पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. १२०२.. स्वा. ... गड़सल के होते हैं। विशेषता यह है कि में तारों को मिला करते हैं। यह त देखक और दो अनीवाले होते हैं। फूल गुलाबी होते हैं और गठबंधन-संज्ञा पुं० [सं० ग्रन्थिवन्यन, हि० गाँव+बंधन] १.विवाह फल भी कुछ बड़े होते हैं। फल में विशेषता यह है कि पकने .. की एक जीति जिसमें वर और वधू के वस्त्र को परस्पर बाँध पर उसके पाँच भाग हो जाते हैं । गगेरनं के गुण भी वैद्यक में देते हैं। २.धार्मिक ग्रादि कर्म करते समय पति पत्नी के वस्त्र बरियारा या खिरटी के से माने जाते है । नगरन मूत्रकृच्छ, . के छोरों को मिलाकर गांठ देने की रीति । इस अवस्था में क्षत और क्षीण रोग, खुजली, कुष्ठ आदि में दी जाती है। दोनों कुछ पूजा आदि करते हैं। यह संस्कार विवाह के चौथे गॅरन दो प्रकार की होती है-एक छोटी, दूसरी बड़ी। दिन या किसी और दूसरे दिन अच्छी साइत देखकर होता बड़ी गंगरन भी अम्ल, मधुर, त्रिदोषनाशक तथा दाह और ... है। ३.. दो चीजों या व्यक्तियों के बीच अतिसय ऐक्यः ज्वर को दूर करनेवाली मानी जाती है। इसे .. गुलशकरी भी घनिष्ठ संग । ४.साँठगाँठ । गुप्त समझौता। . गॅठिवन' संज्ञा स्त्री० [सं० ग्रन्थिपणी ] ग्रंथिपर्णी । गाडर दूब । पर्या-नागवला ।, गाँगेकी । झपा 1 हस्वगवेधुका । खरगं- गठिवन--संज्ञा पुं० [सं० ग्रन्थिपणेj गठिबन का पेड़ । वि० दे० , धनी । गोरक्षतंडुला। भद्रौदनी। चतुःपला । खरवल्लिरिका। गठिवन'। 'महोदया। महापत्रा । विश्वदेवी । अनिष्ठा । देवदंडा। गठुमा-या पुं० [हि० गाँठ+उमा (स्वा० प्रत्यय)] ताने या बाने गेरुवा--संज्ञा पुं० [सं० गाङ्गरुक] एक पहाड़ी पेड़। . ... टूटे हुए तागों को, अथवा नई पाई के तागे को, पुराने उतरे विशेष-इसके फल आँवले की तरह छोटे छोटे होते हैं । पत्तियों हुए कपड़े के ताने से जोड़ना ।—(जुलाहा)। की पंक्ति सींकों में लगी होती हैं। वैद्यक में इस पेड़ का फल गड़घिसनी-संचा सी० [हिं: गाँड़+घिसन ] १. अत्यंत निकृष्ट कफ-वात-नाशक, पित्तकारक, भारी, गरम पीर स्निग्ध माना परिथम । २.बहुत खुशामद और विनती। जाता है। इसके फल दो प्रकार के होते हैं खट्ट और मीठे। गैडझप-संहा पुं० [हिं० गाँड़+झैपना] बुरी तरह से झंपने या लजाने गगगेह-संवा सौर [हिं० गंगेरन] "दे० 'गगेरन'..... की क्रिया 1--(धाजारू)। गैजना@-निल स० [हिं० 'गंजना] गंजना । नाश करना। मुहा०-गडझप खाना-बुरी तरह झेंपना । बहुत बेतरह लज्जित . होना। चूर चूर करना । नष्ट करना । उ०—(क) जुरे जुद्ध, कर संग गेंड़तरा--संज्ञा पुं० [हिं० गांड+तर+नीचे] यह कपड़ा जो बच्चों .. पंचम के असवार । गंजि गरेव गरवीन के करे अरिन पर - वार | लाल (शब्द०)। (ख) दादू काल गंजे नहीं जपं जो के चूतड़ के नीचे इसलिये विछाया जाता है, जिसमें उनका " नाम कवीर । कवीर मं० पृ० ४१२ । मलमूत्र विछावन पर न लगे । इसे 'गतरा' भी कहते हैं। . गँड़दार-संशा पुं० [सं० गंड या गड़ासा+-फा० दार (प्रत्य॰)] गॅजना-क्रि०अ० [हिं० गाँजना] ढेर लगना । गाँजने का काम 'महावंत। फीलवान। २०-ज्यों मतंग अँडदार को लिए . होना। . . . जात गड़दार |–मतिराम ग्रं०, पृ०३१२। गजाई-संशा खी० [हिं०] १.गाँजने या ढेर लगाने की क्रिया । २. गडपूत्र-संचा पुं० [हिं० गाँड़+पुत्र] मलमार्ग से उत्पन्न पुत्र ।- गाँजने की मजदूरी। (परिहास)| गंजानां-क्रि० स० [हिं० गाँजना] गाँजने या ढेर लगाने का काम। गड़रा-संज्ञा पुं० [सं० गए डाली][की गडरी] १. मूज की तरह की गॅजिया--संशा स्त्री० [सं० गडिजका या फा० गंज] १.सूत की बुनी एक घास जो तर जमीन में होती है। हुई रुपया रखने की जालीदार थैली। २. वह जाल की थैली विशेप-इसकी पत्तियाँ याध अंगुल चौड़ी और हाथ डेढ़ हाथ

जिसमें घसियारे पास रखते हैं । खारी। वांसुली । नौला । ३. लंबी होती हैं । यह उचाई में दो फुट से पांच छह फुट तक

. मिट्टी का बना हुया एक बरतन जिसका मुह तंग होता है। होती है। इसके डंठल के बीच से डेढ़ दो हाथ लंबी पतली ... यह दवकी की तरह चिपका होता है। पहले इसमें 'शराव 'सीक निकालती है जो सूखने पर सुनहले रंग की हो जाती है। रखते थे। ४. गंजी । गंदा । सींक के सिरे पर जीरे लगते हैं । ये जीरे कुमार के महीने में जिडी-वि० [हिं० गांजा+एडी (प्रत्य॰)] गाँजा पीनेवाला । फुटते हैं। पूस तक यह घास सूखने लगती है। किसान हरी गठकटा-संवा पुं० [हिं० गाँठ+काटना] गाँठ में बँधे हुए रुपए पैसे सीको को निकाल लेते हैं और उन्हें झाडू बनाने और इन्वे, ... को काट लेनेवाला । गिरहकट । उचक्का। 'पिटारियां आदि युनने के काम में लाते हैं। इसे फागुन, चैत में गठछोर-संचा पुं० [हिं० गाँठ+छोरना] गाँठ का माल छीन लोग काटते हैं और इसके डंठलों से छप्पर आदि छाते हैं। . लेनेवाला । गिरहकट । नठकटा। इसकी चटाइयाँ भी बनती हैं। इसकी जड़ में सोंधी महक गठजोड़ा-संज्ञा पुं० हि. गांठ जोड़ना] गठबंधन । उ० - होती है और वह खस कहलाती है । खस की टट्टियां वनती " देवपुर के दयाशंकर पांडे के लड़के रमानाथ से अाप देववाला है तथा इससे इत्र निकाला जाता है। का गैठजोड़ा.करना चाहते हैं।-००, पृ०८। . २.एक धान का नाम जो भादों कुपार में तैयार होता है। गजोरा -संवा हि गांठ-+जोरना] गैठबंधन । उ०-जनक गैंडरी-संमा ली० [सं० गएडाली 1 दे० 'गडरा'। स्वयंबर बर धनु तोरा । सीय विवाहि करधो गठजोरा- गड़सल-वि० [हिं० गांड] गुवाभंजन करानेवाला ।२.डरपोका . .. . कायर।। गोपाल (गन्द०)। .