कनाची पाजकन्त कनफ चौके जो पुस्तक मिलते, वह प्रधा- कनफचौ-रचित नीतिगम काय लिखा, जो सीतये मतः दो श्रेणीके निकलते हैं। किन्तु प्रथम श्रेणोका | मरा है। एतद्धिव सिकिङमें प्राचीन कविता, काब पादि पुस्तक सर्वापेक्षा श्रेष्ठ है। हिन्दुवो के वेदको और सङ्गीत-संग्रह भी है। चीना उक्त मोत पौर भांति चीना भी इस प्रादिपुस्तकको परम-पूच्च | कविता कण्ठस्थ कर लेते हैं। इसमें सोतका पहो- समझते हैं। प्रादि पुस्तकमें पांच ग्रन्थ विद्यमान हार करने को कनकवीने कितने ही प्रबन्ध लिखे हैं। है-इकिङ्ग, सुकिङ्ग, सिकिङ्ग, लिकित और चुङ्गछ।। चोना एमके गोतादि उत्सग पर व्यवहार करते है। इकिङ्ग में चीनदेशके पामूल परिवर्तनका विषय लिखा। चीनावा का न्यायका पार पावार-व्यवहार या है। किन्तु इस पुस्तकका मूल इन्होंने नहीं बनाया। पुस्तक पढ़नेसे यथेट समझ पड़ता है। यह उसके टीका एवं भाष्यकार रहे। लोग चोन कनफ ची का चिकिङ्ग नामक चतुर्य ग्रन्य सर्वा- राज्यके स्थापयिता कोहोको उसका प्रणेता बताते पेक्षा वृहत् है। पूर्वात तीनो पुस्तक एकत्र करने है। पुस्तक प्रसङ्ग प्रहेलिकामें रचित हैं। किन्तु भी इसकी बराबर नहीं होते। यह चौनावों को प्रति भाषा अति कठिन है। साधारण लोग उसका अर्थ और व्यवस्थाका ग्रन्थ है। इसमें धर्मकर्मकी रीति- खगा नहीं सकते। भाथ न रहनेसे जैसे वेद समझमें नीतिका विधि वणित है। निणय करना कठिन है- नहीं पाता, वैसे ही कनफ चौका भाथ विना देखे इसका मूलांश स्वयं कनफ चौने बनाया था या नहीं। पकिङ्ग दुर्बोध माना जाता है। इसके भाष्यको भूमि- चुङ्गछिउ नामक पञ्चम ग्रन्थों कनफ चोको जब कामें स्वयं कनफ चौने ही लिखा है-'यदि हमारे भूमि लु राज्य का इतिहास दिया गया है। शब्दसे वयसका परिमाण कुछ बढ़ता, तो ५० वत्सर अभी वसन्त और छिउसे शरत्कालका बोध होता है। "इकिङ्ग का पढ़ना चलता; फिर जो टोका वा भाष्य | वसन्तसे प्रारम्भ कर शरत्कालको शेष करनेसे हो बमाते, उसमें कोई बृहत् वम देख न पाते। यह इन्होंने इसका नाम चुङ्गछि रखा है। यह पुस्तक पुस्तक चीना ग्रन्थों में सर्वापेक्षा प्राचीन पौर पवित्र | कनफ चोने वृहावखामें लिखी थी। इसमें बा-राज है। ईसे पूर्व हादश शताब्दीको भेभाङ्ग नरपतिने समयसे गैराजके राजत्वकाल (चतुदेश वत्सर) पर्यन्त एकवार इमके अर्थसंग्रहको चेष्टा लगायी थी। किन्तु | इतिहास मिलता है। इस प्रवको खयं कनक चोने वह किसी प्रकार सफल न हुयी। कनफ चोसे पहले हो बनाया था। इनमें एक भी शब्द दूसरे का नहीं। दूसरा कोई इसका भार उठा न सका था। प्राजकन इसी इन्होंने इसको बना और शियों को देखा कता साधारणत: जसे हिन्दुस्थानी ब्राह्मण वेद नहीं सम-| था,-यदि हमारी रचनासे कोई यप वजेगा, तो वह झते, वैसे ही पहले चीना भी इकिङका पर्थ करनमें इसी चुछि उसे मिलेगा और यदि अपयश पायेगा, पटकते रहे। यह इकिाको बडे पादरको दृष्टिसे | तो वह भी इसीसे फैन जायेगा। इस पुस्तक का देखते थे। फ नौ ऐखरिक वा माध्यमिक तत्त्वार को उपदेव आदि पुस्तक का हितोय अन्य 'मुकिङ्ग है। यह | | नहीं दिया। पनौकिकी शक्ति को महिमा बता संग्रहसे बनाया गया है। सुकिङ्गही चीनावोंका। इन्होंने कुछ विषयों की मीमांसा लगायो है। फिर सर्वोत्कष्ट प्राचीन इतिहास है। इसमें चीन-राज्यको प्रत्येक विषय की मीमांसा कनकचोने कार्यकारण देखा स्थापनासे कनफु चौके समय पर्यन्त समस्त इतिहास | दिया है। 'केवन्त मृता क्या है प्रश्के उत्तरमें किसो वर्णित है। हिन्दुवों के पुराव-शास्त्र की भांति इसमें स्खलपर इन्होंने लिखा-जब हम 'जीवन क्या नहीं धर्मनीतिका उपदेश भी मिलता है। इन्होंने प्राचीन समझते, तब 'मृत्य क्या हैं कैसे समझ सकते हैं! अन्वादिसे संयह कर सुकिङ्ग शिखा था। ईके ४४१ पूर्वाब्द इनके एकमात्र पुत्र सो चल बसे मिकिक-प्राटि पुस्तकका वतीय ग्रन्य है। इसमें थे। कनफ चोको जीवनौमें उनका विशेष सावनी
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७२०
दिखावट