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(ख) फारसी तद्धित।

(अ) संज्ञाएँ

आ॰—इस प्रत्यय के द्वारा कुछ विशेषणो से भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं; जैसे, गरम—गरमा, सफ़ेद—सफ़ेदा, खराब—खराबा।

आनह (आना)—(रुपये के अर्थ मे)—

जुर्म—जुर्माना तलब—तलबानी
नज़र—नज़राना इज—इजना
बय (बिक्री) बयाना मिहनत—मिहनताना,
शुक्राना।

(विविध अर्थ में)—

दस्त—दस्ताना (हाथ का मोजा), मौला (प्रभु)—मौलाना (महाशय)।

—विशेषणों में यह प्रत्यय लगाने से भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं, जैसे,

खुश—खुशी सियाह—सियाही (कालापन, मसी)
नेक—नेकी बद—बदी

(अ) इसी प्रत्यय के द्वारा संज्ञा से अधिकार, गुण, स्थिति अथवा मोल सूचित करनेवाली संज्ञाएँ बनती हैं; जैसे,

नवाब—नवाबी फकीर—फकीरी
सौदागर—सौदागरी दोस्त—दोस्तो
दुश्मन—दुश्मनी दलाल—दलाली
मंजूर—मंजूरी

(आ) शब्दांत का 'ह' बदलकर ग हो जाता है, जैसे,

बंदह—बंदगी जिंदह—जिंदगी
रवानह—रवानगी परवान—परवानगी

ताज़ह—ताज़गी