दूसलाम उनका राज्यकाल भी मुसलमानोंको शक्तिसमृद्धिका । वत्सर पवित्र नगरमें तीर्थयात्रियोंके समागम, बह सरदारोके परस्पर विरोध और नेजद प्रदेश में बहहावो उज्ज्वल निदर्शन है। मानसिक एवं ऐकान्तिक चित्तवृत्तिके उबति- राजवंशके अभ्युत्थान एवं अवसानके सिवा परबी साधनको प्रासक्तिसे अब्बास-वंशीय लोग क्रमश: राज्यमें दूसरी किसी इतिहास प्रसिद्ध घटनाका उल्लेख निर्जनताप्रिय और विलासी बन गये थे। सुतरां नहीं मिलता। . राजकार्यमें अवश्यम्भावी अमनोयोग देख मुसलमान ___ सोरिया, फारस, मोरिटोनिया और स्पेन राज्य प्रतिनिधियों ने गृहविच्छेद बढ़ाया। धीरे-धीरे राज जीतनेपर अरब जातिका वाणिज्य बढ़ा था। एकमात्र ट्रोहिता फैलने लगी। बगदादको राजशक्ति उस समय इसलामधर्म और अरबी भाषाका प्रचलन रहनेसे तथा बाद्यतः अक्षुण थी तो भी वस्तुतः अन्तरङ्गमें वह घट पर्याटक बणिकोंके यातायातको विशेष सुविधा पड़नसे रही थी। यह विद्रोहवह्नि साम्राज्यके एक सुदूर विस्तीर्ण मुसलमान-साम्राज्यमें एक बाणिज्य-साम्राज्य- प्रान्तमें प्रथम भड़को। अबदुर-रहमान्का स्पनराज्यमें के स्थापनका भी सुन्दर सुयोग लगा। बगदाद-राज- स्वतन्त्र एवं स्वाधीन उमैयद राज्य स्थापन इसका | वंशको विलासिता एवं अब्बास-वंशोय खलीफावों को प्रारम्भ घा। इस दृष्टान्तको देखकर पपरापर स्थानके सुखसमृद्धि तथा विलासवासना परिपूरणके निमित्त मुसलमान-प्रतिनिधियोंने भी स्वाधीन बननेका प्रयास मुसलमान बणि कोंको भारतीय उत्तम द्रव्य ले जानेके उठाया। लिये पैदलको राह भारत आना पड़ता था। ई०८म विद्यानुरक्त एवं विलासी अब्बासर्वशीय खलीफावोंने । शताब्दक प्रारम्भमें अरब भारतके नाना स्थानमें पहुंच इस राष्ट्रविप्लवके समय अपना अवस्थान विपन्जनक बसने लगे और उसो समयसे बहुसंख्यक भारतीय विचारा इसलिये उन्होंने सिंहासनका तथा अपनी राजन्य अपने धर्मका श्राश्रय छोड़ इसलाम धर्ममें रक्षा करने लिये वेतनभोगी तुकप्रहरी नियुक्त किये दोधित होने लगे। प्रतःपर अरबोंने भारतीय दोप- और नियमातिरिक्त क्षमता प्रदान कर प्रधान-प्रधान पुञ्ज, सिंहल, सुमात्रा, यब, सिलेविश प्रभृति होपराज्य अमात्योंके (अमीर-उल-उमरा) हाथ राज्यपरिचालन और सुदूर चीनसाम्राज्यमें भी बाणिज्यके व्यपदेशसे के कार्य सौंप दिये। इसलाम धर्म का प्रभाव जा फैलाया। ___ राज्य-शासनहेतु एतादृश व्यवस्थाके निर्देश, सल. . पदव्रजसे गमनकारी अरबो बणिकसम्पदाय इसो जको तुर्कवंशके उपर्यु परि आक्रमण और सरकार प्रकार स्थलपथ द्वारा तातार राज्य और साइबेरियाके दरबारमें तुर्की के प्राधान्य-विस्तारसे खलीफा नाममात्र उत्तरांश पर्यन्त पहुंचकर प्रवाध बाणिज्य-काय चलाता मुसलमान् समाजके नेता माने जाते थे। १२५८ ई में था। अफरीका-खण्डमें वह नाइगार पर्यन्त अग्रसर हलाकू के बगदाद आक्रमण तथा अधिकार करते हो। हुआ था। यहों ई०१०वें शताब्दसे मुसलमानांके प्रभाव अब्बास वंशका अवसान हुमा। द्वारा धाना, बङ्गरा, तोकर, कुकू, सेवायार, दफूर, उमैयद वंशीय खलीफा मुयावियाके दामास्कस बुरनू, तिम्बाकतू और मेल्लो प्रभृप्ति अनेक सामन्त राज्य नगरमें राजधानी जमाने और परवर्ती अब्बासर्वशके जम गये। पफरीकाके पूर्वोपकूलमें बाबलमान्दब बगदाद नगरमें प्रतिपत्ति कमाने पर्यन्त मुसलमान प्रणालोसे जञ्जीबार तक समुद्रतटपर उनके यत्रसे जातिका अभ्युदयक्षेत्र अरब-राज्य समग्र साम्राज्यसे मकदाशया, मेलिन्द, सोफला, कल और मोजाम्बिक नगण्य प्रदेश समझा जाता था। अविलम्ब ही वह बन्दर बसे थे। यहांसे वह मादागास्करवासो लोगकि विभिन्न सामन्तराज्यमें बंट गया। इस सकल विभागके साथ वैदेशिक बाणिज्य चलाते थे। लुसितानियावासी मध्य एकमात्र यमन प्रदेशने मुहम्मदके जन्मसे ई के बाणिज्यप्रिय बणिक् जलपथसे पण्यद्रव्य ले ई० ११वें २वें शताब्द पर्यन्त विशेष प्रतिष्ठा पाई थी। प्रति शताब्दको सुदूर अमेरिका-खण्ड में जा पहुंचे। साधा-
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