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दया—दयाल | कृपा—कृपाल | डाढी—डढ़ियल |
(आ) किसी किसी शब्दों में यह प्रत्यय संस्कृत आलय का अपभ्रंश है, जैसे, ससुराल (श्वशुरालय), ननिहाल, गंगाल, घड़ियाल (घड़ी का घर), दिवाला, शिवाला, पनारा (पनाला)।
आली—संस्कृत "आवली" का अपभ्रंश है और समूह के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे, दिवाली।
आलू—झगड़ा-झगड़ालू, लाज—लजालू, डर—डरोलू।
आवट (भाववाचक)—अमावट, महावट।
आस (भाववाचक)—
मीठा—मिठास | खट्टा—खटास | नींद—निंदसि। |
आसा—(विविध अर्थ में)—मुँडासा, मुँहासा।
आहट (भाववाचक)—
कडुवा—कड़वाहट | चिकना—चिकनाहट |
गरम—गरमाहट
इन—स्त्रीलिंग का प्रत्यय है। इसका प्रयोग लिंग-प्रकरण में दिया गया है।
इया—(अ) कुछ संज्ञाओं से इस प्रत्यय के द्वारा कर्तृवाचक संज्ञाएँ बनती हैं, जैसे,
अढ़त—आढ़तिया | मक्खन—मखनिया | |
बखेड़ा—बखेडिया | गाड़र—गड़रिया | मुख—मुखिया |
दुख—दुखिया | रसोइयो | रसिया |
(स्थानवाचक)—
मथुरा—मथुरिया | कलकत्ता—कलकतिया |
सरवार—सरवरिया | कनौज—कनौजिया |
(आ)—(ऊनवाचक)—
खाट—खटिया | फोडा—फुडिया |