पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७५७

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कन्याहरण-कपटी ७५७ कन्याहरण (सं.ली.) कनाको निकाल ले जानेका कपटता (स.बी.) कपटस्य भावः, कपट-तल. कार्य, लड़की से भागनेका काम। टाप। कपटका भाव, कापब, धोकेबाजी। कन्याइद (सं० पु.) तौथे विशेष। इस तीधमें वास कपटतापस (सं० पु.) कपटेन तापसः। छलपूर्वक करनेसे देवलोक जाते हैं। सपस्त्री बननेवाला व्यक्ति, जो शख्स धोका देनेको कन्धिका (सं० स्त्री०) कनया एव, कन्या स्वार्थे कन्- फकौर बना हो। टाप अत इत्वम्। कनया, बेव्याही लड़की। कपटधारी (स• वि.) कपटं धारयति, कपट-ट- कन्युष (सं• क्लो०) कन-इन्, कनया कान्ता पोषति गिनि। कपटयुक्त, धोकेबाज । इव, उष-क। १हस्तपुच्छ, कलाई के नोचेका हाथ। कपटना (हिं.क्रि.)१शिर छेदन करना, तोड़ना, २वन्ध्याकर्कोटकोफन, बांझ खेखमा। नोचना। २ पृथक करना, अलग निकास रखना। कम्हड़ी (हिं० ) कर्णाटो देखो। कपटपट (सं.वि.) कपटे पटः, -सत। १ प्रतारण कन्हाई (हिं• पु० ) कृष्ण, कन्हैया। करनेमें निपुण, जो धोका देनेमें होशियार हो। कम्हाबर, कंधावर देखो। २ इन्द्रजालकारी, बाज़ीगर। कन्हैया (हि.पु.) १ श्रीक्वष्णा, कन्हाई। प्रिय | कपटप्रबन्ध (सं० पु.) इल, फरेब, धोकेको वात। व्यक्ति, प्यारा शख्स। ३ सुन्दर बालक, ख बसूरत कपटलेख्य (सं० लो०) पनृत पत्र, झठी दस्ताबेज, सड़का। ४ वृक्षविशेष, एक पेड़। यह एक पार्वत्य बनाया हुवा काग्रज। वृक्ष है। पूर्वहिमालय पर्वतपर ८००० फीट चे कपटवचन (स. क्लो.) कपटपूर्व वचनम् । प्रतारणा- कह या उत्पन्न होता है। काष्ठ अति सुदृढ़ निकलता | वाक्य, धोकेको बात। है। उसपर रक्त वा हरिद्वर्ण रेखायें रहती हैं। कपटवेश (सं० वि०) कपटो वेशो यस्ख, बहुव्री। आसाममें कन्है येका काष्ठ नौका बनाने में लगता है। निवेशौ, शक्ल बनाये हुवा, जो रूप बदले हो। उसके चायके सन्दूक भी तैयार होते हैं। कभी कभी (पु.) २ छद्मवेश, तलबीस-लिबास। वह गृह निर्माण कार्य में लग जाता है। कपटवेशी (सं.वि.) कपटवेशोऽस्वास्ति, कपटवेश- कप (सं० पु.) कानि जलानि पाति, क-पा-क। इनि। छद्मवेशी, शक्ल बनाये हुवा, जो रूप बदलताहो। १वरुणदेव। २ एक असुर। (भारत, अनु० १५००)। कपटा (सं० स्त्री०) इवहहती, छोटी कटाई । (वि.) ३ जलपायो, पानी पीनेवाला। कपटा (हिं. पु.) क्वमिविशेष, एक कोड़ा। यह कप (अं० पु.-Cup) १पान, प्याला, कटोरा। कौड़ा धानके पौदोंको कपटता है। २ सिङ्गो, खप्यर। कपटिक (सं० वि०) कपटःविद्यते ऽस्व, कपट मत्वर्थ कपट (स.पु०-को०) कप-प्रटन्, के सत्यं ब्रह्माण- ठन। 'कपटविशिष्ट, फरेबो, धोकेबाज । मपि पटति पाच्छादयति, क-पट्-अच वा। १ मिथ्या- कपटिनी (सं. स्त्री.) कपटो ऽस्यास्ति, कपट-इनि व्यवहार, धोका, फरेब। इसका संस्कृत पाय गौरादित्वात् डोष्। चौड़ा नामक गन्धद्रव्य वा व्याज, दम्भ, उपधि, छद्म, कैतव, कूट, कल्क, छल, देवदार। मिष, कैरव, व्यपदेश, लक्ष, निभ, माया, शठता, कपटी (सं० वि०) कपटो ऽस्वास्ति, कपट-इनि। भाव्य, कुमृति और निकृति है। २दनुपुत्र, कोई १प्रतारक, वञ्चक, दगाबाज, फरेबी। (स्त्री०) कप- दानव। ३ चौड़ादेवदारु। पटन-डोष। २ परिमाणविशेष, एक नाप। इसमें कपटचारी (सं० त्रि.) कपट-चर-णिनि। प्रवञ्चक, | दो पक्षसि परिमित द्रव्य पाता है। फरेबी, धोकेबाज़। वपटी. (हिं. स्त्री.) १ मिविशेष, एक कोड़ा। कपटचीड़ा (सं० स्त्री०) चौड़ा नामक देवदार। । यह धानके पौदेको कपटती है। २ कमिभेद, ____Vol. III. 190