दूसलाम वहां मुसलमान साम्राज्यको परिवृद्धि की। इसके हो। जोजन और तबरिस्तान राजा मुसलमानोंके शासन- राजत्वकालमें मुहम्मद बिन-कासिमने ७१२ ई में से शासित हुये। जमरके वंशधर रे यजीद सिन्धुप्रदेशपर आक्रमण किया। इसके बाद गुर्जर ( ७२०-७२५ ई.) एवं परवर्ती खलीफागणकी जयकर चित्तोर पर धावा मारा, किन्तु उसमें बप्प शासनशक्तिके नष्ट हो जानेसे और हिसामकी बढ़ती रावसे उन्हें पराजित होना पड़ा। हुई तीव्र राजाप्राप्तिको अभिलाषसे मुसलमानराजामें ७१४ ई० में मुसलमान साम्राज्यके कलेवरको जिस अन्तविप्लव उपस्थित हुआ। विशृङ्खल शासन होनेसे प्रकार वृद्धि हुई, उसका वृत्तान्त इतिहासमें उल्लिखित प्रजा विद्रोही हो गई और खलीफा पदाकासी नूतन है। इस समय मुसलमान वीरोंने एसिया और युरोप नेताओंको मुसलमान् साम्राजा प्रदान कर सन्तुष्ट इन दोनों महादेशों में अपने साम्राज्य और इसलाम हुई। ७२४ ई.से ७४३ ई०तक खलीफ़ा हिसामके धर्मको यथेष्ट श्रीवृद्धि की थी। इन दोनों देशोंके मध्य राजत्वकालमें मुसलमानों का बिजयो बाहु सबसे प्रथम भागमें एक समुद्रसे दूसरे समुद्र पर्यन्त मुसलमानोंको पराभूत हुआ। ७३२ ई०को पइटियके युद्ध में मुसल विजय-पताका उस समय फहिरायो थो। पश्चिममें अत मानसेनापति अब्दुर-रहमान् बिन् अबदुल्ला चालस लान्तिक सहासागर, उत्तरमें पिरिनिज् पर्वतमाला, | माटेलसे पराजित हुये। इसी युद्धके बाद युरोप दक्षिणमें साहारा मरु पर्यन्त विस्तृत समग्र उत्तर महादेशमें अरबी लोगों का अक्षुम प्रताप क्रमशः अफ्रीकाके राज्य (इजिप्त और प्राबिसिनिया राजा) क्षुम होने लगा। और पूर्वमें अर्थात् एसिया खण्डमें समग्र सिनाइ ___इसके बाद ७४८ ई में जिस समय अब्बासवश प्रायोहोप ( अरब ), पालेस्तिन, सिरोया, आर्मेनियाका धर्मप्राण मुसलमान-समाजका नेता बना था, उस कुछ अंश, एसिया-माइनर, मिसोपोटेमिया, पारस्य, | समय उमैयद वंशके लोग अति निष्ठ रभावसे निहत काबुल और सिन्धुनदके पश्चिमदिग्वर्ती समस्त प्रदेश हये थे। इसी वंशके एकमात्र राजा अबटुर- मुसलमान साम्राजाके अधिकारमुक्त और इसलाम रहमान-बिन्-मुयावियाने स्पेनराज्यमें भाग कर अपना धर्ममें दीक्षित हो मुसलमान संप्रदायको परिपुष्टि प्राण बचाया और कर्डीभा नगरमै ७५८ ई०को करने में सहायक हुये थे। उमैयाद-राजपाटको स्थापना कर खयं खलीफापद इसी समय सुसलमान लोग भारतके विजय करने में ग्रहण किया था। भी उद्यत हुये। इसके बाद तातार जातिको भी ___अब्बास शके अधिकारके समय बगदाद नगरमें शक्तिशाली संप्रदायमें सम्मिलित कर इन्होंने अपने राजपाट परिवर्तित हुआ था। उसीके यत्नसे उस संप्रदायके कलेवरको वृद्धि की थी। इसी सुविस्तत समय कई मुसलमान राज्य स्थापित हुये। भूमध्य- मुसलमान-साम्राजधम परवर्ती ११श शताब्दमें और सागरके क्रोट, कर्सिका, सार्डिनिया और सिसिली भी अनेक क्षुद्र क्षुद्र राजा सन्निविष्ट हो गये, जिससे होप भी अफीकाके मुसलमानों के अधिकारमें आ इसलामको शक्ति और भी बढ़ गई। किन्तु बहुत काल गये थे। पर्यन्त मुसलमान शासनाधीशों द्वारा परिचालित इस खलीफावोंने अपने अपने वीर्य के प्रभावसे समस्त साम्राजामें एकमात्र स्पेनराजाको छोड़कर सभ्य जगत्में राज्यप्रतिष्ठा-प्रसङ्गपर जैसा सुयश कमाया अन्य कोई भी राजा इसलामधर्मको छायाको दूर था, वैसा ही अब्बासियोंने भी शिल्पविद्या और साहित्य करने में समर्थ न हुआ। सम्बन्धपर अपना विशेष आग्रह एवं अनुराग दिखा सुलेमान्के राजत्वकालमें (७१५-७१७ई.) एसिया-1 विहन्मण्डली तथा सभ्यसाधारणमें अपना गौरव जमाया। माइनर तथा कनस्तान्तिनोपल, और जमर बिन्- मन्सूर, हारून् अल रसौद और मामून् प्रभृति खलीफा- अब्द-अल अजीजके शासन समयमें (७१७-७२०ई०)। वोंने उससमय साहित्य-जगतमें थोषस्थान पाया था। Vol III. 23.
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