पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/२८

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करने और उसे पढ़ने से क्या लाभ? कुछ लोगों का यह भी आक्षेप है कि व्याकरण शुष्क और निरुपयोगी विषय है। इन प्रश्नों का उत्तर यह है कि भाषा से व्याकरण का प्रायः वही संबंध है जो प्राकृतिक विकारों से विज्ञान का है। वैज्ञानिक लोग ध्यानपूर्वक सृष्टि-क्रम का निरीक्षण करते हैं और जिन नियमों का प्रभाव- वे प्राकृतिक विकारों में देखते हैं। उन्हींको वे बहुधा सिद्धांतवत् ग्रहण कर लेते है। जिस प्रकार ससार में कोई भी प्राकृतिक घटना नियम- विरुद्ध नहीं होती उसी प्रकार भाषा भी नियम-विरुद्ध नहीं बोली ज़ाती । वैयाकरण इन्हीं नियमों का पता लगाकर सिद्धांत स्थिर करते है। व्याकरण मे भाषा की रचना, शब्दों की व्युत्पत्ति, और स्पष्टतापूर्वक विचार प्रकट करने के लिए, उनका शुद्ध प्रयोग बताया जाता है, जिनको जानकर हम अपनी भाषा के नियम जान सकते। हैं और उन भूलों का कारण समझ सकते है, जो कभी कभी नियमों का ज्ञान न होने के कारण वोलने या लिखने में हो जाती है। किसी भाषा का पूर्ण ज्ञान होने के लिए उसका व्याकरण जानना भी आवश्यक है। कभी कभी कठिन भापा का अर्थ केवल व्याकरण की सहायता से जाना जा सकता है। इसके सिवा व्याकरण के ज्ञान से विदेशी भाषा सीखना भी सहज हो जाता है।

कोई कोई वैयाकरण व्याकरण को शास्त्र मानते हैं और कोई कोई उसे कला समझते हैं। शास्त्र से हमको किसी विपय का ज्ञान विधिपूर्वक होता है और कला - से हम उस विषय का उपयोग सीखते हैं। व्याकरण को शास्त्र इसलिए कहते हैं कि उसके द्वारा हम भाषा के उन नियमों की खोज करते हैं जिनपर शब्दों का शुद्ध प्रयोग अवलंबित है, और वह कला इसलिए है कि हम शुद्ध भापा बोलने के लिए उन नियमों का पालन करते हैं।