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(४) परिमाणवाचक―

(अ) निश्चय―मैं दस मील चला। धन से विद्या श्रेष्ठ है। यह लडका तुम्हारे बराबर काम नहीं कर सकता। वह स्त्री आठ-आठ आँसू रोती है। सिर से पैर तक आदमी की लवाई छः फुट के लगभग होती है।

(इ) अनिश्चय―वह बहुत करके बीमार है। कदाचित् मैं न जा सकूँगा।

[सू०―नहीं (न, मत) के विधेय-विस्तारक न मानकर साधारण विधेय को अंग मानना उचित है।

(५) कार्यकारण-वाचक―

(अ) हेतु वा कारण―तुम्हारे आने से मेरा काम सफल होगा। धूप कड़ी होने के कारण वे पेड़ की छाया में ठहर गये। वह मारे डर के काँपने लगा।

(इ) कार्य वा निमित्त―पीने को पानी लाओ। हम नाटक देखने को गये थे। वह मेरे लिए एक किताब लाया। आपको नमस्कार है।

(उ) द्रव्य (उपादान-कारण)―गाय के चमड़े के जूते बनाये जाते हैं। शक्कर से मिठाई बनती है।

(ऋ) विरोध―भलाई करते वुराई होती है। मेरे देखते भेडिया बच्चे को उठा ले गया। तूफान आने पर भी उसने जहाज चलाया। मेरे रहते किसी की इतनी सामर्थ्य नहीं है।

६९७―पूर्वोक्त विवेचन के अनुसार साधारण वाक्य के अवयव जिस क्रम से प्रदर्शित करना चाहिये, उसका विचार यहाँ किया जाता है―

(१) वाक्य का साधारण उद्देश्य लिखो।