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उदा०―संपूर्ण प्रजा अब शातिपूर्वक एक दूसरे से व्यवहार करती है और जातिद्वेष क्रमशः घटता जाता है। (दो साधारण वाक्य।)

सिंह में सूँघने की शक्ति नहीं होती, इसलिए जब कोई शिकार उसकी दृष्टि के बाहर हो जाता है तब वह अपनी जगह को लौट आता हैं। (एक साधारण और एक मिश्र वाक्य।)

जब भाफ जमीन के पास इकट्ठी दिखाई देती है तब उसे कुहरा कहते हैं, और जब वह हवा में कुछ ऊपर दीख पड़ती है, तब उसे मेघ वा बादल कहते हैं। (दो मिश्र वाक्य।)

[सू०—मिश्र वाक्य में एक से अधिक आश्रित उपवाक्य एक-दूसरे के समानाधिकरण है। तो उन्हें आश्रित समानाधिकरण उपवाक्य कहते हैं। इसके विरूद्ध, संयुक्त वाक्य के समानाधिकरण उपवाक्य मुख्य समानाधिकरण उपवाक्य कहाते हैं।

६८१―वाक्य और वाक्यांश में अर्थ और रूप, दोनेा का अंतर रहता है। (अ०―८६)। वाक्य में एक पूर्ण विचार रहता है, परतु वाक्यांश में केवल एक वा अधिक भावनाएँ रहती हैं। रूप के अनुसार दोनों में यह अंतर है कि वाक्य में एक क्रिया रहती है; परंतु वाक्यांश में बहुधा कृदंत वा सबंध-सूचक अव्यय रहता है; जैसे, काम करना, सबेरे जल्दी उठना, नदी के किनारे, दूर से आया हुआ।

 

 

तीसरा अध्याय।

साधारण वाक्य।

६८२―साधारण वाक्य में एक संज्ञा उद्देश्य और एक क्रिया विधेय होती है और इन्हें क्रमशः साधारण उद्देश्य और साधारण