पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७२२

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०२१ . शिथों ने महासमारोहसे इन्हें समाहित किया। कनफचौके समाधि-स्तम्बकी दोनों ओर दूसरे था। कितने ही शिष्य कुण्ड बना ३८ वतसर समाधिके भी दी खुद्र स्तम्भ खड़े हैं। उनमें पहला इनके पुत्र निकट रहे। पितृतुल्य गुरुदेवके मृत्यसे शिष्य और दसरा पौत्रका समाधिस्थल है। पौत्रके समाधि- वास्तविक अभिभूत हुये थे। उस समय कनफ चोक स्तम्भको दाहना पोर एक मकान बना है। लोग तीन प्रियतम शिष्यों में एकमात्र जिकाही जीवित कहते-ठोक इसी स्थानपर जिकड़ कटोर निर्माणकर रहे। वह किसी प्रकार शोकको सम्बरण कर न और गुरुके शोकसे पागल बन ६ वत्सर काल रहे थे। सके। इसीसे उन्होंने फिर तीन वत्सर समाधिक समाधि-स्तम्भके सम्मुख जो प्रतिमूर्ति पातो, निकट हो वास किया। मृत्य हो जानेसे देशके उसको देख कनफ चोको पावति स्पष्ट समझी जाती लोगों को इनका प्रभाव समझ पड़ा था। इसीसे है। यह दोघच्छन्द, बलिष्ठ एवं सुगठित पुरुष रहे। समग्र देश इनके लिये शोकसन्तप्त हो गया। मुखमण्डल रक्ताम एवं पूर्णताप्राप्त और मस्तक वृहत् किठफो नगरके बहिर्भागमें कहवंशका समाधि था। इनके शरीर में ४८ विशेष चिह्न रहे। स्थान था। उसी स्थानपर किसी स्वतन्त्र विस्तृत ___कनफची अपने प्रभु रानासे जिस भावमें व्यवहार घेवमें कनफ चौका समाधि लमा, पीछे एक बहत् करते, उससे पामनिर्भरताके गुण भाचकवे थे। किन्तु । एवं उच्च स्तम्भ भी बना। स्तम्भके सम्मुख मरमर राजाका सम्मान रखते समय इन्हें बड़ा प्रस्वाच्छन्ध पत्थरसे बनी इनकी प्रतिमूर्ति स्थापित हुयी। समस्त उठाना पड़ता रहा। जब यह राजसभामें जावे या शून्य सिंहासनके निकट पावे,तब मुखके भाव परिवर्तित देखावे थे। उस समय इनके पैर कंपते रहे । कण्ठका खर इतना मृदु खगता, मानो बात करने में इन्हें कष्ट पड़ता था। घटनाक्रमसे राजचिह वहन करते समय कनफ चौका शरीर अवश हो जाता, उसका भार किसी प्रकार सहने में न पाता रहा। यदि किसी पौड़ाके समय राजा इन्हें आकर देखते, तो प्रमुख शरीर पर भी अपनी पदोचित वेषभूषा लगा यह पूर्वमुख लेटते थे। किसी राज-अतिथिको सादर आह्वान करनेको राजा जब इन्हें बोलाते, तब इनके भाव बदल जाते रहे। उस समय यह उत्साहित हो राजाके अन्यान्य कर्मचारियों के साथ आगे बढ़ते कनफुचौकी मरमर-मूर्ति। थे। जब प्रतिधिको पाबान करने के लिये यह स्वयं

स्थान घेर कुजवाटिकामें परिणत किया गया है।। भेजे जाते, तब सर्वाप हारके निकट पहुँच विप्र- .

प्रवेश-दारसे स्तम्भ पर्यन्त साइप्रेस वृक्षको श्रेणी गतिसे स्वीय अस्त्र-शस्त्रादि देखाते रहे। दुर्भिक्षादिके शोभित है। प्रवेशके हारपर पति सुन्दर कारकार्य निवारणार्थ देशमें वार्षिक उत्सव होनेपर कनफ चौ खयं उसका मूलोद्देश्य देख उत्साह देते और पदो- . बना है। . मरमरको मूर्ति के नीचे. 'सियान' नामक राजवंश | चित वस्त्रादि परिधानपूर्वक पपने गृहको पूर्व और प्रदत्त कनफ चौका महान्नानीगणाग्रगण्य प्राचीन खड़े हो उत्सवके मतवाले लोगों को निकट पानेपर - शिक्षक और सर्वविद्यानिपुण एवं सर्वन-सम्राट् नामक महासमादरसे खेते थे। पानाहारादिके कार्य में यह उपाधि खोदा है।... . पधिक सावधानतासे पबवे रहे। कनफ ची कमी _ Vol. IIL 181 SCORPAN