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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७१९

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०१८ ___ १३ वत्सर पीछे घटनावशतः कनफ चीको खदेश | मोड़ेंगे! जिस समय कनफ चौके मनको अवस्था ऐसो सौटना पड़ा। उस समय ल राज्यमें किक मामक रही, उसी समय किकको दूतमण्डलो पा पहुंची। एक व्यक्ति राजाके पति प्रियपात्र बन बैठे थे। उन्हीं के इन्होंने हिरुलिन उठा उनका प्रस्ताव ग्राह्य किया पराम पर राजा सकल कार्य करते रहे। घटना और विन्दुमात्र भी विलम्ब न लगा शिष्यों के साथ क्रममे येन नामक कनफ चौके एक शिष्यको | खदेगको ओर पद फेर दिया। कि के अधीन मैन्य विभागमें कोई कर्म मिला। कनक चौके राजसभामें पहुंचने पर गजा गै (गयङ्ग) फिर इयेमउने सिराज्यके विपक्ष युद्धयात्रा कर अति शासनकायँके सम्बन्धपर नानारूप प्रश्न उठाने लगे। कौशलसे जय पाया। किकने उनको युद्धप्रणाली इन्होंने यथायथ उत्तर देते देते स्पष्ट हो सकत किया देखो थो। वह इयेउको नतन-प्रकार युद्धरौति था-यदि हमें किसी कर्म में लगावोगे, तो राज्यमें देख एक दिन पूछने लगे-तुमने इस प्रकार युद्ध यथेष्ट मङ्गल देख पावोगे। फिर कनफ चोने कहा- करना कहां सीखा था। इयेनउने उत्तर दिया उपयुक्त मन्त्री निर्वाचन कर सकनेसे ही राज्य में कनफ चोने हमको यह युद्धप्रणालो सिखायी है। सुशासन चलता है। किकङ्ग के भी पूछने पर कनफ चौका नाम सुन उन्होंने कहा था-वह कैसे इन्होंने बताया था,-'प्रशस्तममाको रख लीजिये भादमा हैं। इसपर इयेनउ बोल उठे-किसी और नीचमनाको निकाल दीजिये। फिर पाप अल्प कर्म में उन्हें नियक्त कर लेनेसे पापका यश चारो ओर दिनके मध्य ही देखेंगे-नोचमनाका मन प्रशस्त फल जायेगा। आपके सैन्धसामन्त अकुतोभयसे हो गया है। किन्तु किकत ऐसी बातसे समझ देवदानवके सम्मुख खड़े हो सकेंगे और किसीसे न न सके-कैसे क्या करना पड़ेगा। उसी समय डरेंगे। फिर यदि आप स्वयं उनके उपदेशानुसार लु राज्यमें डकैतीका भी प्रादुर्भाव हुआ। किकङ्ग कार्य चलाये, तो देशीय शत-शत पण्डितों के परामर्थ समझ न सकते थे-कैसे इस डकैतीको निवारण पर भी किसीसे कोई कष्ट न पायें।' करेंगे। इसीसे कनफु चौने कुछ खोलकर कहा- एक सकल कथा सुन किकाने भविष्यत् सुफलको यदि पाप स्वयं लोभी न बनें और अपनी प्रजाको पायासे कमकुचीको नियुक्त करने की ठहरायी थी। पुरस्कार दे प्रलोभित करें, तो यह डाके कैसे पड़ें। किन्तु इरीनउने उनसे कहा,-यदि उन्ह नियुक्त इस उत्तरसे इन्होंने स्वयं मैराजपर भी कुछ कटाक्ष करना हो चाहते, तो स्मरण रखिये-आप दोनों के किया था। कारण, कनफुची समझते रहे-'दो पराम में कोई नीचमना व्यक्ति घुमने न पाये।। वत्सरसे राजा किकनके अत्यन्त वयोभूत हो गये इतके हे ही किककने कनफ चौको लानके लिये हैं। जो वह कहते, राजा उसमें द्विति नहीं करते।' दूत भंजदये। . किन्तु शेष को यह लु-राजको सभामें ठहर न सके। उस समय कनफ ची उद् राज्य में रहे। वहां यह कारण वैसे लोगों के वयमें रहवाले भुने निकर कङ्गप्रयान नामक उदराजके किसी मेनापतिके व्यव- कनफ ची जैसे व्यक्तिका टिकना असाध्य था। हारमे तिल हो चन देने की राह देखते थे। उधर इस बार भी लुराजके निकट मनाभीष्ट सिह न का धान सवशास्त्रज्ञताका परिचय पा इनके पास होने कनफची राजकार्य को प्राथा कुछ दवा भोर पाते और कंवन एकमात्र युद्धको बातपरं हो पालो अवसर लगा घरमें बैठ रहे। फिर इन्हा ने ब. सना उठते रहे। किन्तु कनफ चौको युद्धशास्त्र का देशके प्राचीन इतिहास मुकिया अन्य को टोना और सयदेश देना अच्छा लगता न था। इसीसे यह अत्यन्त भूमिका लिखो। केवल इतिहास हो नहीं, वन- विरत रहे। शेषको इन्होंने खिर किया-यदि हम फ.चोने उस समय दूसरे भी अनेक विषयों में शराब यह राज्य न छोड़ेग, तो इस विषयसे कैसे मुह समाया था।