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पूर्णता वा अपुर्णता के विचार से पहले दो कालो के दो दो भेद और होते हैं। (भविष्यत् काल में व्यापार की पूर्ण वा अपूर्ण अवस्था सूचित करने के लिए हिंदी में क्रिया के कोई विशेष रूप नहीं पाये जाते; इसलिए इस काल के कोई भेद नहीं होते।) क्रिया के जिस रूप से केवल काल का बोध होता है और व्यापार की पूर्ण वा अपूर्ण अवस्था का बोध नहीं होता उसे काल की सामान्य अवस्था कहते हैं। व्यापार की सामान्य, अपूर्ण और पूर्ण अवस्था के विचार से कालों के जो भेद होते हैं, उनके नाम और उदाहरण नीचे लिखे जाते हैं—

काल सामान्य अपूर्ण पूर्ण
वर्त्तमान
भूत
भविष्यत्
वह चलता है
वह चला
वह चलेगा
वह चलरहा है
वह चल रहा था
वह चलता धा
वह चला है
वह चला धा

(१) सामान्य वर्त्तमानकाल से जाना जाता है कि व्यापार का आरंभ बोलने के समय हुआ है; जैसे, हवा चलती है, लड़का पुस्तक पढ़ता है, चिट्ठी भेजी जाती है।

(२) अपूर्ण वर्त्तमानकाल से ज्ञात होता है कि वर्तमान काल में व्यापार हो रहा है; जैसे, गाड़ी आ रही है। हम कपड़े पहन रहे हैँ। चिट्ठी भेजी जा रही है।

(३) पूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया से सूचित होता हैं कि व्यापार वर्त्तमानकाल में पूर्ण हुआ है। जैसे, नैकर आया हैं। चिट्ठी भेजी गई है।

[सं॰—यद्यपि वर्त्तमानकाल एक ओर भूतकाल से और दूसरी ओर भवि-