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(उ) "और का और" विशेषण-वाक्यांश है और उसका अर्थ ‘भिन्न' होता है, जैसे, उसने और का और काम कर दिया । ( ऊ ) "और" समुच्चय बोधक भी होता है, जैसे, “हवा चली और पानी गिरा ।" ( अं०---२४४ )।

( ऋ )“कोई”, “कुछ”, “कौन” और “क्या" के साथ भी "और" आता है, जैसे, “असल चार कोई और है ।” “मैं कुछ और कहूँगा ।" “तुम्हारे साथ और कौन है ?" मरने के सिवा और क्या होगा ।”

(३)"सब" पूरी संख्या सूचित करता है, परंतु अनिश्चित रूप से । “सब" मे पॉच भी शामिल है और पचास भी । इसका प्रयोग बहुधा बहुवचन संज्ञा के साथ होता है, जैसे, “सब लड़के ।" “सब कपड़े ।" “सब भीड़ ।" “सब प्रकार ।”

( अ ) संज्ञा-रूप में इसका प्रयोग "सपूर्ण प्राणी वा पदार्थ" के अर्थ में आता है, जैसे, “सब यही बात कहते हैं ।" “सब के दाता राम ।" “आत्मा सब में व्याप्त है ।” “मैं सब जानता हूँ।"

(आ) “सब" के साथ "कोई" और “कुछ" आते हैं। "सब केाई” और “सब कुछ" के अर्थ का अंतर “कोई" और “कुछ" ( सर्वनामों ) के ही समान है; जैसे, “सब कोई अपनी बड़ाई चाहते हैं ।” (शकु० ) “हम समझते सब कुछ हैं ।" ( सत्य० )।

( इ ) “सब का सब" विशेषण वाक्यांश है, और इसका प्रयोग “समस्तता" के अर्थ में होता है, जैसे, "सब के सब लड़के लौट आये ।"

( ई ) “सब" के पर्यायवाची "सर्व", “सकल”, “समस्त" और “कुल" हैं । इन शब्दों का उपयोग बहुधा विशेषण ही के समान होता है।