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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/९२

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६१ इसलाम-इसलाम खान् शै रणको विश्वास होता है, कि अरब सम्प्रदाय ही प्रत । अफगान, पाठान और विशुद्ध परबी मुसलमान शेख पक्षमें अमेरिका महादेशका आविष्कर्ता है। कहाते हैं। मुहम्मद, मुसलमान, खलीफा प्रभृति शब्द देखिये । वसुन्धराके भोगविलासको भूमि भारत ही मुसल-| इसलामखान्-१ मौर जिया-उद-दीन बदखू शोका मान सम्प्रदायक साम्राजा-विस्तारका सबैशेष निद उपाधि । कवितामें इनका उपनाम वाला रहा। बाद- र्शन है। किन्तु प्रकृतपच में ई० ७वें शताब्दके अन्त शाह आलमगीरके अधीन इन्होंने कार्य किया था। और वें शताब्दके भारम्भसे भारतवक्षपर मुसलमान | १६६३ ई० को आगरेमें इनको मृत्यु हुयो। नवाब सम्प्रदायका अधिष्ठान हुआ था। खलीफावोंको भोग- हिम्मत खान, सैफखान् और अबदुर-रहीम खान् लालसा पूरी करनेको हो मुसलमान बणिकोंने भारत इनके बेटे थे। के साथ संस्रव जमाया। मोरकासिमके सिन्धुपर २ सफी खान्के पुत्र और इसलाम खान् मश- आक्रमण करनेसे भारतमें मुसलमानोंका समागम हदोके पौत्र। बादशाह फ.रुख-सियारके समय हुआ और इसलामधर्म फैला। उसके बाद १० और यह लाहोरके सूबेदार थे। मुहम्मद शाहने इन्हें ११ वें शताब्द गजनीपति महमूदको चेष्टासे भारतमें | सात हजार सवार रखने का अधिकार दिया था। मुसलमानी शक्ति प्रतिष्ठित हुई। उक्त मुसलमान इसलाम खान् मशहदी-बङ्गालके एक सूबेदार । प्रथम "पुङ्गवने सप्तदश बार भारतपर आक्रमण मार बहु यह मशहद में रहते थे। उस समय इनका नाम मौर अथ लुण्ठनपूर्वक स्वदेशको पलायन किया था। विख्यात अबदुस्स भान रहा। जहांगीरके राजत्व कालमें ये सोमनाथ-मन्दिर और वहांको देवमूर्ति दोनों ही उनके | पांच हजार, मनसबदार और बङ्गालके सूबेदार बने द्वारा धूलिमें मिल गये। महमूद गज़नवीने ईरान्से | थे। सम्राट शाहज हान्ने भी इन्हें छः हजारो मनम- भारतके उत्तर-पश्चिम पञ्जाब प्रदेश पर्यन्त अपना बदार किया ओर मोतमद्-उद-दौलाको उपाधि तथा राजा बढ़ाया था। इससे प्रायः दो शताब्द बाद ११८३ | दक्षिणापथके शासनकर्ताको पदवो दी। शाहजहान ई०को मुहम्मद घोरीने दिल्ली अधिकारपूर्वक भारतको इन्हें बहुत चाहते थे। मृत्य से कई वर्ष पहले इन्हें सर्व प्राचीन राजधानी में मुसलमानी शासन चला दिया। सात हजारी मनसबदार भोर मन्त्रोका पद मिला। १८५७ ई०के सिपाही-विद्रोह पर्यन्त दिल्ली मुसलमान् | १५८७ इ.में यह दक्षिणापथमें मरे थे। औरङ्गा- बादशाहोंको राजधानो गिनी जाती थी। यहां पठा. बाद में इनकी कब्र बनी है। कोई-कोई भूलसे इन्हें नोंका प्रादुर्भाव मिटनेपर ई० १४वें शताब्दमें मुगल इसलाम खान् रूमी भी कहते हैं। वंशका अभ्यदय हुआ। मुगल सम्राट अकबर और | इसलाम खान् रूमी-अलो पाशाके लड़के। इनका उनके प्रपौत्र औरङ्गजबके समय भारतमें मुसलमानी प्रक्कत नास हुसेन पाशा था। यह बसराके शासन- प्रभावने पराकाष्ठा पायी थी। कर्ता थे। अपने चाचा हारा उक्त पदसे निकाले ___ भारतवासी इसलाम धर्मावलम्बी मुसलमान् | जानेपर इन्हें भारतवर्ष आना पडा। आलमगीर विभिन्न जातिसे समुद्भत हैं। उनमें कितने ही विभिन्न बादशाहने इन्हें पांच हजारी मनसबदार बमाया था। शाखायुक्त अरब जातिके सन्तान हैं। कितने ही | २६७६ ई०को १३ वौं जनको यह विजयपुरके युद्दमें पारस्यवासी ईरानियों, शकों, तातारों मुगलों, तुकों, मारे गये। इन्होंने आगरा · दुर्गके समीप यमुना बलचियों, अफगानों, अग्नि कुल-राजपूतो', जाटों और किनारे अपना राह बनाया और उद्यान लगाया था। भार्यापनिवेशके पूर्ववर्ती भारतसमागत मोङ्गलोय इसलाम ख़ान् शैख-शैख सलीम चिश्तौके पौत्र । १६०८ शाखा जातिके लोगोंसे इसलामी धर्मान्तर लेने बाद ई०को बादशाह जहांगीरने इन्हें बङ्गालका सूबेदार “भारतीय विभिन्न मुसलमान् सम्पदाय परिपुष्ट हुआ | बनाया था। इनके पुत्रका नाम इकराम खान और है। पावित भूमिमें मोङ्गलीय सम्य दायके मुग़ल, भ्राताका नाम कासिम खान् था। १६१३ ई० में इस-