पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१५७

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१२३४ गरदन गरज- संज्ञा स्त्री० [अगरज१. आशय ।. प्रयोजन। मतलब। गरजा- वि० [हिं०] दे० 'गरजी'। .. ...:--अपनी गरधनु बोलियतु कहा निहोरी तोहि। तू प्यारी गर -संवा पुं० [पुं० ग्रन्थ, पा० गंठ, हिं० गट्ठ] १.समूह । झुंड । - मो जीय कौं, मोज्यौ प्यारी मोहिं 1-बिहारी २०, दो०४०६ । उ०—(क) गरजन गरट्ट दै के वाजिन के ठट्ट दै के ग्राम धाम महा०-गरज गांठना=मतलब सीधा करना ।' प्रयोजन, दै के प्रियवद सतकारे हैं। रघुराज (शब्द॰) । (ख) हैवर - निकालना ! काम सिद्ध करना । हरट्ट साजि गैवर गरट्ट सम पैदर के ठट्ट फौज जुरी तुरकाने २.यावश्यकता । जरूरत । की । भूपण । (शब्द०)। २. बहुत धना। सघन । उ०- क्रि०प्र०-रखना।-रहना । निकालना । आँव मला ऊगी अठे गहरी छह गरट्ट ।-बाँकी ग्रं०, ३.चाह । इच्छा। भा०१. पृ०४६। . यौ॰—गरजमंद ! गरड@f-संवा पुं० [सं० गरुड] दे० 'गरुड़' । उ०--ज्यू ज्यू भुयंगम क्रि०प्र०- रखना।—रहना । होना। श्राव जाइ मुरही धर नहीं गरड रहाइ । गोरख०, पृ०६३ । . महा०-गरज का बावला=अपनी गरज के लिये सब कुछ करने- गरडा -संज्ञा पुं० [देश॰] १.एक प्रकार का मोटा चावल । उ०- वाला । जो अपनी लालसा पूरी करने के लिये भला बुरा सब दुधइ लिहावऊँ घणी हो नीवात । भैस को दही यर गरडा को कुछ करने को तैयार हो जाय । जो अपना मतलब पूरा करने भात ।-बी० रासो०, पृ० ६३। एक प्रकार का मटमैला ... के लिये हानि भी सह ले। रंग । उ०--अवलख सु गरडा रंग, लक्खी जु अति ही उमंग । --हरासो, पृ० १२५।। गरज-क्रि० वि०१. निदान। आखिरकार । अततोगत्वा । २. गरथल-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'गथ' । उ०-गरथ न बांधे गारुडी ... अस्तु । भला । अच्छा । खैर। नहिं नारी सो नेह ।--दादू०, ३०४ । विशेप-यह संयोजक अव्यय का भाव लिए रहता है। गरद वि० [सं०] १.विप देनेवाला । विषप्रद । २.अस्वास्थ्यकर (को०)। - मुहा०-गरज कि-मतलब यह कि । तात्पर्य यह कि । अर्थात ।। गरद-संज्ञा पुं०१.एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। - यानी 1. गरदर्भ-संज्ञा स्त्री॰ [फा२] दे० 'गर्द' । - गरजन -संक्षा पुं० [सं० गर्जन] गंभीर शब्द । गरज । कड़क । गरदन-संक्षा बी० [फा०] १. धड़ और सिर को जोड़नेवाला अंग । ....२.गरजने का भाव । ३. गरजने की क्रिया। ग्रीवा। गरजना--क्रि० अ० [सं० गर्जन] १. वहुत गंभीर और तुमुल शब्द मुहा०-गरदन उठानाम्-विरोध करना । सिर उठाना । गर्दन करना । जैसे-बादल का गरजना, शेर का गरजना, वीरों उड़ाना सिर काटना । मार डालना । गरदन ऐंठना-दे० ...।' का गरजना। उ०--(क) घन घमंड नभ गरजत घारा। 'गरदन मरोड़ना'। गर्दन ऐंठी रहना=घमंड में रहना या प्रिया हीन डरपत मन मोरा-तुलसी (शब्द०)। (ख) दस नाराज रहना । गरदन काटना=(१) धड़ से सिर अलग ... दस सर सब मारेसि, परे भूमि कपि वीर । सिंघनाद करि करना । मार डालना । (२) बुराई करना । हानि पहुचाना। " गरजा, मेघनाथ बलवीर --तुलसी (शब्द०)। २. चटकना। गरदन का डोरा=गले की वे नसें जो सिर के हिलाने या - तड़कना । जैसे,--मोती का गरजना, या गरजा हुया मोती। वात करने के समय हिलती हुई दिखाई पड़ती हैं। गरदन का गरजनाg--वि० [हिं० गरजना] गरजनेवाला । जोर से बोलने, बाझकर्तव्य या उत्तरदायित्व संबंधी भार । गरदन झुकना= वाला । उ०--राज पंखि पेखा गरजना ।--जायसी (शब्द०)। (१)नम्र, आज्ञाकारी वा अधीन होना । (२) लज्जित . गरजमंद-वि० [अ० गरज-+-फा. मंद] [ली. गरजमंदी] जिसे होना। कारमाना। (३) वेहोश होना । (४) मरना । गरदन .. अावश्यकता हो। जरूरतवाला। ३.इच्छुक । चाहनेवाला। झुकाना=(१) नम्रता, प्राज्ञाकारिता या अधीनता प्रकाशित - गरजी.-वि० [अ० गरज+फा० ई (प्रत्य॰)] १.गरजमंद। गरज- करना । (२) लज्जित होना। झपना । गरदन ढलना या वाला । मतलब रखनेवाला। २.चाहनेवाला । इच्छा करने ढलकना-मरना । आसन्न मरण होना । गरदन न उठाना- ' वाला | गाहक । उ०-व्रजराज कुमार बिना सुनु भृग अनंग (१) सब बातों को चुपचाप सुन या सह लेना (२) लज्जित .. भलो जिय को गरजी।—तुलसी (शब्द॰) । होना। शरमिंदा होना। (३) वीमारी का कारण पड़े रहना मरजुभा'-संज्ञा पुं० [हिं० गरजना] एक प्रकार की खुमी। जैसे-गबसे यह लड़का बुखार में पड़ा है। तबसे इसने - विशेप--यह गोल और सफेद रंग की होती है और बरसात में गरदन नहीं उठाई। गरदन नापना=(१) कहीं से निकाल .... 'पहला पानी पड़ने पर प्रायः साखू आदि के पेड़ों के आसपास बाहर करने के लिये किसी की गरदन पकड़ना । गरदनियां ". . या मैदानों में भूमि से निकल पाती है। इसके अंदर डंठी और देना। (२) अपमान करना। वेइज्जती करना। गरदन ऊपर छत्ता नहीं होता, केवल गूदा ही गूदा होता है। इसकी पकड़कर निकालना=अपमान करना। बेइज्जती करना । तरकारी खाने में स्वादिष्ट होती है । लोगों का विश्वास है कि गरदन पर-ऊपर। जिम्मे । जैसे,—इसका पाप, तुम्हारी - यह बादल के गरजने से पृथ्वी से निकलता है। सफरा, गरदन पर है । गरदन पर खून लेना-अपने ऊपर हत्या लेना। नगनल प्रादि इसी के भेद है। हत्या का अपराधी होना । (अपनी) गरदन पर जुना रखना-न गरजुना-वि० ]हिं०] गरजमंद । जरूरतवाला। किसी भारी काम का बोझ लेना । किसी भारी काम में तत्पर