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ला ( अ० )= बिना, अभाव, उदा०—लाचार, लावारिस, लाजवाब, लामजहब, इत्यादि।

सर= मुख्य, उदा--सरकार, सरताज (हिं०--सिरताज ), सरदार, सरनाम ( हिं०-सिर-नामा ), सरखत, सरहद । हि०--सरपञ्चम ।।

हम-साथ, समान , उदा०—हमउम्र, हमदर्दी, हमनाम इमराह, हमवजन ।

हर--प्रत्येक ; उदा०--दररोज, इरमाह, हरचीज हरसाल, हर-तरह ।।

| [सं०---इस उपसर्ग का उपयोग हिंदी शब्दों के साथ अधिकता से होता है, जैसे, हरकाम, हरघडी, हरवार, हरदिन, हर एक, हर कोई ।।

(ध) अँगरेजी उपसर्ग

| सब--अधीन, भीतरी, उदो०-सब-इ स्पेक्टर, सब-रजिस्ट्रार, सव-जज, सब-फिम, सब-कमेटी ।

| हिन्दी में अँगरेजी शब्दों की भरती अभी हो रही है, इस- लिए आज ही यह बात निश्चय-पूर्वक नहीं फही जा सकती कि उस भाषा से आये हुए शब्दों में से कौनसे शब्द रूढ़ और कौन से यौगिक हैं। अभी इस विषय के पूर्ण विचार की आवश्य- कता भी नहीं है, इसलिए हिंदी व्याकरण का यह भाग इस समय अधूरा ही रहेगा । ऊपर जेर उदाहरण दिया गया है वह अँगरेजी उपसर्गों का केवल एक नमूना है ।

[ सू०---इस अध्याय में जो उपसर्ग दिये गये है उनमें कुछ ऐसे है जो कभी-कभी स्वत त्र शब्द के समान भी प्रयाग में आते हैं। इन्हें उपसर्गो में सम्मिलित करने का कारण केवल यह है कि जब इनका प्रयोग उपसर्ग के समान होता है तब इनके अर्थ अथवा रूप में कुछ अतर पढ़ जाता है। इस प्रकार के शब्द इति, स्वयं', सर, विन, भर, क्म, शादि है । ]