पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/११०

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११०६ . . खोवा पीलापन लिए सफेद, भारी और सन्न होती है और साफ खोल-संज्ञा पुं० [सं०/खुड़, खुल] गिरस्त्राण । फूड । खोद (को॰] । .. करने पर खूब चिकनी हो जाती है। यह खेती के प्रौजार खोल-संज्ञा पुं० [सं० खोल, ' शिरस्त्राण, तुल० फा० खोल= बनाने के काम प्राती है। इसे खन, साहीकांटा और बनरीठा पावर ण म्यान] ३. ऊपर से चढ़ा हृमा ढकना । गिलाफ । - भी कहते हैं। . उछाड़ मावरण, । २. कीड़ों का ऊपरी चमड़ा जिसे समय खोर-@--संधा सी० [सं० सालन, हि० पोरना नहाने की क्रिया । समय पर वे बदला करते हैं। ३. ओढ़ने फा मोटा कपड़ा । नहाना । स्नान। मोटी चादर । खोरना-कि० अ० [सं० लालन] स्नान करना । नहाना । उ०- खोलक-संशा पुं० [सं०] १. खोद । शिरस्त्राण । २. बावी । बल्मीक । - ब्रज इनिता रवि को कर जोर । भीत भीत नहि करत छहीं ३. सुपारी का पावरण या छिलका । ४. कटाह । कड़ाही । .:: ऋतु विविध काल यमुना जल खौरें।-सूर (शब्द०)। डॅगची को खोरती-संसा मी० [हिं० खोदनां] वह लकड़ी जिससे भड़भूजे भाड़ खोलना--क्रि० स० [मं० खुड, खुल = भेदन] हिं० खुलना का सक० नोंकते समय बाहर रह गए हुए ईंधन को भाड़ के अदर रूप] १. किसी वस्तु के मिले या जुड़े हुए भागों को एक .. करते हैं। दूसरे से इस प्रकार अलग करना कि उसके अंदर या उसके पार खोरा'-मंचा पुं० [सं० खोलक, फा० प्राबखोरह या खोरह] [क्री तकग्राना, जाना, टटोलना, देखना आदिहो सके । छिपाने खोरिया] १. कटोरा । बेला । २. पानी पीने का वरतन । या रोकनेवाली वस्तु को हटाना । अवरोध या आवरण का '. '. प्राबखोरा । गिलास । दूर करना । जैसे--किवाड़ खोलना । खोरा' -वि० [सं० खोर या खोट] लँगड़ा । लूला । अंगभंग । संयो० कि.--डालना :--देना। ०. फाने खोरे कूवरे कुटिल कुचाली जानि । तिय विशेष २. ऐसी वस्तु को हटाना या इधर उधर करना जो किसी दूसरी - पुनि चेरि कहि भरत मातु मुसुकानि ।--तुलसी (शब्द०)। चीज को छाए या घेरे हो। . दरार करना । छेद करना । खाराका-संहा सी० [फा० खुराक] [वि० खोराको] १. भोजन शिगाफ करना । जैसे,--फोड़े का मुंह खोलना । ४. बांधने सामग्री। २.खाने की मात्रा । जैसे,--उसकी घोराक बहुत या जोड़नेवाली वस्तु को अलग करना । बंधन तोड़ना। . है। ३. प्रौपध की मात्रा जो एक बार सेवन की जाय । जैसे,-टांका बोलना. गांठ बोलना, बेडी खोलना । ५. किसी ...जैसे.--इतने में चार खोराक होगी। बंधी हुई वस्तु को मुक्त करना । जैसे,---धोती खोलना । ६. खोराकी -वि० [हि बोराक+ई (प्रत्य॰)] खूब खानेवाला। किसी फ्रम को चलाना या जारी करना । जैसे,---तनखाह ..अधिक भोजन करनेवाला। खोलना । ७. ऐसी वस्तुओं का तैयार करना जो दूर तक रेखा खोराको-संशा सी० [हिं० खोराक] वह धन जो खोराक के के रूप में चली गई हो और जिनपर किसी वस्तु का पाना लिये दिया जाय। जाना हो । जैसे, --सड़क खोलना, नहर खोलना । ८ कोई खोरि -संयासी० [हिं० खर] तंग गली।३०-खेलत अवध ऐसा नया कार्य प्रारंम करना जिसका लगाव सर्वसाधारणया खोरि, गोला भौंरा चकडोरि भूरति मधुर बस तुलसी के बहुत से लोगों के साथ हों। जैसे,--कारखाना खोलना, ... हिवरे । हिंबरे !--तुलसी (शब्द०)। पाठशाला खोलना, दूकान खोलना। ६. किसी कारखाने, ... खोरिया स्ली० [सं० खोट या खोर] १. ऐव । दोष । नुक्स । दुकान, दफ्तर यादि का दैनिक कार्य प्रारंभ करना । जैसे,-

30-(क) कहाँ पुकारि खोरि मोहिं नाहीं। तुलसी वह नित्य बड़े तड़के दूकान खोलता है। १०. किसी ऐसी

... (शब्द०) । (ख) सोकरी गैल वा खोरि हम किन खोरि सवारी को चला देना, जिसपर बहुत प्रादमी एक साथ बैठ . . 'लगाय खिजंबो करो कोउ ।-देव (शब्द०)। सकें। जैसे,--नाव खोलना । ११. किसी गुप्त या मूढ़ बात .. क्रि०प्र०-लगाना। को प्रकट या स्पष्ट कर देना । जैसे--प्राप के पूछते ही वे २. बुराई । निंदा। सब खोल देंगे। खोरि --संशझी [हिं० नॉर] दे॰ 'खोर' वा 'खौरि । 30-- संयो० क्रि०-डालना।-देना। सनु अनहरत चंदन खोरी । श्यामल गोर मनोहर जोरी।- १२.किसी को अपने मन की बात कहने के लिये सबस करना। .. तुलसी (शब्द)। जैसे, हमने उसे खोलना चाहा, पर वह नहीं खुला। खोरिया-मंशा नी खोरा] १. छोटा कटोरा या वेलिया । खोलि---संशा खी० [सं०] तरकश [को०। ' छोटा प्राबखोरा या गिलास । पानी पीने का छोटा वरतन । खोलिया-संघा सी० [देश॰] एक प्रकार की पनालीदार खानी २. छोटे चमकीले ब दे जिन्हें स्त्रिया या लीलावाले शोभा के जिससे बढ़ ई लकड़ी पर फूलपत्ती या बेलवटा पोलेका लिये मुह पर चिपकाते हैं । ३. कुए की पढ़ी का वह सबसे खोली'-संधा भी [सं० खोल] १. तकिए प्रादि के ऊपर चढाने ... बिचला भाग जो चरसा खींचते खींचो बैलों के पहुंचने पर की थैली। गिलाफ। २. मोटी चादर । कुंए के मुंह पर या जाता है। खोली -संवा स्त्री० [हिं० खोल] छोटी कोठरी। सोल-वि० म०] लंगड़ा । विकलांग। खोवा-मंशा पु० [म. क्षदि पेगों -पोयना बोचा। माना। ।