | सोने को तौल। इसका अपर नाम कुरुविस्त है। प्रभाविशिष्ट, जो सुनहले ताड़की तरह चमकता हो। २ मत्स्य विशेष। इसका मांस स्वर्ण जैसा होता है। कनकौल (सं० लो०) क्षुदरोगाधिकारका एक तेल, कनकपिङ्गल (सं० लो०) तोथ विशेष । (हरिवंश ॥३.६ छोटी-छोटी बीमारियोंपर चलनेवाला तेल। मधुकके कनकपुर-पामविशेष, एक गांव। यह कपिलवस्तुसे कषायमें एक कडव तेल पाक करना चाहिये। योजन दूर अवस्थित है। यहां कनकमुनि नामक फिर उसमें प्रियङ्ग, मञ्जिष्ठा, रक्तचन्दन, नौलोत्पल बुद्धने जन्मग्रहण किया था। और नागेश्वर प्रत्येकका चार-चार तोले कल्क डालनेसे कनकपुरो (सं० स्त्रो०) कनकनिर्मिता पुरी, मध्य- यह तेल बनता है। कनकौल मुखको कान्ति पदलो। १खणेपुरी, सोने का शहर। २ लङ्का। बढ़ाता और चक्षुःशूल, शिरःशूल प्रभूति रोग मिटाता कनकपुष्यिका (सं० स्त्री.) १गणिकारिका, छोटो है। (चक्रपाणिदचकृत संग्रह) परनौ। २मोत्पल, उलट-कबुन । कनकदण्डक (सं. ली.) कनकस्य दण्डो यत्र, | कनकपुष्यो, कनकपुष्पिका देखो। बहुवी। राजच्छव, शाही आफताबी। कनकप्रभ (सं० पु.) सोममताभेद। सोम देखो। कनकध्वज (सं० पु०) धृतराष्ट्र के एक पुत्र। कनकप्रभा (स. स्त्रो०) कनकस्य प्रमेव प्रभा यस्याः, कनकन (हिं. पु०) शब्द विशेष, एक पावाज । मध्यपदलो। १ महाज्योतिष्मतोलता, बड़ी रतन- किसी विषयपर इठपूर्वक बोलते रहने और दूसरेको | जोत। २ पोतयथिका, सोनजुहो। ३ वरातिसारका बात न सुननेको कनकन कहते हैं। एक रस, बुखारके दस्ताको एक दवा। सुवर्णवोज, कन-कना (हिं० वि०) भङ्गुर, नाजुक, टूट-फूट मरिच, मरालपाद, कणा, टणक, विष और गन्धक जानेवाला। समान भाग ले भांगके रस में घोंटने और गुच्चाप्रमाण कनकना (हिं.वि.) १कनकनानेवाला, जो कन वटिका बनानसे यह औषध प्रस्तुत होता है। इसके कनाहट लाता हो। २ चुन-चुनाहट लानेवाला, सेवनसे अतीसार, ग्रहणी और अग्निमान्य रोग छट चुनचुना। ३ असहा, बरदाश्त न होनेवाला, जो जाता है। (रसेन्द्रसारस यह) ४ छन्दोविशेष। इसमें खाने में बुरा लगता हो। ३ पसहनशील, चिड़चिड़ा, | तेरह-तरह अचरके चारपाद रहते हैं। चिढ़ उठनेवाला। कनकप्रसवा (सं० स्त्रो०) कनकवत् प्रसवः पुष्य कनकनाना (हिं. क्रि०) १ कनकनाहट मालम | यस्याः, बहुव्री । वर्णकेतकोवृक्ष,सुनहले केवड़े का पेड़। पड़ना, चुनचुनाहट उठना, मुंहका जायका बिगड़ना। कनकप्रसून (सं० पु०) धलोकदम्ब, किसी किस्मके जमीकन्द, घुइया वगैरह चोजें कच्चो खानेसे मुंह कदमका पेड़। कनकनाने लगता है। २ अच्छा न लगना, बुरा कनकफल (सलो०) १ धुस्तुरफल, धतूरेका फल । मालम पड़ना। ३ चकित होना, भड़कना, कान २ जयपाल, जमाल-गोटा। खड़े करना। ३ रोमाञ्च पाना, सनसनाना। कनकभङ्ग (सं० पु.) स्वर्ण खण्ड, सोनेका टुकड़ा। कनकनाहट (हिं. स्त्री०) कनकनानकी हालत, कनकमय (स.वि.) कनकस्य विकारः, कनक- कनकनी। मयट। स्वर्णनिर्मित, सोने का बना हुमा, सुनहला। कनकपत्र (म.ली.) कनकनिर्मितं पन पत्राकार | कनकमुनि (स.पु.) बुइविशेष । भूषणमित्यर्थः। कर्णालङ्कारविशेष, कानका पात। | कनकसग (सं• पु०) कनकवर्णो मृगः, मध्यपदलो. ।