पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/९९

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१८ ईमन-ईम भूमि ईमन (हिं. पु०) एक रागिणी, एमनी। यह। ईरान् एक विस्त त राज्य था। इरान्को श्रीरागकी स्त्री है। ( सङ्गीतसार) कोई कोई इसे भूपाल यफ्रे तिस् नदीतीरस्थ सुमेसात्से भारतवर्षको तक्षशिला रागको स्त्री बताते हैं। इसे रात्रिके प्रथम याममें पर्यन्त कुल १२८० मोल लम्बो और गेद्रोसियासे पक्षस गाते हैं। नदी तोर पर्यन्त ८०० मील चौड़ी थी। ईमनकल्याण (हिं. पु०) ईमन और कल्याणमिश्रित राग। ___ पहिले ईरान्में अरमिय और एलाम नामक ईमा (अ० पु०) सङ्केत, इशारा, सैन । जातिका अधिकार था। पाश्चात्य पण्डितोंके मतमें ईमान् (१० पु०) १ धर्म, दीन, मानता। पश्चिम भागको अरमिय जातिसे अहमरी, सिरोय "जाये जान् रहे ईमान्।” (लोकोक्ति) एवं हिब्रू प्रभृति और पूर्व भागकी अरमिय जातिसे २ सत्य, सचाई। “जान्की जान गई ईमान्का ईमान् ।” असुरोय, बाबिरुष (बाबिलनीय) तथा कालदीय (लोकोक्ति) सच्चे लेनदेनको 'ईमानका सौदा' कहते हैं। भाषाओंकी उत्पत्ति हुई है। पारम्य आदमें पपर विवरण देखो। प्राचीन ईरानियों में विवाहको भयानक कुप्रथा प्रचलित ईमान्दार (अ० वि०) विश्वासपात्र, सच्चा, जो झूठा थी। किसो रक्तको स्वो उसो रक्तके पुरुषमै व्याह दी न हो। ईमान्दारी (अ. स्त्री०) सत्य, सचाई। जाती थी। कहते है कि पहिले ईरानो अपरापर महो- ईयंमृग (सं० पु.) १ वृक्ष, पड़। २ मृग, जानवर । दरा भगिनी और अपनी विमातासे भो विवाह कर ईयचक्षुस् (वै० त्रि.) चारो ओर देखनेवाला, जो लेते थे। विवाह शब्द और Journal omlay lirunch of हरजगह आंख फेंकता हो। R. As. Soc., Vol. XVII. P. 97-18 देखो। ईयिवस् (सं० त्रि०) ई लिटः क्वसु निपातनात् साधुः। ईरामा (सं. स्त्री० ) नदीविशेष। (भारत पन ) गत, गुजरा हुआ, जो चला गया हो। ईरिका (सं० स्त्री०) ईर्गव ल-अत-इत्-टाय । वृक्ष- ईरण (सं० त्रि०) १ उषर, वीरान्, जो कोई चीज़ | विशेष, एक दरख त । पैदा करनेके लायक न हो। २ शून्य, खाली। ईरिण (सं० लो०) १ शून्य, खालो जगह । २ अषर- ३क्षोभक, घबरा देनेवाला। (पु.) ४ वायु, हवा। क्षेत्र, बञ्जर जमीन् । वृक्षलताटणादि शून्य स्थानको ईरान् (फा. पु.) देशविशेष, फारस (Persia)का अंश । जषर कहते हैं। यह अक्षा० ३७ से ८०० उ० और ट्राधि० ८६ से १०० ईरित (सं० त्रि०) ई-क्त। १क्षिप्त, छोड़ा इमा। पू०के मध्य अवस्थित है। प्राचीन पारसिकों के २ प्रेरित, भेजा हुआ। ३ कम्पित, कंपा हुआ। 'बन्दीदाद' नामक धर्मपुस्तकमें 'ऐयन-बएजो' आर्य ४ गत, गया गुजरा। ५ कथित, कहा हुआ। जातिके आदिम स्थानका नाम मिलता है। पाश्चात्य | ६ विसर्जित, रखा हुआ। ७ विक्षिप्त, बिगड़ा हुभा । पण्डितोंके मतसे उक्त आदिम स्थान पामोर और ८चालित, जो सरकाया गया हो। वेलरताघके निकट था। आर्य शब्दमें आर्य जातिके आदि- ईरिताकूट (सं० लो०) प्रकाशित भाशय, बताया निवासका विवरण देखो। इसी स्थानको अनेक लोग ईरान हुअा मतलब। कहा करते हैं। कोई कोई कास्पौय सागरसे दक्षिण- ईरिन् (सं० पु०) ईर-इनि। गमनशील व्यक्ति, पूर्व ईरान राज्यका होना बताते हैं । प्रिचार्ड साहबने | चलनेवाला आदमी। इसी स्थानको आर्यजातिका आदिम वासस्थान माना ईर्म (सं० पु०-क्लो०) ईर् बाहुलकात् मक् । १ व्रण, है। पार्य शब्दमें प्रकृत विवरण देखो। ईरानाज की सरके फोड़ा। २क्षत, जखम। व्रण दो प्रकारका है- पुत्रने किसी दिन कहा था, हमारे पिताके राज्य में शारीरिक और आगन्तुक। रक्तादिके दोषसे शारीरिक एक ओर लोग जैसे शौतसे, वैसे ही दूसरी ओर ग्रीष्मसे और अस्त्राघातादिसे आगन्तुक व्रण उत्पन्न होता है। कातर रहते हैं। इससे विदित होता है कि पूर्वकालमें | (वै० अव्य० ) ३ इस स्थानमें, इस जगह, यहां ।