पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/५०७

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(ङ) कर्मवाच्य के भावेप्रयाग के उद्देश्य में—फिर उन्हें एक बहुमूल्य चादर पर लिटाया जाता (सर॰), भारत के प्रदर्शन में बालक कृष्णमूर्ति को उसका सिर और मिसेज एनी बिसेन्ट को उसका संरक्षक बनाया गया है (नागरी॰), कभी-कभी डाक्टर कैलास बाबू को तो सभी की ओर से निमंत्रित किया जाया करे (शिव॰)। (अं॰—३६८)

५२१—जिन विशेषणों का प्रयोग संज्ञा के समान होता है उनमें सप्रत्यय कर्मकारक आता है; जैसे, दीन को मत सताओ, अनाथों को पालो, धनवाले को सब चाहते हैं।

५२२—जब वाक्य मे अपादान, संबंध अथवा अधिकरण-कारक की विवक्षा नहीं होती, तब उनके बदले कर्म-कारक आता है, जैसे, मैं गाय दुहता हूँ (अर्थात् गाय से दूध), थाली परोसो (अर्थात् थाली में भोजन), नौकर कोठा खोलेगा (अर्थात् केठे के किवाड़)।

५२३—बुलाना, पुकारना, कोसना, सुलाना, जगाना, आदि कुछ रूढ़ और यौगिक क्रियाओं के साथ संप्रत्यय कर्मकारक आता है; जैसे, वह कुत्ते को बुलाता है; स्त्री बच्चे को सुलाती थी, नौकर ने मालिक को जगाया।

५२४—"मारना" के साथ कर्मकारक के दोनों रूपों का प्रयोग होता है; पर उनके अर्थ में बहुत अन्तर पड़ जाता है; जैसे, चोर ने लड़का मारा, चोर ने लड़के को मारा, चोर ने लड़के को पत्थर मारी।

५२५—निश्चित कालवाचक संज्ञा में और गतिवाचक क्रिया के साथ बहुधा अधिकरण के अर्थ में सप्रत्यय कर्म-कारक आता है; जैसे, रात को पानी गिरा, सोमवार को सभा होगी, हम दो-